लड़कियों के अश्लील पहनावे पर मां-बाप जिम्मेदार ? मंदिर में लगे पोस्टर पर विवाद, पुजारी ने कहा- पोस्टर पर लिखी बात 100 प्रतिशत सच
इन दिनों महिलाओं और उनके पहनावे को लेकर बयानबाजियों का दौर जारी हैं. कथावाचको के महिलाओं को लेकर टिप्पणियों को लेकर माहौल पहले से गरमाया हुआ था.अब एक पोस्टर में महिलाओं के पहनावे को लेकर सवाल खड़े किए है

उज्जैन : मध्यप्रदेश के उज्जैन से लगभग 55 किलोमीटर दूर नागदा के बिड़ला ग्राम स्थित प्रसिद्ध बड़े गणेश मंदिर परिसर में लगे पोस्टर के कारण नया विवाद छिड़ गया हैं. इस पोस्टर में महिलाओं के पहनावे को लेकर 5 सवाल पूछे गए है. साथ ही 'सनातन पोशाक 'पहनने की बात कही गई है. जिस वजह से ये पोस्टर अब चर्चा का विषय बन गया है. इस पोस्टर को कब और किसने लगाया इसकी जानकारी अब तक नहीं मिली हैं.हालांकि पोस्टर के अंत में नजागरण समिति लिखा हुआ हैं.जिससे ये अनुमान लगाया जा रहा है कि ये किसी सामाजिक संगठन की पहल हो सकती हैं, लेकिन किसी भी संस्था या समूह ने इसकी जिम्मेदारी औपचारिक तौर पर नहीं ली हैं.
लेकिन पोस्टर पर लिखी कुछ बातों का पुजारी के साथ-साथ लोगों ने भी समर्थन किया हैं पोस्टर में 5 सवाल पूछे गए हैं साथ ही लड़कियों के छोटे कपड़े पहनने को लेकर माता- पिता को जिम्मेदार बताया गया हैं. तो वहीं मंदिरों में किस तरह के कपड़े पहनने चाहिए इसके बारे में भी बताया गया हैं.
पोस्टर पर लिखे गए ये सवाल
1-क्या टीवी-शो और फिल्मों से प्रभावित होकर नासमझ छोटी बेटियों (4, 6, 8 वर्ष) को अमर्यादित और फूहड़ कपड़े पहनाने वाली मां स्वयं दोषी नहीं है?
2-क्या 10 वर्ष से अधिक आयु की बेटियों के टाइट, छोटे व अमर्यादित वस्त्र पहनने पर मौन रहने वाला पिता जिम्मेदार नहीं है?
3- क्या अर्धनग्न कपड़े पहनने वाली लड़की को मॉडर्न व स्मार्ट मानना सही सोच है?
4-क्या विचारों की स्वतंत्रता के नाम पर बेटियों को अश्लील पहनावे की छूट देना उचित है?
5-क्या यह समझा जाए कि शालीन और मर्यादित कपड़े बेटी के लिए एक सुरक्षा कवच हैं?
मंदिर के पुजारी ने किया पोस्टर पर लिखी बातों का समर्थन
अखिल भारतीय पुजारी महा संघ और महाकाल मंदिर के पुजारी पंडित महेश शर्मा ने इस पोस्टर पर लिखी बातों का समर्थन करते हुए कहा कि 'मंदिर आस्था और गरिमा का स्थान है। सभी भक्तों,महिलाएं- युवतियां और पुरुष भी शालीन कपड़ों में आएंगे तो सनातन धर्म का मान सम्मान कायम रह सकेगा.ये कई मंदिरों में पहले से ही परंपरा है, दक्षिण भारत के मंदिरो में ये व्यवस्था लागू है. महाकाल मंदिर में भी ड्रेस कोड लागू है.
सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रिया जारी
एक तरफ जहां सोशल मीडिया पर ये पोस्टर जमकर वायरल हो रहा है तो वहीं इस पोस्टर की वजह से लोग दो भागों में बंट गए हैं. कुछ लोगों ने इसे जहां महिलाओं की आजादी और व्यक्तिगत पसंद पर सीधा हमला बता रहे है तो वहीं कुछ लोगों ने इसे भारतीय संस्कृति, पारंपरिक मर्यादा और धार्मिक स्थलों की गरिमा बनाए रखने की दिशा में जरूरी पहल बताया हैं.बतादें कि मंदिर समिति और प्रशासन की तरफ से अब तक इस मामले को लेकर औचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है..
