लोकायुक्त की बड़ी कार्रवाई! रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ी गई प्रिंसिपल, पुलिस ने ऐसे दबोचा
Indore Principal Bribery Case: मध्य प्रदेश के इंदौर में लोकायुक्त ने मंगलवार को एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया। सांवेर में मौजूद शासकीय स्कूल की प्रिंसिपल को 2000 रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया।

Indore Principal Bribery Case: मध्य प्रदेश के इंदौर में लोकायुक्त ने मंगलवार को एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया। सांवेर में मौजूद शासकीय स्कूल की प्रिंसिपल को 2000 रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया है। खास बात यह है कि यह रिश्वत स्कूल के एक शिक्षक की सेवा स्थाई करने के एवज में मांगी गई थी। लोकायुक्त की कार्रवाई के दौरान प्रिंसिपल खुद को बचाने की कोशिश करती रही, लेकिन रंगे हाथ पकड़े जाने के बाद उनकी नजरें झुक गई।
शिक्षक ने की शिकायत
यह मामला उस वक़्त शुरू हुआ जब शासकीय सांदीपनी मॉडल स्कूल कछालिया, सांवेर में पोस्टेड शिक्षक आशीष मारू ने लोकायुक्त से शिकायत की। शिक्षक का आरोप था कि स्कूल की प्रिंसिपल मनीषा पहाड़िया उनसे सेवा स्थाई करने के लिए रिश्वत मांग रही थीं।
शिक्षक ने बताया कि प्रिंसिपल ने फाइल जिला शिक्षा अधिकारी के दफ्तर भेजने के बदले पैसों की मांग की थी। शिकायत की गंभीरता को देखते हुए लोकायुक्त ने पहले तो इसका सत्यापन कराया। शिकायत सही साबित होने के बाद टीम ने जाल बिछाने की पलानिंग की गई।
कैसे हुआ खुलासा?
शिक्षक आशीष मारू की उच्च माध्यमिक शिक्षक वर्ग-1 के पद पर नियुक्ति 13 अक्टूबर 2021 को हुई थी। नियमानुसार उनकी परिवीक्षा अवधि (Probation Period) 13 अक्टूबर 2024 को पूरी हो चुकी थी। इसके बाद उनकी स्थाई नियुक्ति के लिए फाइल जिला शिक्षा अधिकारी के दफ्तर भेजी जानी थी।
27 जनवरी 2025 को यह फाइल संकुल प्राचार्य मनीषा पहाड़िया के पास पहुंची। आरोप है कि उन्होंने यह फाइल आगे भेजने के बदले 2000 रुपए रिश्वत की मांग की। शिक्षक ने जब रिश्वत देने से इनकार किया तो उन्होंने लोकायुक्त से शिकायत कर दी।
कैसे हुई गिरफ्तारी
लोकायुक्त की टीम ने 10 सितंबर 2025 को जाल बिछाया। शिकायतकर्ता शिक्षक से तय रकम प्रिंसिपल को दिलवाई गई और जैसे ही प्रिंसिपल ने लिफाफे में रिश्वत की राशि ली, लोकायुक्त ने उन्हें रंगेहाथों दबोच लिया। इसके बाद प्रिंसिपल को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) अधिनियम की धारा 7 के तहत केस दर्ज किया गया है।
Explainer
लोकायुक्त क्या है?
लोकायुक्त एक स्वतंत्र संस्था है, जिसका काम सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के भ्रष्टाचार की जांच करना है।
रिश्वत लेते पकड़े जाने पर क्या सजा हो सकती है?
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दोषी को 3 साल से लेकर 7 साल तक की सजा हो सकती है। गंभीर मामलों में यह सजा 10 साल तक भी जा सकती है।
धारा 7 क्या है?
यह धारा रिश्वत लेने या मांगने पर लागू होती है। इसके तहत आरोपी पर केस दर्ज कर गिरफ्तारी की जाती है।
