NPG Explainer: : अब गायों की भी लगेगी E-Attendance| जानिए कैसे काम करेगी सरकार की माइक्रो-चिप योजना?
MP सरकार ने गौशालाओं में पारदर्शिता के लिए नई योजना शुरू की है। हर गाय के शरीर में लगेगी माइक्रो-चिप, जिससे उसकी उपस्थिति, सेहत और दूध उत्पादन का पूरा डिजिटल रिकॉर्ड बनेगा।

मध्य प्रदेश सरकार अब पशुपालन के क्षेत्र में एक अनोखी तकनीकी पहल करने जा रही है। जिस तरह स्कूलों, कॉलेजों और सरकारी दफ्तरों में ई-अटेंडेंस सिस्टम लगाया गया है, उसी तर्ज पर अब राज्य की गायों की भी डिजिटल हाजिरी दर्ज की जाएगी। सरकार का कहना है इस व्यवस्था से गौशालाओं में पारदर्शिता आएगी, फर्जीवाड़े पर रोक लगेगी और हर गाय का डिजिटल रिकॉर्ड बन सकेगा।
क्या है सरकार की नई योजना
राज्य के पशुपालन और डेयरी विभाग ने एक योजना तैयार की है जिसके तहत करीब 4.5 लाख गायों के शरीर में एक माइक्रो-चिप लगाई जाएगी। यह चिप एक खास इंजेक्शन के जरिए गाय के कंधे पर डाली जाएगी और इसमें गाय से जुड़ी कई अहम जानकारियां दर्ज होंगी...
गाय की नस्ल और उम्र
स्वास्थ्य की स्थिति
गर्भावस्था का रिकॉर्ड
दूध उत्पादन की क्षमता
गौशाला में आने की तारीख
लोकेशन और उपस्थिति डेटा
सरकार इस डिजिटल डेटा के आधार पर यह ट्रैक कर सकेगी कि कौन-सी गाय किस दिन मौजूद थी, गाय की सेहत कैसी है, और अगर कोई गाय लापता होती है तो उसकी रिपोर्ट तुरंत सिस्टम में दिखाई दे जाएगी।
कैसे काम करेगी यह माइक्रो-चिप प्रणाली
यह माइक्रो-चिप पूरी तरह सुरक्षित बताई जा रही है और इससे जानवरों को कोई नुकसान नहीं होगा।प्रत्येक गौशाला संचालक को एक हैंडहेल्ड स्कैनर डिवाइस दी जाएगी। स्कैन करते ही गाय की पहचान का डेटा ऑनलाइन सर्वर पर अपलोड हो जाएगा। यह डेटा राज्य सरकार के सेंट्रल सॉफ्टवेयर में सुरक्षित रहेगा और कोई भी बदलाव या छेड़छाड़ संभव नहीं होगी। पूरे राज्य की गौशालाओं को एक इंटीग्रेटेड डिजिटल नेटवर्क से जोड़ा जाएगा, जिससे रिपोर्टिंग और मॉनिटरिंग में पारदर्शिता आएगी।
पुराने पीले टैग की जगह अब स्थायी डिजिटल रिकॉर्ड
पहले गायों की पहचान के लिए उनके कानों में पीले टैग लगाए जाते थे। लेकिन इन्हें आसानी से हटाया या बदल दिया जाता था, जिससे कई गौशालाओं में फर्जीवाड़े के मामले सामने आते थे गायों की संख्या बढ़ाकर सरकारी अनुदान का गलत फायदा उठाया जाता था। कई बार दुधारू गायों को मृत घोषित कर बीमा राशि ले ली जाती थी। नई माइक्रो-चिप सिस्टम से हर गाय का स्थायी रिकॉर्ड बन जाएगा, जिससे ऐसी गड़बड़ियों पर अब रोक लग सकेगी।
क्या है सरकार की राय
मध्य प्रदेश के पशुपालन मंत्री लखन पटेल ने कहा यह राज्य में गौ-प्रबंधन के डिजिटलीकरण की दिशा में बड़ा कदम है। आने वाले समय में हर गौशाला को इस तकनीक से जोड़ा जाएगा। गौ-संवर्धन बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद ने भी इस कदम का स्वागत किया। उन्होंने कहा पहले स्कूलों में रजिस्टर में हाजिरी लगती थी, अब गायों की हाजिरी डिजिटल फॉर्म में लगेगी। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और धोखाधड़ी पर रोक लगेगी।
गौशालाओं को मिलेगा दोगुना अनुदान
सरकार ने गौशालाओं को मिलने वाली आर्थिक सहायता में भी बढ़ोतरी की है। अब प्रति गाय अनुदान राशि 20 से बढ़ाकर 40 प्रतिदिन कर दी गई है। इस फैसले से राज्य सरकार पर सालाना लगभग 450 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ आएगा, लेकिन सरकार का मानना है कि यह निवेश पशु कल्याण और डिजिटल पारदर्शिता के लिए जरूरी है।
टेक्नोलॉजी से बदलेगा गौ-प्रबंधन
मध्य प्रदेश की यह पहल पशुपालन को तकनीकी रूप से सशक्त बनाने की दिशा में एक नया अध्याय खोल सकती है। अगर यह मॉडल सफल रहा तो देश के अन्य राज्य भी इसे अपनाने की तैयारी कर सकते हैं। यह योजना न सिर्फ गायों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी बल्कि डिजिटल इंडिया के मिशन को गांव-गांव तक ले जाने में मदद करेगी।
