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IAS Sonia Meen: खबर छापने से नाराज महिला कलेक्टर ने पत्रकार की बहन से लिया बदला, जज की फटकार से भी आई थी चर्चाओं में

IAS Sonia Meen: मध्य प्रदेश कैडर की 2013 बैच की आईएएस सोनिया मीणा के खिलाफ खबर छापने से नाराज होकर पत्रकार की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बहन के खिलाफ बदले की कार्यवाही का आरोप लगा है। पत्रकार ने इसकी शिकायत प्रभारी मंत्री समेत सीएमओ के अधिकारियों से की है।

IAS Sonia Meen: खबर छापने से नाराज महिला कलेक्टर ने पत्रकार की बहन से लिया बदला, जज की फटकार से भी आई थी चर्चाओं में
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By NPG News

IAS Sonia Meen नर्मदापुरम। मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम जिले की कलेक्टर सोनिया मीणा एक बार फिर चर्चाओं में है। खबर छपने से नाराज कलेक्टर सोनिया मीणा ने खबर छपने वाले पत्रकार की बहन को परेशान करना शुरू कर दिया है। पत्रकार ने कलेक्टर सोनिया मीणा के खिलाफ जिले के प्रभारी मंत्री समेत मुख्यमंत्री कार्यालय के अफसरों को भी इस संबंध में शिकायत सौंपी है। बता दें कि सोनिया मीणा इसी वर्ष जुलाई माह में भी हाई कोर्ट जज की फटकार के बाद चर्चाओं में आई थी।

भोपाल के पत्रकार कुलदीप सिंगोरिया ने कुछ दिनों पहले नर्मदापुरम जिले में खाद के लिए परेशान किसानों पर लाठी चार्ज की खबर छापी थीं पत्रकार का आरोप है कि इससे कलेक्टर सोनिया मीणा नाराज थीं। उन्होंने खबर छपने वाले पत्रकार कुलदीप सिंगोरिया की जानकारी जुटाई। कलेक्टर को जानकारी मिली कि पत्रकार की बहन नर्मदा पुरम जिले में सिवनी मालवा तहसील के जीरावेह गांव की निवासी है। उनकी बहन ज्योति बरडिया गांव के ही आंगनवाड़ी में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के पद पर कार्यरत है। पत्रकार ने आरोप लगाया की खबर छपने के कुछ दिनों बाद वह मंत्रालय गए हुए थे और एक अधिकारी के पास बैठे थे। मेरी बहन ने मुझे एक बार फोन किया पर मैंने फोन नहीं उठाया। जब मेरी बहन ने दूसरी बार फोन किया तो किसी अनहोनी की आशंका पर मैने फोन उठा लिया। जिस पर मेरी बहन ने बताया कि तहसीलदार कीर्ति पवार जीरावेह गांव के आंगनबाड़ी केंद्र टीम लेकर पहुंची है और जांच कर रहीं है। मैंने अपनी बहन से जांच में सहयोग करने की बात कही। यह 24 अक्टूबर की बात है। जांच में सब कुछ सही मिला और टीम जरूरी कार्यवाही कर पंचनामा कर रजिस्टर आदि अवलोकन के बाद सब कुछ सही पाए जाने पर वापस लौट गई।

पत्रकार के अनुसार उन्हें इस बात की आशंका हो गई थी कि खबर छपने से नाराज कलेक्टर यह कार्यवाही करवा रही हैं। जिसके लिए उन्होंने नर्मदा पुरम जिले के प्रभारी मंत्री राकेश सिंह और सीएमओ के सारे बड़े अधिकारियों को इसकी जानकारी दी और कहा कि जो भी कार्यवाही हो वह नियमतः ही हो दुर्भावनावश ना हो। पत्रकार ने बताया कि उसे वक्त तो प्रभारी मंत्री ने फोन नहीं उठाया था फिर वापस 4:00 बजे उनका कॉल बैक आया तब उन्हें भी सारे मामले की जानकारी दी। जिस पर उन्होंने कलेक्टर से बात करने और दुर्भावनावश कोई भी कार्यवाही नहीं करने के निर्देश देने का आश्वासन दिया। कलेक्टर से बात करने के पश्चात प्रभारी मंत्री ने दोबारा फोन किया और कलेक्टर को समझा देने की बात कही। सीएमओ के अधिकारियों ने भी उन्हें दुर्भावनावश कार्यवाही नहीं होने का आश्वासन दिया था।

पत्रकार ने बताया अधिकारियों को प्रभारी मंत्री के आश्वासन के बावजूद कलेक्टर की बदलापुर की कार्यवाही नहीं रुकी। शाम करीबन 7:30 बजे मेरी बहन ने फोन कर बताया कि विभागीय अधिकारी उनके गांव आने का पता पूछ रहे हैं ताकि उनको नोटिस दी जा सके। मैंने बहन से कहा कि नोटिस ले लो ताकि हम उसका विधिवत जवाब दे सकें। जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर गांव में रात 10 से 10:30 के बीच अधिकारी पहुंचे। इस वक्त पूरा गांव सो चुका था। रात को गांव में प्रशासनिक अमले की धमक से समझा जा सकता है कि बहन के परिवार पर किस तरह का माहौल व्याप्त हुआ होगा और गांव में उनके परिवार की छवि क्या रह गई होगी। सो चुके लोगों को नींद से जगा कर नोटिस सौंपा गया।

पत्रकार के अनुसार नोटिस में तथ्यहीन बातें थी। निरीक्षण में सब कुछ सही मिला था पर फिर भी खाने की क्वालिटी खराब है का नोटिस में उल्लेख था। जबकि इस बात के कही उल्लेख नहीं था कि खाने की गुणवत्ता किस तरह खराब है क्या दाल पतली है, यह टेस्ट नहीं आ रहा है। ना हीं खाने की किसी लैब से जांच करवाई गई। सुबह सब कुछ सही मिलने के बावजूद रात को प्रशासनिक अमल को दबाव बनाकर नोटिस देने भेजा गया। आंगनवाड़ी में कोई भी गलती नहीं पाए जाने के बावजूद निचले अधिकारियों को कलेक्टर ने मजबूर किया कि वह मेरी बहन को खामियां निकाल कर नोटिस दे।

पत्रकार ने कहा कि मैंने खबर में ना तो कलेक्टर का नाम लिखा था और ना ही कलेक्टर के बारे में लिखा था। उन्होंने खुद से सोच लिया की खबर उनके बारे में है। जब उन्होंने सोच लिया तो यह उनकी गलती है। यदि उन्हें खबर पर आपत्ति थी तो मुझसे बात करना चाहिए था। या मुझे नोटिस भेजना चाहिए था, मुझ पर मानहानि करना चाहिए था या एफआईआर तथा मेरे विरुद्ध जो भी कार्यवाही हो करना चाहिए था। ना कि मेरी बहन जो एक छोटी सी मुलाजिम है और 13 हजार रुपए की तनख्वाह में दिनभर काम करती हैं। गांव की गलियों की खाक छानती है। उस पर अटैक करना चाहिए था। पत्रकार ने कहा कि हम नोटिस का विधिवत जवाब देंगे और हाई कोर्ट तक जाकर कलेक्टर के खिलाफ लड़ाई लड़ेंगे।

पत्रकार ने कलेक्टर पर आरोप लगाते हुए कहा कि ना तो वह किसी से बात करती है और ना ही किसी की समस्याएं सुनती हैं। वे एक आईएएस अधिकारी हैं और यदि वे अपनी आलोचना थोड़ा सा भी बर्दाश्त नहीं कर सकती तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। उन्होंने मध्य प्रदेश सरकार एवं उच्च अधिकारियों से भी सख्त से सख्त कार्यवाही कलेक्टर सोनिया मीणा के खिलाफ करने की मांग की है।

बता दे कि इसी वर्ष जुलाई माह में हाई कोर्ट जस्टिस गुरपाल सिंह अहलूवालिया ने जमीन से जुड़े एक मामले में नर्मदा पुरम कलेक्टर सोनिया मीणा को कोर्ट में उपस्थित होने के निर्देश दिए थे। इस पर उन्होंने अपनी जगह लेटर लेकर एडमिशन कलेक्टर डीके सिंह को भेज दिया था। एडिशनल कलेक्टर ने यह लेटर कोर्ट में जज को दिया था। जिस पर नाराज जस्टिस ने कलेक्टर को फटकार लगाते हुए मुख्य सचिव को कार्यवाही के लिए लिखा था। इसके अलावा भोपाल के पत्रकार अभिषेक दुबे के खिलाफ मानहानि का केस कर भी कलेक्टर सोनिया मीणा चर्चाओं में रही थी।

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