Begin typing your search above and press return to search.

सिकरेट्री की लिस्ट

सिकरेट्री की लिस्ट
X
By NPG News

तरकश, 30 अगस्त 2020
संजय के दीक्षित
हेल्थ सिकरेट्री निहारिका बारिक का दो बरस का चाईल्ड केयर लीव सरकार ने स्वीकृत कर दिया है। वे हसबैंड के साथ जर्मनी जा रही हैं। दो-चार रोज में वे रिलीव हो जाएंगी। उनके अलावे आवास पर्यावरण विभाग की सिकरेट्री और एनआरडी चेयरमैन संगीता पी की भी सेंट्रल डेपुटेशन का आदेश निकल गया है। उन्हें आधार के रिजनल कार्यालय हैदराबाद में पोस्टिंग मिली है। समझा जाता है, निहारिका बारिक के साथ उन्हें भी कार्यमुक्त कर दिया जाएगा। जाहिर है, दोनों सिकरेट्री के पास महत्वपूर्ण विभाग हैं। उन्हें रिलीव करने से पहिले सरकार को पोस्टिंग आर्डर निकालना होगा। कोरोना का पीक टाईम आने वाला है। इसलिए, ठीक-ठाक अधिकारी को ही हेल्थ का जिम्मा सौंपा जाएगा। हालांकि, संगीता के पास भी बड़ा विभाग है। पिछली सरकार में प्रमुख सचिव और एसीएस लेवल के अफसरों के पास आवास और पर्यावरण विभाग तथा एनआरडीए चेयरमैन का पद था। इस बार संकेत मिल रहे हैं कि किसी पीएस या एसीएस को ही संगीता का विभाग दिया जाएगा। कुल मिलाकर मंत्रालय में सचिवों की एक पोस्टिंग लिस्ट कभी भी निकल जाएगी।

2006 बैच पर भरोसा

मंत्रालय में सचिव स्तर पर वैसे ही अधिकारियों की काफी कमी है। उपर से निहारिका बारिक और संगीता पी बाहर जा रही हैं। सोनमणि बोरा को भी सेंट्रल डेपुटेशन के लिए राज्य सरकार ने एनओसी दे दिया है। पोस्टिंग आदेश निकलने के बाद वे भी एकाध महीने में दिल्ली की फ्लाइट पकड़ लेंगे। मंत्रालय में सीनियर लेवल पर वैसे ही अधिकारियों का टोटा है। अब तीन सचिवों के एक साथ मंत्रालय से रिलीव होने से जाहिर है मुश्किलें बढ़ेंगी। इस हालात में प्रमोटी आईएएस के लिए चांस बढ़ेंगे। अभी उमेश अग्रवाल और धनंजय देवांगन के पास कोई स्वतंत्र जिम्मेदारी नहीं है। उमेश गृह विभाग में हैं, उनके उपर एसीएस सुब्रत साहू हैं। इसी तरह कृषि विभाग में दो-दो सिकरेट्री हो गए हैं। एम गीता और धनंजय। उनके अलावा सरकार को 2006 बैच के आईएएस को भी अब विभागों का प्रभार देना पड़ेगा। अभी 2004 बैच सिकरेट्री बन चुका है। 2005 बैच में छह अफसर थे। मगर अभी सिर्फ एस. प्रकाश बचे हैं। मुकेश बंसल और रजत कुमार सेंट्रल डेपुटेशन पर हैं। ओपी चौधरी ने वीआरएस ले लिया। संगीता आर नई सरकार के बाद से छुट्टी पर हंै। और राजेश टोप्पो की फिलहाल इस स्थिति नहीं है। लिहाजा, 2006 बैच को अब आगे बढ़ाना पड़ेगा। पहले भी ऐसा हुआ है कि जूनियर अफसरों को स्पेशल सिकरेट्री का स्वतंत्र प्रभार सौंपा गया।

रेणु पिल्ले या प्रसन्ना?

कोरोना का पिक टाईम आने वाला है….सितंबर और अक्टूबर में तो चरम पर रहेगा। ऐसे में हेल्थ सिकरेट्री निहारिका बारिक के जर्मनी जाने पर सवाल खड़े हो रहे हैं। साथ में, यह जिज्ञासा भी कि कोरोना से जंग के हालात में सरकार किसको स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी सौंपती है। मंत्रालय के गलियारों में हेल्थ को लेकर दो नाम चर्चा में हैं। एसीएस रेणु पिल्ले और सिकरेट्री प्रसन्ना आर। इन अटकलों के पीछे वजह यह है कि रेणु फिलहाल एसीएस मेडिकल एजुकेशन हैं और प्रसन्ना डायरेक्टर हेल्थ रह चुके हैं। अब देखना है, सरकार इनमें से किसी नाम पर मुहर लगाती है या किसी तीसरे को हेल्थ सिकरेट्री की कुर्सी पर बिठा देगी।

ऐसे भी आईपीएस

सभी पुलिस वाले एक जैसे नहीं होते। इस युग में भी एएन उपध्याय जैसे एकाध पुलिस वाले निकल जाते हैं। सरगुजा और बस्तर के आईजी रहे। उसके बाद रिकार्ड पौने चार साल डीजीपी। बावजूद इसके, राजधानी में रैन बसेरा का इंतजाम नहीं कर पाए। रिटायरमेंट के बाद मिले पैसे से उन्होंने एक्स चीफ सिकरेट्री अशोक विजयवर्गीय से धरमपुरा में प्लाॅट खरीद कर मकान बनाना शुरू किया है।

अफसरों का ड्रेस सेंस

मध्यप्रदेश में अफसरों के ड्रेस कोड को लेकर वहां के जीएडी ने आंखें तरेरी है। अफसरों को दो टूक निर्देश दिया गया है कि ड्रेस की मर्यादा कायम रखें…मुख्यमंत्री समेत सीनियर राजनेताओं की बैठकों में इसका खास तौर पर ध्यान रखा जाए, वरना कार्रवाई होगी। वैसे, छत्तीसगढ़ के भी अफसरों का ड्रेस लोगों को खटक रहा है। खासकर, अहम बैठकों में हाफ शर्ट…बिना शर्टिंंग। कोई चप्पल पहनकर पहुंच जाता है तो कोई आस्तिन चढ़ायें। ऐसे बिंदास और गांधीवादी अधिकारियों से पूछा जाना चाहिए कि क्या वे यूपीएससी के इंटरव्यू बोर्ड में भी इसी तरह चले गए थे? नहीं तो फिर अहम मीटिंगों में ड्रेस कोड का सम्मान क्यों नहीं। जीएडी को इसे संज्ञान लेना चाहिए।

सबसे बड़ी होर्डिग्स

एक मंत्रीजी के घर-परिवार में सब कुछ बढ़ियां नहीं चल रहा है। बरतने खड़़कने लगी हैं। बताते हैं, लंबे समय से सियासत में अवसर मिलने की इंतजार में बैठे चचेरे भाई का धैर्य अब चूकने लगा है। समझ लीजिए… बगावत जैसी स्थिति निर्मित हो रही। इसकी एक झलक दिखी सीएम भूपेश बघेल के जन्मदिन पर। चेचेरे भाई ने मंत्री से दो कदम आगे बढ़कर राजधानी में बधाई का सबसे बड़ी होर्र्डिंग्स लगवाई। मंत्रीजी के भाई की राजधानी में बढ़ती सक्रियता से मंत्री खेमा हैरान…परेशान है।

जिम्मेदार विधायक?

छत्तीसगढ़ के विधायकों ने विधानसभा के आदेश की परवाह न करते हुए कोरोना टेस्ट करने से इंकार कर दिया। आलम यह हुआ कि विधायकों के आगे स्पीकर चरणदास महंत को झुकना पड़ गया। इसके बाद सदन में कोरोना पर पूरे चार घंटे चर्चा हुई। अब इसे आप विरोधाभास मत कहियेगा कि कोरोना टेस्ट से भागने वाले विधायक कोरोना पर चार घंटे चर्चा कर रहे। असल में, हमारे विधायक बेहद जिम्मेदार हैं…सूझ-बूझ वाले। आखिर, आ बैल मुझे मार क्यों करें। कोरोना टेस्ट कराकर अगर क्वारंटाईन हो जाते तो फिर सदन में चार घंटे चर्चा कौन करता? ये कहिये कि उन्होंने अपनी जिम्मेदारी निभाई। फिर, ये भी तो समझिए कि विधायक आम आदमी थोड़े होता है कि उस पर नियम-कायदे और बंदिशें लागू हो।

मैन आफ मैच

संसदीय कार्य मंत्री के अनुभव का लाभ अजय चंद्राकर को मिल रहा है। मानसून सत्र में सीएम भूपेश बघेल को भी कहना पड़ा…अजय अकेले बैट्समैन हैं…गजब। सीएम विपक्ष के किसी नेता की तारीफ करें, वो भी अजय चंद्राकर जैसे हमलावर सदस्य का तो मानना पड़ेगा। रमन सिंह की तीसरी पारी में अजय पांच साल संसदीय कार्य मंत्री रहे। फिर बोलने में उनकी कोई सानी नहीं। अध्ययन भी करते हैं। सदन में उनके पारफारमेंस से इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।

अंत मेें दो सवाल आपसे

1. विपक्ष के किस विधायक ने दोस्ती निभाते हुए राजधानी के सरकारी आवास को बीजेपी के एक पूर्व विधायक को रहने के लिए दे दिया है।
2. मरवाही विधानसभा उपचुनाव के लिए पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल को प्रभारी बनाए जाने से माना जाए कि बीजेपी की राजनीति में उनका कद बढ़ा है?

Next Story