सीहोर में शराब माफिया का बॉर्डर पार सिंडिकेट : ढाबों पर सज रही अवैध शराब की महफिलें, सरकार के खजाने को लग रही करोड़ों की चपत, पढ़े पूरी खबर
मध्य प्रदेश के सीहोर जिले में इन दिनों अवैध शराब का कारोबार एक नए और खतरनाक रूप में फल-फूल रहा है।

सीहोर में शराब माफिया का बॉर्डर पार सिंडिकेट : ढाबों पर सज रही अवैध शराब की महफिलें, सरकार के खजाने को लग रही करोड़ों की चपत, पढ़े पूरी खबर
Sehore Illegal Liquor Syndicate : सीहोर (मध्य प्रदेश) : मध्य प्रदेश के सीहोर जिले में इन दिनों अवैध शराब का कारोबार एक नए और खतरनाक रूप में फल-फूल रहा है। आलम यह है कि जिला मुख्यालय के नाक के नीचे अवैध शराब बेचने वालों ने अपना एक मजबूत जाल बुन लिया है। हैरानी की बात यह है कि आबकारी विभाग और पुलिस प्रशासन की कथित सुस्ती के चलते इन अपराधियों के हौसले इतने बुलंद हो चुके हैं कि अब वे सीहोर की शराब छोड़कर पड़ोसी जिलों की शराब यहाँ खपा रहे हैं। हाईवे के किनारे स्थित ढाबे अब भोजन के ठिकानों से ज्यादा अवैध बार में तब्दील हो चुके हैं, जहाँ कानून की धज्जियाँ सरेआम उड़ाई जा रही हैं।
Sehore Illegal Liquor Syndicate : पड़ोसी जिलों से तस्करी : ज्यादा मुनाफे का खेल सीहोर में चल रहे इस शराब सिंडिकेट का सबसे चौंकाने वाला पहलू यह है कि यहाँ बिकने वाली शराब सीहोर जिले के अधिकृत ठेकों की नहीं होती। सूत्रों के मुताबिक, ज्यादा कमीशन और मुनाफे के चक्कर में ढाबा संचालक भोपाल और शाजापुर जैसे पड़ोसी जिलों से अवैध रूप से शराब की तस्करी कर रहे हैं। तस्कर छोटे रास्तों और खुफिया नेटवर्क का इस्तेमाल कर इन जिलों की शराब सीहोर की सीमा में लाते हैं और फिर इसे हाईवे के ढाबों पर ऊंचे दामों पर परोसा जाता है। यह खेल न केवल सरकार के राजस्व को करोड़ों का चूना लगा रहा है, बल्कि जिले के वैध लाइसेंस धारक शराब कारोबारियों के व्यापार को भी पूरी तरह चौपट कर रहा है।
Sehore Illegal Liquor Syndicate : हाईवे के ढाबे बने शराबियों का अड्डा इंदौर-भोपाल हाईवे और सैकड़ाखेड़ी रोड पर स्थित ढाबों की हकीकत किसी से छिपी नहीं है। शाम ढलते ही यहाँ माहौल पूरी तरह बदल जाता है। इन ढाबों पर ट्रक ड्राइवरों से लेकर स्थानीय रसूखदार लोगों तक के लिए शराब का इंतजाम रहता है। यहाँ न केवल शराब आसानी से उपलब्ध है, बल्कि बैठकर पीने के लिए गुप्त केबिन और सुरक्षित जगह भी मुहैया कराई जाती है। हाईवे पर शराब पीकर वाहन चलाने वालों की वजह से दुर्घटनाओं का ग्राफ भी बढ़ रहा है, लेकिन ढाबा संचालकों को न तो कानून का डर है और न ही प्रशासन का।
जनता की नजर में सब, फिर भी विभाग क्यों है मौन? विडंबना यह है कि जिले के आम नागरिक से लेकर मुसाफिरों तक को पता है कि किस ढाबे पर कौन से ब्रांड की शराब मिल रही है, लेकिन जिले का आबकारी अमला इस पूरी सच्चाई से अनजान बना बैठा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि सैकड़ाखेड़ी रोड पर रात के समय असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है, जिससे राहगीरों और महिलाओं का निकलना भी मुश्किल हो जाता है। लोग अब खुलेआम सवाल उठा रहे हैं कि क्या यह सिर्फ विभाग की लापरवाही है या फिर शराब माफिया और अधिकारियों के बीच कोई गहरा साठगांठ (मिलीभगत) चल रही है। जब एक आम आदमी को अवैध गतिविधियां दिख रही हैं, तो वर्दीधारी अधिकारियों को यह क्यों नजर नहीं आता?
सिस्टम की सुस्ती और राजस्व को चपत आबकारी विभाग की कार्यप्रणाली अब पूरी तरह संदेह के घेरे में है। नियमानुसार, विभाग को समय-समय पर संदिग्ध ढाबों की सर्चिंग और छापेमारी करनी चाहिए, लेकिन सीहोर में लंबे समय से ऐसी कोई ठोस कार्रवाई देखने को नहीं मिली है। विभाग की फाइलों में तो सब कुछ कागजों पर दुरुस्त दिखाया जाता है, लेकिन धरातल की सच्चाई इसके ठीक उलट है। दूसरे जिलों की शराब यहाँ खपने से सीहोर जिले के आबकारी राजस्व में भारी गिरावट आ रही है। सरकारी खजाने को नुकसान पहुँचाने के साथ-साथ यह सिंडिकेट कानून-व्यवस्था को भी चुनौती दे रहा है।
अधिकारियों का पक्ष और चेतावनी इस गंभीर मुद्दे पर जब जिला आबकारी अधिकारी दीप सिंह राठौड़ से चर्चा की गई, तो उन्होंने पारंपरिक जवाब देते हुए कहा कि विभाग की टीमें समय-समय पर निरीक्षण करती हैं और अवैध शराब जब्त कर प्रकरण भी बनाए जाते हैं। हालांकि, उन्होंने यह भरोसा दिलाया है कि भविष्य में ढाबों पर अवैध शराब बेचने वालों और बाहरी जिलों से शराब लाने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। अब देखना यह है कि विभाग के ये दावे हकीकत में बदलते हैं या फिर ढाबों पर शराब का यह 'सिंडिकेट' इसी तरह बेखौफ होकर चलता रहेगा।
