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MP News: लाखों रुपये का ईंट..!इस ईंटे की किमत जानकर हो जाएंगे हैरान, जानिए क्या है पूरा मामला

MP News: मध्यप्रदेश में अजब-गजब घोटाले सामने आते रहते हैं, ऐसा ही एक मामला मध्यप्रदेश के शहडोल जिले से सामने आ रहा है जहां सिर्फ ढाई हजार ईंटो के लिए 1 लाख 25 हजार रुपये में खर्च किए गए हैं. आइए जानते हैं क्या है इस लाखों के ईटे के पीछे का किस्सा.

MP News: लाखों रुपये का ईंट..!इस ईंटे की किमत जानकर हो जाएंगे हैरान, जानिए क्या है पूरा मामला
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By Anjali Vaishnav

MP News: मध्यप्रदेश में अजब-गजब घोटाले सामने आते रहते हैं, ऐसा ही एक मामला मध्यप्रदेश के शहडोल जिले से सामने आ रहा है जहां सिर्फ ढाई हजार ईंटो के लिए 1 लाख 25 हजार रुपये में खर्च किए गए हैं. आइए जानते हैं क्या है इस लाखों के ईटे के पीछे का किस्सा.

इस बार मामला सामने आया है भटिया ग्राम पंचायत से, जहां पंचायत ने महज 2500 ईंटों की खरीद के नाम पर 1 लाख 25 हजार रुपये का भुगतान कर दिया. इस घोटाले का बिल सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसे लेकर जनप्रतिनिधियों और प्रशासन पर सवाल उठ रहे हैं.

गजब का घोटाला

जानकारी के अनुसार, बुढार जनपद के अंतर्गत आने वाली भटिया पंचायत में ईंटों की खरीद को लेकर एक फर्जी बिल पास किया गया है. इस बिल में दर्शाया गया है कि चेतन प्रसाद कुशवाहा, ग्राम परिबहरा के नाम से 2500 ईंटें खरीदी गईं, जिनकी कीमत भाड़ा समेत 5 रुपये प्रति ईंट तय की गई. इस हिसाब से कुल राशि 12,500 रुपये होनी चाहिए थी, लेकिन बिल में 1.25 लाख रुपये का भुगतान दिखाया गया है. हैरानी की बात ये है कि इस बिल पर पंचायत सचिव और सरपंच दोनों के हस्ताक्षर और सील मौजूद हैं.


लगातार सामने आती है घोटाले की खबर

इस मामले ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि शहडोल की पंचायतों में भ्रष्टाचार किस हद तक पहुंच चुका है. यह कोई पहली बार नहीं है जब जिले में फर्जी बिलों के जरिए सरकारी खजाने को चूना लगाया गया हो. कुछ समय पहले एक स्कूल की पुताई में 4 लीटर पेंट से 168 मजदूर और 68 राजमिस्त्रियों का भुगतान दिखाकर 1.07 लाख रुपये निकाले गए थे. वहीं जल गंगा अभियान के तहत एक घंटे की बैठक में 14 किलो ड्राई फ्रूट, 6 लीटर दूध और 5 किलो चीनी का बिल पास किया गया था

इतना ही नहीं, ग्राम पंचायत कुदरी से हाल ही में दो पन्नों की फोटोकॉपी का 4000 रुपये का बिल भी पास कर दिया गया था. ऐसे मामलों की लगातार बढ़ती संख्या से स्पष्ट है कि सरकारी धन के दुरुपयोग में पंचायत सचिवों, सरपंचों और संबंधित अधिकारियों की मिलीभगत है.

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