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High Court News: हिन्दू विवाह की खूबसूरती, तलाक के बाद भी हिंदू पत्नी मंगलसूत्र पहनती, सिंदूर लगाती हैं, पढ़िये हाई कोर्ट ने ऐसा क्यों कहा

High Court News: विवाह विच्छेद के लिए पति की याचिका पर सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने आदर्श हिंदू पत्नी की सराहना करते हुए कहा आदर्श हिंदू पत्नी परित्याग के बाद भी धर्म के अनुसार रहती हैं। गले में मंगल सूत्र धारण करती है और मांग में सिंदूर लगाती हैं। यह सब इसलिए करती हैं, विवाह एक अमिट संस्कार है।

High Court News: हिन्दू विवाह की खूबसूरती, तलाक के बाद भी हिंदू पत्नी मंगलसूत्र पहनती, सिंदूर लगाती हैं, पढ़िये हाई कोर्ट ने ऐसा क्यों कहा
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By Radhakishan Sharma

High Court News: पति ने पत्नी की क्रूरता का हवाला देते हुए विवाह विच्छेद की मांग करते हुए याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने पति की याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने पत्नी के आचरण की तारीफ करते हुए आदर्श महिला बताया। कोर्ट ने कहा कि जिसने दो दशक तक पति से अलग रहने के बावजूद पत्नी के रूप में अपने धर्म को निभाया है। ससुराल वालों से अलग नहीं हुई,उनके साथ रहना जारी रखा। यही नहीं अपने वैवाहिक जीवन के प्रतीकों और परंपराओं का कभी त्याग नहीं किया। कोर्ट ने हिंदू अवधारण की चर्चा करते हुए कहा कि विवाह पवित्र और शाश्वत के साथ ही अटूट बंधन है।

एक आदर्श भारतीय पत्नी पति द्वारा त्याग देने के बाद भी शक्ति,गरिमा और सदाचार का प्रतीक बनी रहती है। बेंच ने याचिकाकर्ता की पत्नी की तारीफ करते हुए कहा कि परित्याग के दर्द और टीस को सहन करने के बाद भी वह एक पत्नी के रूप में अपने धर्म का पालन करती रही। अपने आत्म सम्मान और गरिमा को बनाए रखी। कोर्ट ने कहा, वैवाहिक मामलों में, उसका संबंध आदर्श पति या पत्नी से नहीं, बल्कि उसके समक्ष उपस्थित विशिष्ट पुरुष और महिला से है। कोर्ट ने कहा, एक आदर्श जोड़े को परिवार न्यायालय जाने की आवश्यकता ही नहीं पड़ेती। डिवीजन बेंच ने इंदौर के फैमिली कोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखते हुए ये टिप्पणियां कीं, जिसमें हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13(1)(ia) और 13(1)(ib) के तहत विवाह विच्छेद के लिए पति की याचिका खारिज कर दी थी।

तलाक के लिए पति ने लगाए झूठे आरोप-

दोनों पक्षों का विवाह नवंबर 1998 में इंदौर जिले में हुआ और दिसंबर 2002 में एक पुत्र का जन्म हुआ। पत्नी सास, ससुर, देवर और ननद के साथ संयुक्त परिवार में रहती है। पति भोपाल में विशेष सशस्त्र बल में कांस्टेबल के पद पर कार्यरत है। पति ने पारिवारिक न्यायालय में तलाक के लिए अर्जी दी, जिसमें उसने आरोप लगाया कि पत्नी उसे नापसंद करती है। शराब पीने और अन्य महिलाओं के साथ संबंध रखने का पत्नी आरोप लगाती है। पत्नी ने वैवाहिक संबंध बनाने से इनकार कर दिया और यहां तक कि उसके साथ उसकी तैनाती वाली जगह पर रहने से भी इनकार कर दिया।

पत्नी ने पति के लगाए आरोप का किया खंडन-

पत्नी ने पत्नी के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि वह अपने वैवाहिक दायित्वों को पूरा करने के लिए हमेशा तैयार थी। उसने दावा किया कि वह अपने पति और उसके परिवार के प्रति सम्मानजनक रही है और तलाक की याचिका झूठे आधार पर दायर की गई थी। उसने आगे आरोप लगाया कि उसके पति ने उससे छुटकारा पाने के लिए तलाक की याचिका दायर करने के लिए झूठे आधार गढ़े थे। आरोप लगाया कि उसके पति का एक महिला सहकर्मी के साथ प्रेम संबंध था। पत्नी ने कहा कि उसके पति के बिल्कुल अलग रवैये के बावजूद, उसने ससुराल नहीं छोड़ा।

कोर्ट की टिप्पणी-

डिवीजन बेंच ने कहा कि ऐसा कुछ भी सामने नहीं आया जिससे पत्नी की ओर से क्रूरता का अनुमान लगाया जा सके। पति ने ही पत्नी को त्याग दिया और उसके साथ झूठी क्रूरता की। परिवार न्यायालय के फैसले को सही ठहराते हुए याचिका को खारिज कर दिया है।

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