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एमवाय अस्पताल में चूहों के कुतरने से नवजातों की मौत: मामले में HC ने लिया स्वतः संज्ञान, सरकार से मांगा ये जवाब

मध्य प्रदेश के इंदौर के एमवाय हॉस्पिटल में नवजातों को चूहों से कुतरने का मामला सामने आया था। इसमें स्वास्थ्य विभाग ने बड़ी कार्रवाई की है। लापरवाही की तीन लोगों पर गाज गिरी है। इस मामले में हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है..

एमवाय अस्पताल में चूहों के कुतरने से नवजातों की मौत: मामले में HC ने लिया स्वतः संज्ञान, सरकार से मांगा ये जवाब
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NPG file photo

By Ashish Kumar Goswami

भोपाल। मध्य प्रदेश के इंदौर जिले के बहुचर्चित एमवाय अस्पताल में चूहों के काटने से दो नवजातों की दर्दनाक मौत के मामले में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने इस घटना पर खुद ही स्वतः संज्ञान लेते हुए एक याचिका दायर की है और राज्य सरकार से 15 सितंबर तक स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि, इस मामले में अब तक क्या कार्रवाई हुई है और कौन-कौन से अधिकारी जिम्मेदार हैं।

क्या है पूरा मामला?

आपको बता दें कि, अभी हाल ही में मध्य प्रदेश के चर्चित एमवाय अस्पताल के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के एनआईसीयू में भर्ती दो नवजातों को चूहों ने बुरी तरह कुतर दिया था। ये दोनों बच्चे धार और देवास जिलों से आए थे। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था, जिसके बाद काफी बवाल मच गया था।

हालाँकि, अस्पताल प्रबंधन ने शुरुआत में इस घटना को छुपाने की कोशिश की और दावा किया कि, बच्चों की मौत चूहों के काटने से नहीं, बल्कि समय से पहले जन्म लेने (प्रीमेच्योर) के कारण हुई थी। उन्होंने परिजनों को भी गुमराह किया।

जांच और अधिकारियों पर कार्रवाई

मामले की गंभीरता को देखते हुए एक राज्य स्तरीय जांच समिति का गठन किया गया। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे किए। जांच में पाया गया कि, घटना के समय प्रभारी विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज जोशी की लापरवाही थी, जिसके बाद उन्हें तुरंत निलंबित कर दिया गया। विभागाध्यक्ष डॉ. बृजेश लाहोटी को भी उनके पद से हटा दिया गया है।

पेस्ट कंट्रोल कंपनी की लापरवाही

जांच में यह भी सामने आया कि, अस्पताल में साफ-सफाई और चूहों को नियंत्रित करने का काम करने वाली कंपनी एजाइल सिक्योरिटी की लापरवाही भी थी। इसके बाद लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने मुख्य ठेकेदार कंपनी को एजाइल का अनुबंध रद्द करने का निर्देश दिया है।

अहम बैठकों की अनदेखी

रिपोर्ट से यह भी पता चला कि, अस्पताल में चूहों को नियंत्रित करने वाली रोडेंट कमेटी और इंफेक्शन कंट्रोल कमेटी की बैठकें नियमित रूप से नहीं होती थीं, जबकि ये हर महीने होनी चाहिए।

हाई कोर्ट का सख्त फैसला

हाई कोर्ट की युगलपीठ (न्यायमूर्ति विवेक रूसिया और न्यायमूर्ति जेके पिल्लई) ने इसे नवजातों के मौलिक अधिकारों और सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ा एक गंभीर मामला माना। कोर्ट ने सरकार को 15 सितंबर तक जवाब देने का अल्टीमेटम दिया है और पूछा है कि, जिम्मेदार लोगों के खिलाफ क्या कार्रवाई हुई है।

इस नोटिस के तुरंत बाद, एमवाय अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अशोक यादव खुद को बीमार बताकर 15 दिन की लंबी छुट्टी पर चले गए हैं। उन्होंने अपना कार्यभार अन्य डॉक्टरों को सौंपा है। हाईकोर्ट के इस सख्त रुख के बाद इस मामले में आगे बड़ी ठोस करवाई होने की उम्मीद है।

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