MP News: हेल्थ सेंटर पर ताला, सड़क किनारे ज़िंदगी की जंग..एक मां ने बच्चे को ऐसे दिया जन्म
MP News: मध्यप्रदेश के विदिशा ज़िले के शमशाबाद तहसील अंतर्गत बरखेड़ा जागीर गांव में शनिवार रात जो कुछ हुआ, उसने एक बार फिर ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की पोल खोलकर रख दी. एक बार फिर एक मां सड़क पर अपने बच्चे को जन्म देने पर मजबूर हुई.

MP News: मध्यप्रदेश के विदिशा ज़िले के शमशाबाद तहसील अंतर्गत बरखेड़ा जागीर गांव में शनिवार रात जो कुछ हुआ, उसने एक बार फिर ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की पोल खोलकर रख दी. एक बार फिर एक मां सड़क पर अपने बच्चे को जन्म देने पर मजबूर हुई.
दरअसल जागीर गांव की 27 साल की ममता बाई को अचानक प्रसव पीड़ा हुई. परिवार उसे तुरंत इलाज के लिए गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचा, लेकिन वहां सिर्फ सन्नाटा था. अस्पताल बंद था, और गेट पर ताला जड़ा हुआ मिला.
सड़क किनारे हुआ नवजात का जन्म
अस्पताल बंद होने के बाद महिला का पति और ससुर उसे बाइक पर बैठाकर 15 किलोमीटर दूर शमशाबाद के सरकारी अस्पताल के लिए रवाना हुए. रास्ते में जैसे ही वे गिरधर मार्केट के पास पहुंचे, ममता को तीव्र पीड़ा होने लगी और उसी वक्त उसने सड़क किनारे बच्चे को जन्म दे दिया.
लोडिंग वाहन से पहुंचाया अस्पताल
डिलीवरी होते ही पास से गुजर रहे कुछ लोगों ने मदद की और एक लोडिंग वाहन की व्यवस्था की. इसी वाहन में मां और नवजात को अस्पताल पहुंचाया गया. अस्पताल दो किलोमीटर दूर था, लेकिन उस दूरी तक पहुंचने के लिए भी सिस्टम ने कोई सुविधा नहीं दी.
स्टाफ नर्स ने भी नहीं की मदद
शमशाबाद अस्पताल पहुंचने पर भी उन्हें राहत नहीं मिली. ममता के ससुर घीसालाल बंजारा के अनुसार, वहां की स्टाफ नर्स से वाहन की व्यवस्था करने की गुहार लगाई गई, लेकिन उन्होंने साफ मना कर दिया. कहा गया कि मां और बच्ची को अपनी व्यवस्था से अस्पताल लाओ.
स्टाफ को नोटिस
मामला मीडिया में आने के बाद प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई की. रविवार सुबह तहसीलदार प्रेमलता पाल ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का निरीक्षण किया और कर्मचारियों को 24 घंटे मौजूद रहने के निर्देश दिए. वहीं, ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर डॉ. नीतू राय ने जिम्मेदार कर्मचारियों को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है.
मां-बच्ची दोनों सुरक्षित
फिलहाल मां और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं, लेकिन यह घटना स्वास्थ्य व्यवस्था की लचर स्थिति पर कई गंभीर सवाल खड़े करती है. एक ओर जहां सरकार संपूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं’ के दावे करती है, वहीं दूसरी ओर ज़मीनी हकीकत इससे कोसों दूर है.
