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MP News: 8 साल की बच्ची को पुलिस विभाग में मिली सरकारी नौकरी, SP ने सौंपा ज्वाइनिंग लेटर, जानिये कितनी होगी सैलरी

उज्जैन में 8 साल की बच्ची को पुलिस विभाग में नौकरी मिली है, हैरानी हुई ना? मगर ये हकीकत है। खुद पुलिस अधीक्षक ने बच्ची को ज्वानिंग लेटर सौंपा है। इसमें सैलरी से लेकर सब कुछ बताया गया है। क्या है ये पूरा मामला चलिए जानते हैं।

MP News: 8 साल की बच्ची को पुलिस विभाग में मिली सरकारी नौकरी, SP ने सौंपा ज्वाइनिंग लेटर, जानिये कितनी होगी सैलरी
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By Ashish Kumar Goswami

भोपाल। मध्य प्रदेश के उज्जैन में पुलिस विभाग की एक पहल ने सबको भावुक कर दिया है। यहां चौथी कक्षा में पढ़ने वाली 8 साल की एक बच्ची को उसके दिवंगत पिता की जगह पुलिस विभाग में नौकरी दी गई है। यह बच्ची अब 'बाल आरक्षक' बन गई है और उसके 18 साल के होने तक उसे हर महीने वेतन भी मिलेगा।

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, महाकाल थाने में कार्यरत प्रधान आरक्षक देवेंद्र सिंह रघुवंशी का 17 मई 2025 को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। उनके परिवार पर अचानक दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। परिवार के भरण-पोषण की चिंता को देखते हुए उनकी 8 साल की बेटी ईच्छा रघुवंशी ने, जो अभी चौथी कक्षा में पढ़ती है, अपने पिता की जगह नौकरी के लिए आवेदन किया।

यह आवेदन उज्जैन के एसपी प्रदीप शर्मा के सामने रखा गया। एसपी ने संवेदनशीलता दिखाते हुए इस आवेदन को महज 25 मिनट के अंदर स्वीकार कर लिया और तुरंत ईच्छा को 'बाल आरक्षक' के पद पर नियुक्ति पत्र सौंप दिया।

क्या होते हैं बाल आरक्षक?

पुलिस विभाग के नियमों के अनुसार, अगर किसी पुलिसकर्मी की असामयिक मृत्यु हो जाती है और उनके परिवार में कोई भी वयस्क सदस्य नहीं होता, तो उनके नाबालिग बच्चों को 'बाल आरक्षक' बनाया जाता है। यह नियुक्ति परिवार को आर्थिक मदद देने के लिए की जाती है।

बाल आरक्षक 18 साल के होने तक पढ़ाई के साथ-साथ पुलिस विभाग के छोटे-मोटे काम करते हैं। इस दौरान वे पुलिस के अनुशासन और कामकाज को समझते हैं। 18 साल की उम्र पूरी होने और 10वीं कक्षा पास करने के बाद उन्हें स्थायी आरक्षक के पद पर नियुक्त कर दिया जाता है।

मिलेगी 15 हजार से ज़्यादा की सैलरी

ईच्छा को अभी नव आरक्षक के आधे वेतन के बराबर सैलरी मिलेगी। अधिकारियों के मुताबिक, उसे हर महीने 15,113 रुपये का वेतन मिलेगा। साथ ही, उसे महीने में एक बार थाने आकर हाजिरी लगानी होगी, जहां उसकी पढ़ाई-लिखाई के बारे में भी पूछा जाएगा। जब वह 18 साल की हो जाएगी और 10वीं पास कर लेगी, तो उसे स्थायी आरक्षक बना दिया जाएगा। तब तक उसके पिता की पेंशन उसकी मां को मिलती रहेगी।

एसपी प्रदीप शर्मा ने बताया कि, ऐसे मामलों को प्राथमिकता पर हल किया जाता है ताकि दिवंगत पुलिसकर्मी के परिवार को जल्द से जल्द आर्थिक सहायता मिल सके।

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