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MP Singrauli Forest Cutting : 10 हजार एकड़ में अदाणी देश बनाने का आरोप : जंगल कटाई पर सियासी भूचाल, जीतू पटवारी समेत कांग्रेसी धरने पर बैठे

MP Singrauli Forest Cutting : मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में स्थित धीरौली कोल ब्लॉक में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई और आदिवासियों के विस्थापन का मुद्दा अब राष्ट्रीय राजनीति में गरमा गया है।

MP Singrauli Forest Cutting : 10 हजार एकड़ में अदाणी देश बनाने का आरोप : जंगल कटाई पर सियासी भूचाल, जीतू पटवारी समेत कांग्रेसी धरने पर बैठे
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MP Singrauli Forest Cutting : 10 हजार एकड़ में अदाणी देश बनाने का आरोप : जंगल कटाई पर सियासी भूचाल, जीतू पटवारी समेत कांग्रेसी धरने पर बैठे

By UMA

MP Singrauli Forest Cutting : सिंगरौली। मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में स्थित धीरौली कोल ब्लॉक में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई और आदिवासियों के विस्थापन का मुद्दा अब राष्ट्रीय राजनीति में गरमा गया है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सीधे आरोप लगाया है कि 10 हजार एकड़ वन भूमि को जल-जंगल-जमीन खत्म करके उद्योगपति के लिए एक नया अदाणी देश स्थापित किया जा रहा है। विरोध प्रदर्शन के लिए सिंगरौली पहुँचे कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को प्रशासन ने रोक दिया, जिसके बाद उन्हें सड़क पर ही धरना देना पड़ा।

MP Singrauli Forest Cutting : पुलिस ने रोका रास्ता, नेताओं ने सड़क पर दिया धरना बुधवार, 10 दिसंबर को कांग्रेस की एक उच्च स्तरीय 12 सदस्यीय टीम, जिसमें प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार, पूर्व मंत्री अजय सिंह राहुल, जयवर्धन सिंह, कांग्रेस आदिवासी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष विक्रांत भूरिया, मीनाक्षी नटराजन, और ओमकार मरकाम जैसे दिग्गज शामिल थे, बासी-बेरदहा इलाके में पहुँची। कोल ब्लॉक की ओर बढ़ते ही पुलिस ने भारी बैरिकेडिंग लगाकर उन्हें रोक दिया। प्रशासन की इस कार्रवाई के विरोध में सभी नेता सड़क पर ही धरने पर बैठ गए, जिससे इलाके में तनावपूर्ण स्थिति पैदा हो गई।

करीब एक घंटे तक चली तीखी नोकझोंक के बाद, प्रशासन ने अंततः कांग्रेस के पाँच नेताओं को धीरौली कोल ब्लॉक में विस्थापित और प्रभावित आदिवासी परिवारों से मिलने की सशर्त अनुमति दी। हालांकि, इससे पहले ही विक्रांत भूरिया और उमंग सिंघार बाइक से वैकल्पिक रास्तों का उपयोग करते हुए आदिवासियों के बीच पहुँच चुके थे।

न मुआवजा, न पुनर्वास : गांव से भारी पलायन

आदिवासी परिवारों से मुलाकात के बाद जीतू पटवारी ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रशासन उद्योगपतियों के हित में काम कर रहा है और 10 हजार एकड़ की भूमि को बिना किसी पर्यावरण, सामाजिक या कानूनी अनुमति के पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया है। उन्होंने कहा, आदिवासियों से उनके मूल अधिकार छीने जा रहे हैं। जिस तेंदूपत्ते की कमाई से उनका घर चलता था, उसी पर कुल्हाड़ी चला दी गई। नेताओं ने गाँव में वीरान पड़े घर और खंडहर बन चुकी बस्तियाँ देखीं। स्थानीय लोगों ने उन्हें बताया कि कोयला उत्खनन के कारण भारी पलायन हो चुका है और अब गाँव में केवल इक्का-दुक्का बुजुर्ग ही बचे हैं।

पटवारी ने चेतावनी दी कि कोयले की धूल बच्चों और बुजुर्गों के फेफड़ों को गंभीर नुकसान पहुँचा रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस मुद्दे को कानूनी लड़ाई से लेकर जन आंदोलन तक हर मंच पर लड़ेगी और आदिवासियों की पीड़ा की पूरी रिपोर्ट केंद्र और राज्य नेतृत्व को सौंपेगी।

विधानसभा में भी गूंजा था मुद्दा

यह मुद्दा पहले भी मध्य प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र में गूंज चुका है। कांग्रेस विधायक विक्रांत भूरिया ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लाकर अवैध वन कटाई पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि सिंगरौली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) प्रदेश में सबसे ज़्यादा है और जंगल के जंगल उजाड़े जा रहे हैं, जबकि जवाब में राज्यमंत्री दिलीप अहिरवार ने कहा था कि कटाई नियमों के अनुसार हो रही है और जितने पेड़ काटे जा रहे हैं, उतने ही पौधे दूसरे जिलों में लगाए जा रहे हैं। पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह ने पेसा एक्ट का सवाल उठाते हुए वन संरक्षण अधिनियम 1980 के पालन पर जवाब मांगा था, जिस पर मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने जवाब दिया था कि सिंगरौली में आदिवासियों की संख्या कम होने के कारण पेसा एक्ट लागू नहीं होता, इसलिए उसके उल्लंघन का सवाल नहीं है।

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