MP में आयकर विभाग का छापा: भोपाल, इंदौर समेत 30 से ज्यादा ठिकानों पर रेड, 250 करोड़ की टैक्स चोरी से जुड़ा मामला
मध्य प्रदेश के भोपाल और इंदौर जिले में आज आयकर विभाग ने बड़ी छापेमार कार्रवाई करते हुए 250 करोड़ रुपये से ज्यादा की टैक्स चोरी का खुलासा किया है। यह छापेमार कार्रवाई भोपाल, इंदौर और मुंबई सहित 30 से ज्यादा ठिकानों पर किया गया, जिसमें कई चौंकाने वाले साक्ष्य सामने आये है।

भोपाल। मध्य प्रदेश के भोपाल और इंदौर जिले में आज आयकर विभाग ने बड़ी छापेमार कार्रवाई करते हुए 250 करोड़ रुपये से ज्यादा की टैक्स चोरी का खुलासा किया है। यह छापेमार कार्रवाई भोपाल, इंदौर और मुंबई सहित 30 से ज्यादा ठिकानों पर किया गया, जिसमें कई चौंकाने वाले साक्ष्य सामने आये है।
क्या है पूरा मामला ?
आयकर विभाग की टीम ने भोपाल की साइंस हाउस मेडिकल प्राइवेट लिमिटेड (SHMPL), इंदौर के डीसेंट मेडिकल्स, और मेडिकल डिवाइस सप्लायर राजेश गुप्ता के ठिकानों पर छापा मारा। इन सभी पर फर्जी बिलिंग (bogus billing) के जरिए भारी मात्रा में टैक्स चोरी करने का आरोप है।
प्रमुख खुलासे
राजेश गुप्ता: मेडिकल डिवाइस सप्लायर राजेश गुप्ता के यहां से अकेले 100 करोड़ रुपये से अधिक की फर्जी बिलिंग के दस्तावेज मिले हैं। इसके अलावा, टीम ने 12 लाख रुपये नकद और एक सीलबंद लॉकर भी जब्त किया है, जिसे जल्द ही खोला जाएगा। जांच में यह भी पता चला है कि, गुप्ता ने युगांडा जैसे विदेशी देशों में भी निवेश किया है और रियल एस्टेट में भी बड़ी रकम खपाई है।
साइंस हाउस और डीसेंट मेडिकल्स: इन दोनों कंपनियों से मिलकर 150 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी के सबूत मिले हैं। छापेमारी के दौरान 2 करोड़ रुपये नकद भी जब्त किए गए हैं। इंदौर में डीसेंट मेडिकल्स के ठिकानों पर अभी भी जांच जारी है।
कैसे हो रही थी टैक्स चोरी?
जांच से पता चला है कि यह पूरा रैकेट फर्जी बिलिंग पर आधारित था। ये कंपनियां दूसरे राज्यों और देशों से मेडिकल डिवाइस कम कीमत पर मंगाती थीं और फिर फर्जी बिलों के जरिए उन्हें बहुत ऊंची कीमतों पर बेचकर मुनाफा कमाती थीं। इस तरह, वे सरकार को भारी राजस्व का नुकसान पहुंचा रहे थे।
दस्तावेजों से होंगे बड़े खुलासे
आयकर विभाग का कहना है कि, यह जांच अभी कुछ दिन और चलेगी। टीम अभी भी सभी दस्तावेजों की जांच कर रही है और उम्मीद है कि इस पूरे मामले में और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं। कुछ सूत्रों के अनुसार, इस पूरे फर्जीवाड़े के तार स्वास्थ्य विभाग के टेंडरों से भी जुड़े हो सकते हैं और इसमें कुछ वरिष्ठ अधिकारियों की संलिप्तता की भी आशंका है।
