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MP Elections: MP में सपा के लिए इतनी सीटें छोड़ सकती है कांग्रेस, 2003 में जीते थे सपा के 7 विधायक

MP Elections : मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव (Madhya Pradesh assembly elections) में सपा और कांग्रेस (SP and Congress) के बीच सीटों के बंटवारे (seat sharing issue) की गुत्थी शीघ्र सुलझने की संभावना है।

MP Elections: MP में सपा के लिए इतनी सीटें छोड़ सकती है कांग्रेस, 2003 में जीते थे सपा के 7 विधायक
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By S Mahmood

MP Elections : मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव (Madhya Pradesh assembly elections) में सपा और कांग्रेस (SP and Congress) के बीच सीटों के बंटवारे (seat sharing issue) की गुत्थी शीघ्र सुलझने की संभावना है। सपा की ओर से प्रमुख महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव (Pro. Ram Gopal Yadav) और कांग्रेस की ओर से मध्य प्रदेश के प्रभारी महासचिव रणदीप सुरजेवाला (Randeep Surjewala) को यह जिम्मेदारी दी गई है। समाजवादियों ने 12 सीटें मांगी हैं और माना जा रहा है कि दोनों के बीच 10-12 सीटों पर बात बन जाएगी।

सपा नेतृत्व देश के अन्य राज्यों में भी पार्टी की उपस्थिति दर्ज कराने की रणनीति पर काम कर रहा है ताकि आधिकारिक रूप से राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल सके। इसी के तहत मध्य प्रदेश में पूरी तैयारी के साथ विधानसभा चुनाव लड़ने का निर्णय लिया गया है। इससे पहले वर्ष 2003 के चुनाव में सपा वहां सात सीटें जीत चुकी है। पिछले विधानसभा चुनाव में भी उसने एक सीट जीती थी जबकि पांच सीटों पर भाजपा के साथ मुख्य लड़ाई में रही थी।

राजनीतिक सूत्रों के मुताबिक मध्य प्रदेश के चुनाव को लेकर सपा और कांग्रेस के बीच इंडिया गठबंधन के प्लेटफॉर्म पर अनौपचारिक बातचीत शुरू हुई थी। बाद में दोनों पार्टियों के शीर्ष नेतृत्व की ओर से प्रो. रामगोपाल और सुरजेवाला को यह सिलसिला आगे बढ़ाने के लिए कहा गया। दोनों के बीच इस संबंध में लंबी वार्ता हो चुकी है। सपा ने कांग्रेस से रीवा, सतना और टीकमगढ़ समेत पांच जिलों में 12 सीटें मांगी हैं।

खास बात यह है कि सपा ने सीटों के नाम 12 से ज्यादा दिए हैं ताकि कांग्रेस के लिए भी अपने स्थानीय समीकरणों को देखते हुए सपा को सीट देने में कोई मुश्किल न खड़ी हो। वहीं, चयन में पर्याप्त विकल्प की गुंजाइश भी रहे। सूत्रों के मुताबिक दोनों पार्टियों के बीच मध्य प्रदेश राज्य चुनाव में गठबंधन पर सैद्धांतिक सहमति बन चुकी है। मामला सिर्फ सीटें फाइनल किए जाने पर ही अटका हुआ है।

प्रो. रामगोपाल और सुरजेवाला की सोमवार को नई दिल्ली में मुलाकात भी होनी थी लेकिन प्रो. रामगोपाल के बड़े भाई के निधन के चलते नहीं हो पाया। शीघ्र ही सीट बंटवारे के मामले में अंतिम निर्णय ले लिया जाएगा। उसके बाद यादव बहुल सीटों पर सपा-कांग्रेस की संयुक्त जनसभाएं भी होंगी।

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