MP Promotion Policy 2025: सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों के लिए खुशखबरी, 9 साल बाद मिलेगा प्रमोशन, पदोन्नति नीति को मिली मंजूरी
MP Promotion Policy 2025:

MP Promotion Policy 2025
MP Promotion Policy 2025: मध्य प्रदेश के कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए खुशखबरी है. आखिरकार 9 साल के लंबे इंतजार के बाद प्रमोशन का तोहफा मिला है. मंगलवार को हुई कैबिनेट मीटिंग में प्रमोशन नीति(Promotion Policy) को मंजूरी मिल गई है.
नयी प्रमोशन नीति को मिली मंजूरी
मंगलवार को मुख्यमंत्री मोहन यादव के अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक हुई. कैबिनेट की बैठक में कई अहम फैसले लिए गए हैं. कैबिनेट ने सबसे बड़ी सौगात प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों को दी है. कैबिनेट मीटिंग में प्रमोशन नीति को मंजूरी मिल गई है. करीब 9 साल बाद कर्मचारियों और अधिकारियों को पदोन्नति दी जाएगी. वरिष्ठता के तहत मेरिट के आधार पर कर्मचारियों और अधिकारियों का प्रमोशन किया जाएगा.
प्रमोशन नीति में रखा गया है आरक्षण का ध्यान
प्रमोशन नीति में आरक्षण का ध्यान रखा गया है. इसमें SC-ST सहित सभी वर्ग के कर्मचारियों-अधिकारियों के हितों का ध्यान रखा गया है. अनुसूचित जनजाति के लिये 20% एवं अनुसूचित जाति के लिये 16% आरक्षण का प्रावधान किया गया है. पदोन्नति के सूत्र में वरिष्ठता का पर्याप्त ध्यान रखा गया है.वरिष्ठ लोक सेवकों में से मेरिट के अनुसार न्यूनतम अंक लाने वाले लोक सेवक पदोन्नति के लिए पात्र होंगे, प्रथम श्रेणी के लोक सेवकों के लिए merit cum seniority का प्रावधान किया गया है. नवीन पदोन्नति नियमो में परिभ्रमण की व्यवस्था समाप्त की गई है। इससे पदोन्नति के लिए अधिक पद हो सकेंगे. पदोन्नति समिति को शासकीय सेवक की उपयुक्तता निर्धारण करने का अधिकार दिया गया है.
अर्हकारी सेवा के लिए किसी वर्ष में की गई आंशिक सेवा को भी पूर्ण वर्ष की सेवा माना जायेगा, यदि वर्ष के एक भाग की सेवा भी की गई है तो उसे पूर्ण वर्ष की सेवा माना जाएगा। यदि किसी वर्ष में 6 माह का ही गोपनीय प्रतिवेदन उपलब्ध है तो उसे पूर्ण वर्ष के लिये मान्य किया जा सकेगा. यदि गोपनीय प्रतिवेदन उपलब्ध नहीं होने के कारण किसी की पदोन्नति रुकती है तो उसे पदोन्नति प्राप्त होने पर पूरी वरिष्ठता दी जायेगी। अप्रत्याशित रिक्तियों को चयन सूची/प्रतीक्षा सूची से भरे जाने का स्पष्ट प्रावधान किया गया है.
प्रतिनियुक्ति पर भेजे गए शासकीय सेवक (जो आगामी वर्ष अर्थात पदोन्नति वर्ष में उपलब्ध नहीं होंगे) के पद के विरुद्ध पदोन्नति का प्रावधान किया गया है। गोपनीय प्रतिवेदनों में से यदि कोई गोपनीय प्रतिवेदन एन.आर.सी (नो रिपोर्ट सर्टिफिकेट), सक्षम स्तर से स्वीकृत अवकाश, पदग्रहण काल अथवा प्रशिक्षण के कारण है अथवा गोपनीय प्रतिवेदन में निर्धारित समय पर स्वमूल्यांकन के साक्ष्य है तो ऐसी स्थिति में गोपनीय प्रतिवेदन की अनुपलब्धता के आधार पर पदोन्नति नहीं रोकी जायेगी.
करीब 2 लाख पदों पर भर्ती की जायेगी
इसके अलावा पदोन्नति के बाद शासकीय सेवाओं में करीब 2 लाख पद खाली हो जाएंगे. इन खाली पदों पर भर्ती की जायेगी. इस प्रमोशन नीति से सरकारी कर्मचारियों-अधिकारियों में ख़ुशी की लहर है.
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने क्या कहा
प्रमोशन नीति को लेकर मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा, कि मंत्रि-परिषद की बैठक में मंगलवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है. इसमें मध्यप्रदेश के सभी शासकीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखते हुए पदोन्नति के लंबित मसले को मंजूरी दे दी गई है. मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सोशल मीडिया 'एक्स' पर कहा कि राज्य सरकार ने प्रदेश के कर्मचारियों-अधिकारी के 9 साल से लंबित पदोन्नति के मामले का निराकरण किया है. इसमें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति सहित सभी वर्गों के शासकीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों के हितों का समुचित ध्यान रखा गया है.मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि अधिकारियों एवं कर्मचारियों की पदोन्नति होने के बाद शासकीय सेवाओं में 2 लाख पद रिक्त होंगे और तत्पश्चात इन रिक्त पदों पर भर्तियों की संभावना बनेगी.
