Jitu Patwari Arrested : भोपाल में हाई-वोल्टेज ड्रामा, जीतू पटवारी की गिरफ्तारी और वाटर केनन की बौछारें, नेशनल हेराल्ड केस पर आर-पार की जंग
Jitu Patwari Arrested : नेशनल हेराल्ड मामले में गांधी परिवार को मिली राहत और भाजपा के कथित षड्यंत्र के खिलाफ हल्लाबोल करने निकले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।

Jitu Patwari Arrested : भोपाल में हाई-वोल्टेज ड्रामा, जीतू पटवारी की गिरफ्तारी और वाटर केनन की बौछारें, नेशनल हेराल्ड केस पर आर-पार की जंग
Jitu Patwari Arrested : भोपाल : मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल आज एक बार फिर सियासी संग्राम का गवाह बनी। नेशनल हेराल्ड मामले में गांधी परिवार को मिली राहत और भाजपा के कथित षड्यंत्र के खिलाफ हल्लाबोल करने निकले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। भाजपा कार्यालय के घेराव की कोशिश कर रहे कांग्रेस कार्यकर्ताओं को रोकने के लिए पुलिस ने वाटर केनन (पानी की बौछारें) का इस्तेमाल किया, जिससे मौके पर भारी अफरा-तफरी मच गई।
Jitu Patwari Arrested : भाजपा दफ्तर घेरने की थी तैयारी, पुलिस ने की किलेबंदी
नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ ED की कार्रवाई को कांग्रेस 'राजनीतिक प्रतिशोध' बता रही है। इसी के विरोध में आज जीतू पटवारी की अगुआई में सैकड़ों कांग्रेसी कार्यकर्ता "तानाशाही नहीं चलेगी" के नारे लगाते हुए भाजपा कार्यालय की ओर बढ़े। पुलिस ने पहले से ही भारी बैरिकेडिंग कर रखी थी। जब कार्यकर्ता नहीं रुके, तो पुलिस ने वाटर केनन चलाकर उन्हें खदेड़ना शुरू किया और अंत में जीतू पटवारी को हिरासत में ले लिया।
कांग्रेस का आरोप : सत्य की हुई जीत, भाजपा हुई बेनकाब
गिरफ्तारी से पहले जीतू पटवारी ने हुंकार भरते हुए कहा कि भाजपा ने गांधी परिवार को जानबूझकर झूठे केस में फंसाने की कोशिश की थी, लेकिन न्यायालय से मिली राहत ने साबित कर दिया कि सत्य को परेशान किया जा सकता है, पराजित नहीं। कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग कर विपक्ष की आवाज दबाना चाहती है।
क्या है नेशनल हेराल्ड केस ?
नेशनल हेराल्ड का मामला दशकों पुराना है, जो राजनीति और बिजनेस के उलझे हुए ताने-बाने पर आधारित है।
1. इतिहास (शुरुआत): 'नेशनल हेराल्ड' एक अखबार था, जिसे 1938 में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने शुरू किया था। इसे चलाने वाली कंपनी का नाम था— एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL)। 2008 तक आते-आते यह अखबार भारी घाटे में चला गया और इस पर 90 करोड़ रुपये का कर्ज चढ़ गया।
2. विवाद की वजह (यंग इंडियन कंपनी): साल 2010 में एक नई कंपनी बनी, जिसका नाम था 'यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड'। इसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी की 76% हिस्सेदारी थी। कांग्रेस पार्टी ने अपनी ही कंपनी (AJL) का 90 करोड़ का कर्ज माफ कर दिया और बदले में 'यंग इंडियन' कंपनी ने AJL की संपत्ति पर अधिकार प्राप्त कर लिया।
3. आरोप क्या हैं? भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कोर्ट में शिकायत की कि यह महज 2000 करोड़ रुपये की संपत्ति को हड़पने का एक तरीका था। आरोप लगा कि सिर्फ 50 लाख रुपये देकर एक ऐसी कंपनी (AJL) का मालिकाना हक ले लिया गया, जिसके पास दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में बेशकीमती जमीनें और इमारतें हैं।
4. ED की एंट्री और वर्तमान स्थिति: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस मामले में 'मनी लॉन्ड्रिंग' (पैसे की हेराफेरी) की जांच शुरू की। सोनिया और राहुल गांधी से घंटों पूछताछ हुई और यंग इंडियन की कई संपत्तियों को कुर्क (Seize) भी किया गया। कांग्रेस इसे शुरू से ही राजनीतिक साजिश बताती रही है। हालिया अदालती प्रक्रियाओं और राहत के दावों ने इस मामले को फिर से सुर्खियों में ला दिया है।
