Madhya Pradesh High Court: अल-फलाह यूनिवर्सिटी के फाउंडर को हाई कोर्ट से मिली राहत: पढ़िये हाई कोर्ट ने क्या कहा
Madhya Pradesh High Court: अल-फलाह यूनिवर्सिटी के फाउंडर को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट से राहत मिली है। नगर निगम के बुलडोजर कार्रवाई पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को सुनवाई का अवसर दिया जा सकता है। स्थानीय प्रशासन ने याचिकाकर्ता को 30 साल पहले अतिरिक्त निर्माण को हटाने नोटिस जारी किया था।

Madhya Pradesh High Court: जबलपुर। बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाने और सुनवाई का अवसर देने की मांग करते हुुए अब्दुल मजीद ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई के बाद सिंगल बेंच ने तोड़फोड़ की कार्रवाई पर रोक लगाते हुए याचिकाकर्ता को सुनवाई का अवसर दिया है। हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को सक्षम अथारिटी के समक्ष जरुरी दस्तावेज पेश करने का निर्देश दिया है। इसके लिए याचिकाकर्ता को 15 दिन की मोहलत दी है। विवादित प्रॉपर्टी अल-फलाह यूनिवर्सिटी के फाउंडर और अल-फलाह ग्रुप के चेयरमैन जवाद अहमद सिद्दीकी के पिता हम्माद अहमद का पुश्तैनी घर है।
याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि जिस घर के कुछ हिस्से पर आपत्ति दर्ज कराते हुए तोड़फोड़ की कार्रवाई के लिए नोटिस जारी किया है,इसके पहले स्थानीय प्रशासन की ओर से 30 साल नोटिस जारी किया गया था। इस दौरान किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई। अब दोबारा नोटिस जारी कर तोड़ने की बात कही जा रही है। सुनवाई का अवसर भी नहीं दिया जा रहा है। मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा, जिस नोटिस पर सवाल उठाया गया, उसे देखने से ऐसा लगता है कि याचिकाकर्ता को पहले भी नोटिस दिए गए, लेकिन वे साल 1996-1997 में जारी किया गया था।
अगर पिछले नोटिस जारी होने की तारीख से तकरीबन 30 साल बाद याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई कार्रवाई की जानी थी, तो उसे सुनवाई का अवसर दिया जाना चाहिए था। याचिका के अनुसार, यह घर लगभग 50 साल तक मरहूम हम्माद अहमद के खास मालिकाना हक और कब्जे में रहा है। उस समय के कैंटोनमेंट अफसर की सहमति और मंज़ूरी से घर को बनाया गया था।
हम्माद अहमद की मृत्यु के बाद परिवार के सदस्यों ने जवाद अहमद सिद्दीकी के पक्ष में एक रिलिंक्विशमेंट डीड बनाई। 2021 में हम्माद के बेटे जवाद अहमद सिद्दीकी ने प्यार और लगाव की वजह से अब्दुल मजीद के पक्ष में एक हिबानामा (मुस्लिम कानून के तहत प्रॉपर्टी ट्रांसफर करने के लिए एक गिफ्ट डीड) किया।
तीन दिन में कैसे हटेगा अतिरिक्त निर्माण
19 नवंबर, 2025 को जवाद अहमद सिद्दीकी को घर के एक खास हिस्से से ज़्यादा निर्माण का हवाला देते हुए स्थानीय प्रशासन ने हटाने के लिए नोटिस जारी किया। याचिकाकर्ता ने कहा कि तीन दिन के भीतर ज्यादा निर्माण को हटाने की मोहलत दी गई है। इतने कम समय में निर्माण को हटा पाना संभव नहीं है। याचिकाकर्ता ने कहा कि नोटिस जारी कर एक तरफा कार्रवाई की जा रही है। उसे सुनवाई का मौका भी नहीं दिया जा रहा है। याचिका के अनुसार अतिरिक्त निर्माण ना हटाने की स्थिति में अतिरिक्त निर्माण को हटाने की चेतावनी दी गई है।
नोटिस जारी करने के 29 साल तक नहीं हुई कार्रवाई
याचिकाकर्ता ने बताया कि स्थानीय प्रशासन ने 1996 में दो नोटिस जारी किया। इसके 29 साल तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। याचिकाकर्ता ने बताया कि ज़्यादा निर्माण से न तो ट्रैफिक जाम हो रहा था और न ही सड़क पर कब्ज़ा हो रहा था, जैसा कि नोटिस में कहा गया। याचिका के अनुसार प्रापर्टी गिफ्ट में मिलने के बाद अपने पूर्व की स्थिति में है। इसमें कोई अतिरिक्त निर्माण नहीं किया है। हिबानामा के बाद पूरा घर अपने पुराने स्वरुप में ही है। याचिकाकर्ता ने नोटिस को रद्द करने की मांग की है। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता को 15 दिन के भीतर सक्षम प्राधिकारी के समक्ष जरुरी दस्तावेज पेश करने का निर्देश दिया है। याचिकाकर्ता के खिलाफ जबरिया कार्रवाई ना करने का निर्देश दिया है।
