MP Higher Education New Rules : PG छात्रों के लिए बड़ा बदलाव : MA, MCom, MSc के पासिंग नियम बदले, अब थ्योरी और इंटरनल में फेल होने पर क्या होगा? जानें उच्च शिक्षा का नया रुल
MP Higher Education New Rules : मध्य प्रदेश में उच्च शिक्षा की पढ़ाई कर रहे पोस्ट ग्रेजुएशन के विद्यार्थियों के लिए एक बड़ा और निर्णायक बदलाव लागू किया गया है।

MP Higher Education New Rules : PG छात्रों के लिए बड़ा बदलाव : MA, MCom, MSc के पासिंग नियम बदले, अब थ्योरी और इंटरनल में फेल होने पर क्या होगा? जानें उच्च शिक्षा का नया रुल
MP Higher Education New Rules : भोपाल, मध्य प्रदेश। मध्य प्रदेश में उच्च शिक्षा की पढ़ाई कर रहे पोस्ट ग्रेजुएशन के विद्यार्थियों के लिए एक बड़ा और निर्णायक बदलाव लागू किया गया है। शैक्षणिक सत्र 2025-26 से MA, MCom और MSc के छात्रों को पास होने के लिए अब ज्यादा सख्ती से तैयारी करनी होगी, क्योंकि उच्च शिक्षा विभाग ने एक नई मार्किंग पॉलिसी जारी की है। इस नई व्यवस्था के तहत, विद्यार्थियों को अब थ्योरी परीक्षा और इंटरनल असेसमेंट दोनों में अलग-अलग पास होना अनिवार्य होगा।
MP Higher Education New Rules : यह बदलाव छात्रों के परीक्षा परिणामों और अध्ययन के तरीके पर गहरा असर डालेगा, जिसका उद्देश्य छात्रों को केवल कुल अंकों के आधार पर पास होने की बजाय, विषय की गहन समझ विकसित करने के लिए प्रेरित करना है।
पुराना और नया पैटर्न
अब तक, पोस्ट ग्रेजुएशन की परीक्षाओं में कुल 100 अंकों का पेपर होता था, जिसमें 85 अंक थ्योरी के लिए और 15 अंक इंटरनल मूल्यांकन के लिए निर्धारित होते थे। विद्यार्थी को पास होने के लिए कुल अंकों के आधार पर ही सफल माना जाता था। यानी, यदि कोई छात्र थ्योरी में कमज़ोर होता था, तो इंटरनल में अच्छे नंबर लाकर आसानी से पास हो जाता था।
नई मार्किंग पॉलिसी
अब तक, पोस्ट ग्रेजुएशन की परीक्षाओं में कुल 100 अंकों का पेपर होता था, जिसमें 85 अंक थ्योरी के लिए और 15 अंक इंटरनल मूल्यांकन के लिए निर्धारित होते थे। विद्यार्थी को पास होने के लिए कुल अंकों के आधार पर ही सफल माना जाता था। हालांकि, नई व्यवस्था में पासिंग क्राइटेरिया को पूरी तरह बदल दिया गया है। अब 100 अंकों के पेपर में थ्योरी के लिए 60 अंक और इंटरनल के लिए 40 अंक निर्धारित किए गए हैं। सबसे महत्वपूर्ण बदलाव यह है कि छात्रों को थ्योरी के 60 अंकों में से न्यूनतम 24 अंक और इंटरनल के 40 अंकों में से न्यूनतम 16 अंक लाना अनिवार्य होगा। यानी, अब कुल अंकों के पासिंग अंक मान्य नहीं होंगे, विद्यार्थी को दोनों में अलग-अलग पास होना आवश्यक है। यह बदलाव छात्रों को केवल कुल अंकों के आधार पर पास होने की बजाय, विषय की गहन समझ विकसित करने के लिए प्रेरित करेगा।
इस बदलाव का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि अब कुल अंकों के पासिंग अंक मान्य नहीं होंगे। प्रत्येक छात्र को थ्योरी और इंटरनल, दोनों में निर्धारित न्यूनतम अंक प्राप्त करने ही होंगे।
MA और MCom के लिए बढ़ी चुनौती
विशेषज्ञों का मानना है कि यह नई नीति विशेष रूप से MA (कला) और MCom (वाणिज्य) के विद्यार्थियों के लिए एक बड़ी चुनौती लेकर आई है। इन दोनों पाठ्यक्रमों में चार थ्योरी पेपर होते हैं।
पुराने सिस्टम में जो विद्यार्थी इंटरनल असेसमेंट (जैसे असाइनमेंट, सेमिनार आदि) में अच्छे अंक प्राप्त करके थ्योरी की कमी को पूरा कर लेते थे, उन्हें अब थ्योरी में पास होने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी। चार थ्योरी पेपर होने के कारण, यह आशंका जताई जा रही है कि यदि छात्र थ्योरी पर पर्याप्त ध्यान नहीं देंगे, तो फेल होने वाले विद्यार्थियों की संख्या बढ़ सकती है। छात्रों को अब दोनों क्षेत्रों में संतुलित तैयारी करनी होगी।
MSc के रिजल्ट में सुधार की उम्मीद
वहीं, इस नई पॉलिसी से MSc (विज्ञान) के विद्यार्थियों को सबसे ज़्यादा फायदा होने की उम्मीद है। अब MSc में चार थ्योरी पेपर की बजाय केवल दो थ्योरी पेपर और दो प्रैक्टिकल रखे गए हैं।
चूंकि प्रैक्टिकल विषयों में छात्रों का प्रदर्शन आम तौर पर थ्योरी की तुलना में बेहतर होता है, इसलिए यह संभावना है कि प्रैक्टिकल के अच्छे अंकों के कारण MSc का ओवरऑल रिजल्ट बढ़ सकता है। अब तक MSc का परिणाम कई बार निराशाजनक रहा था, लेकिन इस नए पैटर्न से न केवल पास प्रतिशत में सुधार होगा, बल्कि छात्रों को अपने विषय के व्यावहारिक ज्ञान पर अधिक ध्यान केंद्रित करने का अवसर भी मिलेगा।
