Begin typing your search above and press return to search.

MP की सियासत में वंशवाद का दबदबा: पॉलिटिकल फैमिली से हर चौथा सांसद-विधायक, इस रिपोर्ट में हुए चौंकाने वाले खुलासे

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानी एडीआर की रिपोर्ट में सामने आया है कि मध्यप्रदेश के 57 नेता राजनीतिक परिवारों से आते हैं।

MP की सियासत में वंशवाद का दबदबा: पॉलिटिकल फैमिली से हर चौथा सांसद-विधायक, इस रिपोर्ट में हुए चौंकाने वाले खुलासे
X

ADR Report on Madhya Pradesh Politicians (NPG file photo)

By Ashish Kumar Goswami

भोपाल। मध्यप्रदेश की राजनीति में अक्सर परिवारवाद और वंशवाद की चर्चाएं होती रहती हैं। सियासी गलियारों में यह सवाल हमेशा उठता है कि, क्या राजनीति में विरासत से आए लोगों का दबदबा बढ़ता जा रहा है? इसी सवाल का जवाब ढूंढने के लिए एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने एक चौंकाने वाली रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट ने खुलासा किया है कि मध्यप्रदेश में हर चौथा सांसद और विधायक किसी न किसी राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखता है।

एडीआर ने राज्य के कुल 270 सांसद और विधायकों का विश्लेषण किया, जिसमें 230 विधायक, 29 लोकसभा सांसद और 11 राज्यसभा सांसद शामिल थे। रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें से 57 जनप्रतिनिधि यानी करीब 21 प्रतिशत लोग वंशवादी राजनीति को आगे बढ़ा रहे हैं। वंशवाद के मामले में मध्यप्रदेश पूरे देश में छठवें नंबर पर है। इन 57 जनप्रतिनिधियों में 41 पुरुष और 16 महिला नेता शामिल हैं।

सत्ताधारी बीजेपी में भी वंशवाद का असर

रिपोर्ट बताती है कि सत्ताधारी पार्टी बीजेपी में भी वंशवाद का बोलबाला है। पार्टी के 163 विधायकों में से 28 विधायक ऐसे हैं, जिन्हें राजनीति विरासत में मिली है। इनमें कई बड़े और चर्चित नाम शामिल हैं।

जैसे, प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री विश्वास सारंग के पिता कैलाश सारंग बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में से थे और राज्यसभा सांसद भी रहे। पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर की बहू कृष्णा गौर गोविंदपुरा सीट से विधायक हैं। बैतूल से विधायक हेमंत खंडेलवाल के पिता विजय खंडेलवाल सांसद रह चुके हैं। इसी तरह, त्योंथर से विधायक सिद्धार्थ तिवारी के पिता सुंदरलाल तिवारी सांसद और दादा श्रीनिवास तिवारी विधानसभा अध्यक्ष रहे थे।

पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा की राजनीतिक विरासत उनके भतीजे सुरेंद्र पटवा संभाल रहे हैं। वहीं, रामपुर बाघेलान से विधायक विक्रम सिंह का परिवार तो कई पीढ़ियों से राजनीति में है। उनके परबाबा अवधेश प्रताप सिंह विंध्य प्रदेश के पहले प्रधानमंत्री थे और दादा गोविंद नारायण सिंह मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।

इसके अलावा, मालिनी गौड़, उमाकांत शर्मा, प्रतिमा बागरी, अशोक रोहाणी, संजय पाठक, ओमप्रकाश सकलेचा, दिव्यराज सिंह और अर्चना चिटनिस जैसे कई और बीजेपी विधायक भी हैं जो राजनीतिक परिवारों से आते हैं।

कांग्रेस भी वंशवाद की दौड़ में रही आगे

वंशवाद की इस दौड़ में कांग्रेस भी पीछे नहीं है। पार्टी के 63 विधायकों में से 20 विधायक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हैं। दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह राघोगढ़ सीट से तीसरी पीढ़ी की राजनीति को आगे बढ़ा रहे हैं। वह आज कांग्रेस के सबसे सक्रिय नेताओं में से एक हैं।

इसी तरह, चुरहट से विधायक अजय सिंह, जो पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के बेटे हैं, कांग्रेस के एक बड़े नेता माने जाते हैं। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार की चाची जमुना देवी उपमुख्यमंत्री रह चुकी हैं।

पूर्व मंत्री कांतिलाल भूरिया के बेटे विक्रांत भूरिया, सत्यदेव कटारे के बेटे हेमंत कटारे और सुखलाल कुशवाहा के बेटे सिद्धार्थ कुशवाह जैसे युवा चेहरे भी अपने परिवार की राजनीतिक विरासत को संभाल रहे हैं। इनके अलावा, सचिन यादव, नितेंद्र राठौर, रजनीश सिंह और झूमा सोलंकी जैसे कई और नाम भी इस सूची में शामिल हैं।

सांसदों में भी परिवारवाद का दबदबा

एडीआर की रिपोर्ट बताती है कि सांसदों में भी परिवारवाद का गहरा असर है। मध्य प्रदेश से कुल 29 लोकसभा और 11 राज्यसभा सांसद हैं, जिनमें से 9 सांसद सियासी परिवारों से आते हैं।

लोकसभा में, बीजेपी ने भले ही सभी 29 सीटें जीती हों, लेकिन इनमें से 5 सांसद वंशवादी पृष्ठभूमि से हैं। इनमें ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम सबसे ऊपर है। उनका पूरा परिवार, जिसमें उनके पिता माधवराव सिंधिया, दादी विजयाराजे सिंधिया और बुआ यशोधरा राजे सिंधिया भी शामिल हैं, राजनीति में सक्रिय रहे हैं। इसके अलावा, भारती पारधी, अनिता नागर सिंह चौहान, लता वानखेड़े और हिमाद्री सिंह भी अपने परिवारों की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रही हैं।

राज्यसभा में 11 में से 4 सांसद राजनीतिक परिवारों से हैं। कांग्रेस के दिग्विजय सिंह और अशोक सिंह इस सूची में हैं। वहीं, बीजेपी से सुमेर सिंह सोलंकी और कविता पाटीदार भी वंशवादी राजनीति का हिस्सा हैं। कविता पाटीदार के पिता भेरूलाल पाटीदार चार बार विधायक और विधानसभा के उपाध्यक्ष रह चुके हैं।

Next Story