Begin typing your search above and press return to search.

राजधानी में शराब के शौकीनों का दर्द-ए-दिल सुनिये…. कुछ ने कहा- अच्छा है बंद ही रहे…तो कुछ बोले- कब खुलही साहब…अब्बर बैचेनी लगत हे….तो कुछ ने शराब के बदले नया प्रयोग कर दिया शुरू

राजधानी में शराब के शौकीनों का दर्द-ए-दिल सुनिये…. कुछ ने कहा- अच्छा है बंद ही रहे…तो कुछ बोले- कब खुलही साहब…अब्बर बैचेनी लगत हे….तो कुछ ने शराब के बदले नया प्रयोग कर दिया शुरू
X
By NPG News

रायपुर 3 अप्रैल 2020। कारोना की महामारी से लड़ने के लिये पूरे भारत में 21 दिनों का लाॅकडाउन लगाया गया है। इस लाॅकडाउन के दौरान सभी को अपने अपने घरों में रहने की सलाह दी गयी है। लोग भी इस महामारी की चेन तोड़ने के लिये खुद को अपने अपने घरों में कैद रखे हुये है। इस बीच कुछ ऐसे लोग भी हैं जिन्हें ये लाॅकडाउन पूरी तरह से बदल कर रख दिया है। सबसे बदले-बदले तो शराब के शौकीन नजर आ रहे हैं, जिनके लिए पिछला 15 दिन ड्राई डे की तरह गुजर रहा है। इस दौरान शराबप्रेमियों के अजब-अनूठे कमेंट्स भी आ रहे हैं।

कई शराब के शौकीन ये मान रहे हैं… अच्छा हुआ, अब शराब छूट जायेगी!…तो कई इसे शासन का जुल्म बता रहे हैं। एक तीसरी जमात भी है जो ना तो इसे अच्छा बोल रहे हैं और ना बुरा, बल्कि शराब की तलब मिटाने के लिए अलग ही प्रयोग करने लगे हैं। रायपुर में पिछले दिनों तीन युवकों की स्प्रिट पीकर हुई मौत इन्हीं जमातों की रही, जिन्होंने शराब का विकल्प स्प्रिट को मानकर उसे गटक लिया। इन सबके बीच प्रदेश से कुछ बेहतर आंकड़े भी आये हैं, एक तो रोड एक्सीडेंट का ग्राफ बिल्कुल ही नीचे आ गया है, तो वहीं क्राइम के आंकड़े भी इक्का-दुका ही रह गये हैं।

हम शराब के शौकिनों का दर्द-ए-हाल जानने राजधानी में निकले….लॉकडाउन के दौरान वैसे तो राजधानी में ज्यादा भीड़ दिखी नहीं, लेकिन बाजारों में जो शराब के शौकीन मिलेे, उन्होंने अपने अजब-गजब रिएक्शन दिये। कईयों के जवाब बेहद हैरान करने वाले थे। तो आइये हम जानते हैं कि शराब दुकान और बार बंद होने से रायपुर शहर के लोग क्या सोच रहें हैं और इनकी क्या राय है….. नाम ना छापने की शर्त पर राजधानी के लोगों ने क्या कहा सुनिये उनकी जुबानी……

खम्हारडीह बस्ती का राकेश (बदला नाम) शराब नहीं मिल पाने की वजह से बेहद परेशान दिखा। ड्राइवर का काम करने वाला राकेश पिछले 10 दिन से ड्यूटी पर नहीं जा रहा है, लेकिन दो महीने का उसे एडवांस में मिल गया है, इसलिए खाने की कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन पीने का इंतजाम नहीं हो पा रहा है…उसने कहा “बंद तो हे साहब दूकान ह, फेर अब्बड़ बेचेनी होवत हे रात म, अउ नींद भी जल्दी नहीं आवय। दूकान ह कब कब खुलही ऐसे लागत हे….

वहीं तेलीबांधा निवासी रत्नू साहू (बदला हुआ नाम) गैरेज चलाता है। हर दिन शराब का एक क्वार्टर गटक जाने वाला रत्नू, शराब की दुकान बंद होने से बहुत खुश है। भूपेश सरकार के लॉकडाउन आदेश के बाद से ही उसकी दुकान बंद है। वो कहता है “अच्छा हुईस की शराब दूकान ह बंद हो गे। इही बाहाना म कम से कम शराब पीना तो हमर मन के कम होगे। अब कैसे करबो केंद्र सरकार अउ हमर राज्य के सरकार ह जेन फैसला ले हे वो अच्छा हे येखर हम सब्बो मनखे ल स्वागत करना चाहिए”

श्याम नगर निवासी ललित दास (बदला हुआ नाम) पीएम मोदी से बहुत गुस्सा है, चाट ठेला लगाने वाला ललित कहता है… “प्रधानमंत्री को पहले बता तो देना था ताकि हम लोग अपन शराब का स्टाॅक भर तो लेते। आज हम लोगों को शराब नहीं मिल रही है। इतना लंबा वक्त हो गया है। दूकान बंद हुए काफी परेशानी हो रही है। मैं डेली पीने वाला हूं और अचानक शराब दूकान बंद होना ये तो हम लोगों के साथ धोखा जैसा है”

टिकरापारा निवासी अमृत लाल यादव (बदला हुआ नाम) मोदी से गुस्सा नहीं है, वो तो शराब के कालाबाजारियों से परेशान है। वो कहता है...”शराब दुकान बंद होये से, ब्लेक म दारू मिलत हे, बेचने वाला मन ह एक ठिन 90 रूपिया के गोवा दारू के क्वाटर ल 300 से 400 रूपिया म बेचत हे। अईसन में हमर जैसे रिक्शा चलाने वाला, ठेला चलाने वाला ह कहां ले दारू पाही। बंद हुईस अच्छा हुईस हे”

सड्डू का गोपाल (बदला हुआ नाम) कपडा मार्केट में काम करता है। वो कहता है… “नशाखोरी बढ़ गयी है, सर लोगों को शराब नहीं मिलने पर लोग अलग अलग तरह का नशा कर रहें है। देखें न शराब नहीं मिली तो कुछ लोगों ने स्प्रिट पी लिया था और उनकी मौत हो गयी। अगर शराब दूकान ऐसे ही बंद रहेगी तो आने वाले दिनों में यहां के जो शराब के बिना नहीं रह सकते हैं वो लोग इसी तरह से नशा करने लगेंगे। सरकार को शराब दूकान बंद नहीं करनी चाहिये थी”

शंकर नगर निवासी मिथिलेश (बदला हुआ नाम) कुछ काम नहीं करता, लेकिन पीता हर दिन है। वो कहता है…. “बंद हुआ है, कोई बात नहीं आखिर खुलेगा तो न। जब तक के बंद है तब तक के नहीं पीयेंगे। आदमी की आदत कभी नहीं सुधरती है। बंद है तो अभी नहीं पी रहा हूं। चालू हो जायेगा तो और एक बोतल ज्यादा पीयेंगे”

अमर (बदला हुआ नाम) के पिता की किराने की दुकान है, वो भी उसी में काम करता है। वो कहता है … “दारू बंद हो गया तो क्या हुआ और कुछ नहीं है क्या…गांजा भी है और भी बहुत कुछ है। मैं तो भाई वहीं मारता हूं, दारू दुकान बंद होने पर नशा खोरी और बढ़ गयी है। लाॅकडाउन तो किया है प्रधानमंत्री मोदी ने पर शराब दुकान को चालू रखना था”

चिंटू (बदला हुआ नाम) पॉलेट्री फार्म में काम करता है। वो कहता है… “शराब दुकान बंद होने से मैं भी सुधर गया हूं, घर वाले मेरे बच्चे सभी खुश रहत हैं, बंद है इस दौरान मैं अभी पूरा समय अपने घर वालों को दे रहा हू। आगे भी कोशिश करूंगा की मैं पूरी तरह शराब को छोड़ दू”

Next Story