Ujjain Damru World Record: शिव नगरी मे बना वर्ल्ड रिकॉर्ड, 1500 वादकों ने एक साथ बजाया डमरू, गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में नाम दर्ज
Ujjain Damru World Record: बाबा महाकाल की तीसरी सवारी आस्था, उत्साह और उमंग के साथ निकाली गई।
Ujjain Damru World Record: उज्जैन:बाबा महाकाल की तीसरी सवारी आस्था, उत्साह और उमंग के साथ निकाली गई।श्रावण माह के तीसरे सोमवार भगवान श्री महाकालेश्वर श्री चंद्रमौलेश्वर के रूप में पालकी में, हाथी पर श्री मनमहेश के रूप में व गरूड़ रथ पर श्री शिव-तांडव स्वरूप में विराजित होकर नगर भ्रमण पर निकले और अपनी प्रजा का हाल जाना। इस दौरान 1500 डमरू वादकों ने एक साथ डमरू बजाकर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड बनाया।
भगवान महाकाल की सवारी निकलने के पूर्व श्री महाकालेश्वर मंदिर के सभा मंडप में भगवान महाकाल का उप मुख्यमंत्री श्री जगदीश देवड़ा और खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री श्री गोविंद सिंह राजपूत ने विधिवत पूजन-अर्चन किया और सवारी में शामिल हुए। इस अवसर पर सभा मंडप में विधायक श्री सतीश मालवीय, विधायक श्री महेश परमार, महापौर श्री मुकेश टटवाल, नगर निगम सभापति श्रीमती कलावती यादव सहित अन्य जनप्रतिनिधि उपस्थित थे।
डमरू वादकों के साथ बाबा निकले शिव-तांडव स्वरूप में भ्रमण पर
बाबा महाकाल की सवारी में डमरू वादन की मंगल ध्वनि के साथ भगवान शिव की स्तुति की गई। डमरू वादकों द्वारा एकसाथ लयबद्ध रूप में आकर्षक एवं मनमोहक प्रस्तुति देकर श्रद्धालुओं का मन मोह लिया। श्रावण माह का तीसरा सोमवार उज्जैन के लिए ऐतिहासिक रहा। महाकाल लोक के शक्तिपथ पर 1500 डमरू वादकों ने एक साथ एक समय समय में लयबद्ध डमरू वादन कर विश्व कीर्तिमान रचा। बाबा श्री महाकाल के भक्तों ने हर्षोल्लास और उमंग से सवारी में भाग लिया और डमरू वादकों का स्वागत किया।
निमाड़ अंचल के सुप्रसिद्ध काठी नृत्य की हुई अदभुत प्रस्तुति
बाबा महाकाल की सवारी में निमाड़ अंचल के लोकनृत्य काठी की मनमोहक प्रस्तुति आकर्षण का केन्द्र रही। भगवान शंकर और माता गौरा से जुड़ी इस प्रस्तुति ने सभी श्रद्धालुओं का मन मोह लिया। लोक कलाकारों ने मोर पंख से सजी आकर्षक रंग-बिरंगी वेशभूषा में प्रमुख ढाक वाद्य यंत्र से आकर्षक प्रस्तुति दी। बाबा महाकाल की सवारी के साथ भजन मंडलियां भी उत्साह और उमंग के साथ शिव भजनों की मधुर प्रस्तुति देते हुए चली।
रामघाट पर भगवान महाकाल का इन्द्र देव ने भी किया जलाभिषेक
भगवान श्री महाकालेश्वर की सवारी महाकाल मन्दिर से प्रस्थान कर जैसे ही रामघाट पर पहुंची, वैसे ही चहुंओर आस्था और श्रद्धा का जन-सैलाब उमड़ पड़ा। श्रावण में अपने सौंदर्य की छटा बिखेरते हुए स्वयं प्रकृति भगवान श्री महाकाल का स्वागत करने के लिए आतुर दिखाई दी। पुजारियों के साथ भगवान का जलाभिषेक वर्षा कर इन्द्र देव ने भी किया। भगवान श्री महाकालेश्वर का पूजन और जलाभिषेक पं. आशीष पुजारी द्वारा कराया गया। उप मुख्यमंत्री श्री जगदीश देवड़ा और खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री श्री गोविंद सिंह राजपूत ने भी रामघाट पर भगवान का पूजन किया। इस अवसर पर राज्यसभा सांसद श्री उमेशनाथ महाराज सहित जनप्रतिनिधि एवं प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित रहे।
“भोले शंभु-भोलेनाथ” और “अवंतिका नाथ की जय” के घोष से श्रद्धालुओं ने की पुष्पवर्षा
भगवान श्री महाकाल की पालकी जैसे ही श्री महाकालेश्वर मन्दिर के मुख्य द्वार पर पहुंची, सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा पालकी में सवार श्री चंद्रमौलेश्वर को सलामी दी गई। सवारी मार्ग में जगह-जगह खड़े श्रद्धालुओं ने भोले शंभु-भोलेनाथ और अवंतिका नाथ की जय के घोष के साथ भगवान श्री महाकालेश्वर पर पुष्पवर्षा की।
सुगमता से हुए श्रद्धालुओं को भगवान के दर्शन
श्री महाकालेश्वर भगवान की सवारी में हजारों की संख्या में भक्त झांझ, मजीरे, ढोल और भगवान का प्रिय वाद्य डमरू बजाते हुए पालकी के साथ उत्साहपूर्वक आराधना करते हुए चले। श्रद्धालुओं ने सुगमतापूर्वक भगवान के दर्शन लाभ लिए। श्री महाकालेश्वर भगवान की सवारी परंपरागत मार्ग महाकाल चौराहा, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार और कहारवाडी से होती हुई रामघाट पहुंची, जहॉ शिप्रा नदी के जल से भगवान का अभिषेक और पूजन-अर्चन किया गया। इसके बाद सवारी रामानुज कोट, मोढ़ की धर्मशाला, कार्तिक चौक खाती का मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार और गुदरी बाजार से होती हुई पुन: श्री महाकालेश्वर मंदिर पहुंची।
बाबा महाकाल की सवारी की प्रमुख झलकियां
दत्त अखाडा पर माधव संगीत महाविद्यालय के दल ने सुमधुर भजनों की प्रस्तुति दी।
श्रद्धालु आकर्षक स्वरूप धारण कर भगवान महाकाल की आराधना करते हुए चले।
सवारी मार्ग पर आकर्षक रंगोलियों से जगह-जगह बाबा महाकाल की सवारी का स्वागत किया गया।
प्रशासन एवं पुलिस के आला अधिकारियों ने व्यवस्थाओं का सतत् निरीक्षण करते हुए सवारी का सफल संचालन सुनिश्चित किया।
2 चलित रथ के माध्यम से श्रृद्धालुओं ने भगवान महाकाल की सवारी के सुगमतापूर्वक दर्शन किए।
महाकाल घाटी, रामघाट, दत्त अखाड़ा, गोपाल मन्दिर आदि प्रमुख स्थानों पर बड़ी एलईडी के माध्यम से भी श्रद्धालुओं ने सवारी का सजीव प्रसारण देखा।