MP Bijli Bill Hike : जनता को फिर लगने जा रहा बिजली का जोरदार झटका — कंपनियों ने माँगा 10% टैरिफ हाइक, जानें अब क्या होगा...कितना बोझ बढ़ेगा आप पर
MP Bijli Bill Hike : मध्य प्रदेश के करोड़ों बिजली उपभोक्ताओं को अगले वित्तीय वर्ष (2026-27) में बिजली के बिल पर एक और बड़ा झटका लग सकता है।

MP Bijli Bill Hike : जनता को फिर लगने जा रहा बिजली का जोरदार झटका — कंपनियों ने माँगा 10% टैरिफ हाइक, जानें अब क्या होगा...कितना बोझ बढ़ेगा आप पर
MP Bijli Bill Hike : जबलपुर। मध्य प्रदेश के करोड़ों बिजली उपभोक्ताओं को अगले वित्तीय वर्ष (2026-27) में बिजली के बिल पर एक और बड़ा झटका लग सकता है। राज्य की बिजली कंपनियों ने घाटे का हवाला देते हुए बिजली दरों (टैरिफ) में सीधे 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी करने का प्रस्ताव विद्युत नियामक आयोग के समक्ष पेश किया है। इस प्रस्ताव पर आज, 11 दिसंबर को विद्युत नियामक आयोग ने प्रारंभिक सुनवाई पूरी कर ली है। अब अगला चरण जनसुनवाई का होगा, जिसमें आम जनता और हितधारकों के सुझाव लिए जाएंगे।
MP Bijli Bill Hike : वित्त वर्ष 2026-27 से लागू करने की तैयारी
यह याचिका मध्यप्रदेश पॉवर मैनेजमेंट कंपनी और राज्य की तीनों विद्युत वितरण कंपनियों (पूर्व, मध्य और पश्चिम क्षेत्र) द्वारा संयुक्त रूप से दायर की गई है। कंपनियों का दावा है कि बढ़ते परिचालन लागत और कथित घाटे को पाटने के लिए टैरिफ में यह वृद्धि आवश्यक है। कंपनियों ने वित्त वर्ष 2026-27 से ये बढ़ी हुई दरें लागू करने का प्रस्ताव दिया है। अगर विद्युत नियामक आयोग इस प्रस्ताव को मंजूरी दे देता है, तो नई दरें 1 अप्रैल 2026 से प्रभावी हो जाएंगी, जिससे राज्य के उपभोक्ताओं पर सीधा आर्थिक बोझ पड़ेगा।
कोयले पर GST घटने के बावजूद घाटा
बिजली मामलों के जानकार राजेंद्र अग्रवाल ने इस प्रस्ताव पर चिंता जताते हुए जानकारी दी कि यह बढ़ोतरी ऐसे समय में माँगी जा रही है जब कोयले पर जीएसटी दरें हाल ही में घटाई गई हैं। जीएसटी घटने से कंपनियों की इनपुट कॉस्ट में कुछ कमी आनी चाहिए थी, लेकिन इसके बावजूद कंपनियों द्वारा बड़े घाटे का दावा किया जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि कंपनियों को पहले अपनी कार्यप्रणाली में सुधार और वितरण हानियों को कम करने पर ध्यान देना चाहिए, न कि तुरंत टैरिफ बढ़ाकर इसका बोझ उपभोक्ताओं पर डालना चाहिए। नियामक आयोग अब इस पूरे मामले की वित्तीय और तकनीकी पहलुओं पर विस्तृत समीक्षा करेगा, जिसके बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
