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MP News: गजब का स्कूल: चार बच्चों के लिए 2 शिक्षक, 23 बच्चों के लिए 1 भी सरकारी शिक्षक नहीं

MP News: मध्यप्रदेश के बालाघाट से शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाने की तस्वीर सामने आई है, जहां एक ही गांव दो सरकारी स्कूलों की हालत देखकर आप यहां की व्यवस्था का अंदाजा लगा सकते हैं, इस गांव के एक स्कूल में 4 बच्चों के पिछे 2 शिक्षक और 23 बच्चों के लिए 1 भी सरकारी शिक्षक नहीं हैं.

गजब का स्कूल: चार बच्चों के लिए 2 शिक्षक, 23 बच्चों के लिए 1 भी सरकारी शिक्षक नहीं
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By Anjali Vaishnav

MP News: मध्यप्रदेश के बालाघाट से शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाने की तस्वीर सामने आई है, जहां एक ही गांव दो सरकारी स्कूलों की हालत देखकर आप यहां की व्यवस्था का अंदाजा लगा सकते हैं, इस गांव के एक स्कूल में 4 बच्चों के पीछे 2 शिक्षक और 23 बच्चों के लिए 1 भी सरकारी शिक्षक नहीं हैं.

दरअसल पूरा मामला मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले के कटंगी विकासखंड में स्थित टेकाड़ी सरकारी स्कूल का है जहां शिक्षा व्यवस्था की हालत देखकर कोई भी हैरान रह जाएगा. इस एकीकृत शासकीय स्कूल में पहली से आठवीं तक की कक्षाएं संचालित होती हैं, लेकिन यहां की हकीकत सरकारी दावों की पोल खोलती नजर आ रही है.

प्राथमिक की स्थिति चिंताजनक

प्राथमिक कक्षाओं की स्थिति बेहद चिंताजनक है. स्कूल में कक्षा पहली में एक छात्र नामांकित है, दूसरी और चौथी कक्षा पूरी तरह खाली हैं, जबकि तीसरी और पांचवीं कक्षा में एक-एक छात्र हैं. इससे साफ है कि गांव के लोग अब अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में भेजना नहीं चाहते.

माध्यमिक कक्षाओं में हैं कुल 23 छात्र

माध्यमिक कक्षाओं में कुल 23 छात्र हैं छठवीं में 6, सातवीं में 9 और आठवीं में 8 लेकिन इन छात्रों को पढ़ाने के लिए एक भी स्थायी शिक्षक तैनात नहीं है. पढ़ाई की पूरी जिम्मेदारी अतिथि शिक्षकों पर है, जो अस्थायी रूप से कार्यरत हैं. सरकार के नियमों के अनुसार, 60 बच्चों पर दो शिक्षक अनिवार्य हैं, लेकिन जब बच्चों की संख्या कम हो और स्कूल को एकीकृत माना जाए, तो यह नियम भी बेकार हो जाता है.

कहा जाता है भात खाया स्कूल

स्थानीय लोग मानते हैं कि सरकार की योजनाएं जैसे मध्यान्ह भोजन तो चलती हैं, लेकिन शिक्षा कहीं पीछे छूट गई है. इस कारण सरकारी स्कूलों को भात खाया स्कूल कहा जाने लगा है. स्थिति यह है कि यहां खुद सरकारी कर्मचारी भी अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में भेजना ज्यादा बेहतर समझते हैं. यह संकट सिर्फ एक स्कूल या गांव का नहीं, बल्कि पूरे बालाघाट जिले की शिक्षा व्यवस्था की हकीकत उजागर करता है. देखना होगा आगे प्रशासन इस पर क्या कार्रवाई करती है.

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