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MP में 'कार्बाइड गन' का कहर! 200 से अधिक लोगों की आखें हुई खराब; दीवाली की खुशियां मातम में बदली..जानें पूरा मामला

MP Carbide Gun Cases: मध्य प्रदेश में कार्बाइड गन ने खूब जमकर अपना कहर बरपाया है। प्रदेश में अब तक तक़रीबन 200 से अधिक लोगों की आखें बुरी तरह खराब हो गई है। जिसके बाद प्रशासन ने सख्ती दिखाते हुए इसकी बिक्री करने पर रोक लगा दी है।

MP में कार्बाइड गन का कहर! 200 से अधिक लोगों की आखें हुई खराब; दीवाली की खुशियां मातम में बदली..जानें पूरा मामला
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MP Carbide Gun Cases

By Ashish Kumar Goswami

भोपाल। दीपावली के मौके पर एक खतरनाक 'फ़न ट्रेंड' ने कई घरों की खुशियाँ छीन लीं। सोशल मीडिया (इंस्टाग्राम और यूट्यूब) पर वायरल हुई देसी जुगाड़ से बनी 'कार्बाइड गन' के इस्तेमाल से पूरे मध्य प्रदेश में कहर बरपा है। भोपाल, विदिशा, ग्वालियर और इंदौर में 200 से ज़्यादा बच्चे घायल होकर अस्पताल पहुँचे हैं। कई बच्चों की आँखों की रोशनी हमेशा के लिए चली गई है, जबकि कुछ के चेहरे बुरी तरह झुलस गए हैं।

ट्रेंड बना तबाही की वजह

आपको बता दें कि, दीपावली से पहले जब देश में पटाखों से होने वाले प्रदूषण पर बहस छिड़ी थी, तब इंस्टाग्राम और यूट्यूब की रीलों में पीवीसी पाइप से बनी इस पटाखा गन को 'कूल' और 'ग्रीन पटाखा' बताकर बढ़ावा दिया जा रहा था। इसी दौरान मध्य प्रदेश के अलग-अलग जिलों में सड़क किनारे इनकी दुकानें लग गईं थी। यह गन सस्ती होने के कारण बच्चों में तेज़ी से लोकप्रिय हुई। इसे बनाने में केवल 50 रुपये का खर्च आता था और इसे 150 से 200 रुपये में बेचा जा रहा था। दुख की बात यह है कि, इस हादसे में 8 से 14 साल के बच्चों के साथ-साथ 35 साल तक के वयस्क भी घायल हुए हैं।

मासूम भुगत रहे इसका खामियाजा

आपको बता दें कि, प्रशासन की शुरुआती ढिलाई का खामियाजा अब मासूम बच्चों को भुगतना पड़ा है। अकेले भोपाल में 124 लोगों की आँखों को इस धमाके से नुकसान पहुँचा है, जिसमें से ज़्यादातर की आँखें 30 से 90 प्रतिशत तक खराब हो गई हैं। छह लोगों की हालत तो इतनी गंभीर है कि अब उन्हें 'कॉर्निया प्रत्यारोपण' (आँख की पुतली बदलने) की ज़रूरत पड़ेगी। भोपाल के अलावा विदिशा में 25, ग्वालियर संभाग में 10 और इंदौर में 6 लोगों की आँखों में गंभीर चोटें आई हैं।

क्या है यह 'कार्बाइड गन' और क्यों है खतरनाक?

जानकारी के अनुसार, यह देसी गन गैस लाइटर, प्लास्टिक पाइप और आसानी से मिलने वाले कैल्शियम कार्बाइड से बनती है। जब कैल्शियम कार्बाइड पर पानी डाला जाता है, तो उससे 'एसिटिलीन गैस' बनती है। बस थोड़ी सी चिंगारी मिलते ही ज़ोरदार धमाका होता है। सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि, पाइप प्लास्टिक का बना होता है। धमाके के बाद यह प्लास्टिक छोटे-छोटे टुकड़ों में टूटकर शरीर में घुस जाता है, जिससे आँख और चेहरे पर बहुत गंभीर चोटें आती हैं। अस्पताल में आए मरीज़ों के मुताबिक, चोटें इतनी गहरी थीं कि कई को तुरंत ऑपरेशन कराना पड़ा।

प्रशासन हुआ सख्त, बिक्री पर रोक

हादसों के बाद प्रशासन आखिरकार जागा। भोपाल कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने तुरंत कार्रवाई करते हुए बीते गुरुवार को धारा-163 के तहत कार्बाइड गन की बिक्री, खरीद और भंडारण पर तत्काल प्रभाव से पूरी तरह रोक लगा दी है। आदेश में साफ कहा गया है कि, अगर कहीं भी इसका स्टॉक मिला, तो एफ़आईआर (FIR) दर्ज की जाएगी। विदिशा में भी पुलिस ने ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए 7 विक्रेताओं को गिरफ़्तार किया है और 228 प्लास्टिक गन के साथ करीब चार किलोग्राम कैल्शियम कार्बाइड बरामद किया है।

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