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नक्सलियों का बढ़ता आतंक: 'देवेंद्र यादव' का अपहरण कर...की निर्मम हत्या, सरकार पर लगाए ये गंभीर आरोप; छोड़ा पर्चा

नक्सलियों ने मुखबिरी के शक में देवेंद्र यादव का अपहरण कर उनकी निर्मम हत्या कर दी है...

नक्सलियों का बढ़ता आतंक: देवेंद्र यादव का अपहरण कर...की निर्मम हत्या, सरकार पर लगाए ये गंभीर आरोप; छोड़ा पर्चा
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(NPG FILE PHOTO)

By Ashish Kumar Goswami

भोपाल। मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में नक्सलियों ने एक बार फिर खूनी खेल खेला है। मुखबिरी के शक में 30 साल के एक युवक की निर्मम हत्या कर दी गई है। इस घटना से पूरे इलाके में दहशत का माहौल है। यह वारदात लांजी थाना क्षेत्र के सुलसुली पुलिस चौकी के सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित क्षेत्र में हुई है।

मृतक की पहचान देवेंद्र यादव के रूप में हुई है, जो ग्राम पौंसेरा का रहने वाला था। वह पास के गांव चिलोरा से लगभग 8-10 किलोमीटर दूर जंगल में स्थित दहियान में रहकर घी-दही बेचने का काम करता था और इसी से अपने परिवार का पेट पालता था।

वारदात की पूरी कहानी

बताया जा रहा है कि, 16 सितंबर की देर शाम देवेंद्र अचानक लापता हो गया था। परिजनों ने उसे बहुत ढूंढा, लेकिन उसका कोई पता नहीं चला। जब इस बात की सूचना पुलिस को दी गई, तो देवेंद्र के चाचा ने बताया कि, कुछ हथियारबंद नक्सली उसे उठाकर ले गए हैं। घटना वाली जगह पर नक्सलियों ने दो पर्चे भी छोड़े, जिसमें उन्होंने देवेंद्र को पुलिस का मुखबिर बताया और लिखा कि, इसकी सजा मौत होगी।

नक्सलियों ने छोड़ा पर्चा

अपहरण के बाद से ही पुलिस ने उसकी तलाश शुरू कर दी थी। पुलिस के सर्च ऑपरेशन के दौरान ही चौरिया के जंगल में देवेंद्र का शव मिला। नक्सलियों ने शव के पास एक बैनर और पर्चे भी लगाए थे, जिसमें उन्होंने इस हत्या की जिम्मेदारी ली है। इस बैनर और पर्चों में परसवाड़ा मलाजखंड दलम ने लिखा है कि सरकार युवाओं को मुखबिर बनाकर बर्बाद कर रही है।

बैनर में मोहन यादव सरकार पर भी निशाना साधा गया है और लिखा है कि, 'मोहन यादव की सरकार में युवा सुरक्षित नहीं हैं'। इसमें यह भी चेतावनी दी गई है कि, जो भी पुलिस की मुखबिरी करेगा, उसकी जान की जिम्मेदारी सरकार और पुलिस की होगी।

पर्चे में क्या लिखा था?

नक्सलियों ने जो पर्चे छोड़े, उनमें लिखा था कि, "यह आदमी देवेंद्र उर्फ धदू पुलिस का मुखबिर था। माओवादी पार्टी दल का समाचार 3 से 4 बार दिया था। पुलिस ने ही इसे जंगल में दहियान के नाम से बैठाया था। यह पीतकोना पुलिस चौकी वालों को दही-दूध पहुंचाता था।" नक्सलियों ने यह भी लिखा कि यह सब जांच करने के बाद उसे मौत की सजा दी गई है।

एक दूसरे पर्चे में नक्सलियों ने लिखा कि, "पुलिस हमारे ही गरीब लोगों को एक-दूसरे से लड़वाकर मरवाने का काम करती है। पुलिस सामंतवादी साम्राज्यवादियों की रक्षा करती है और गरीबों को लूटती है। इसलिए पुलिस से दूर रहिए।"

पुलिस का बड़ा सर्च ऑपरेशन

इस घटना के बाद पुलिस प्रशासन हरकत में आ गया है। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए लगभग 1000 जवानों को जंगल में तलाशी अभियान के लिए उतारा गया है। पुलिस महानिरीक्षक संजय कुमार ने मीडिया को बताया कि, देवेंद्र यादव के अपहरण की सूचना मिलते ही तलाश शुरू कर दी गई थी। हालांकि, उन्होंने हत्या की पुष्टि करते हुए कहा कि, जब तक ठोस जानकारी नहीं मिलती, तब तक कुछ भी कहना मुश्किल है।

सदमें में पूरा परिवार

देवेंद्र के माता-पिता का पहले ही देहांत हो चुका है। उसके परिवार में तीन बहनें हैं, जिनमें से दो की शादी हो चुकी है, जबकि एक बहन पौंसेरा में रहती है। देवेंद्र ही अपने परिवार का इकलौता सहारा था। उसकी हत्या से पूरा परिवार सदमे में है और उसकी बहनें बेसहारा हो गई हैं। पुलिस और सुरक्षा बल लगातार सर्च ऑपरेशन चला रहे हैं।

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