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कोरोना में थमी नहीं है जिंदगी….मौत को मात देकर गूंज रही है किलकारियां….कहीं चलती ट्रेन में….तो कहीं क्वारंटीन सेंटर में मुस्कुरा रही है जिंदगी

कोरोना में थमी नहीं है जिंदगी….मौत को मात देकर गूंज रही है किलकारियां….कहीं चलती ट्रेन में….तो कहीं क्वारंटीन सेंटर में मुस्कुरा रही है जिंदगी
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By NPG News

मुंगेली/जांजगीर/राजनांदगांव 18 मई 2020। कोरोना ने जब वक्त को एक तरह से बांध सा दिया है…तो उस घड़ी भी कई जिंदगियां मौत को चुनौती देकर मुस्कुरा रही है। पिछले 24 से 48 घंटे के भीतर छत्तीसगढ़ में गूंजी कई किलकारियों ने कोरोना के मातमी सन्नाटे को मुस्कुराने पर मजबूर कर दिया है। एक नहीं, दो नहीं.. तीन नहीं…अंगुलियां थक जायेगी गिनते-गिनते, जिसने ये साबित किया है कि कोरोना लाख सितम कर ले, जिंदगी अपनी उसी रफ्तार से बढ़ती रहेगी..।

ईश्वरी ने ट्रेन में दिया बच्चे को जन्म

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ऐसी ही एक कहानी ईश्वरी यादव की है, जिसके चेहरे पर पसरी पलायन की पीड़ा एक किलकारी ने पल भर में मिट गयी। श्रमिक स्पेशल ट्रेन से लौट रही मुंगेली की ईश्वरी ने नागपुर में बेटे को जन्म दिया। भोपाल से बिलासपुर आ रही मुंगेली धर्मपुरा की ईश्वरी 9 माह की गर्भवती थी, काम बंद हुआ तो गर्भ की परवाह किये बगैर वो पति राजेंद्र यादव के साथ मुंगेली लौटने लगी। चेहरे पर मायूसी और मन में पीड़ा लिये सफर कट रहा था, लेकिन अचानक से नागपुर के करीब प्रसव पीड़ा से ईश्वरी कराह उठी। थोड़े देर पर उसने एक स्वस्थ्य बच्चे को जन्म दिया। लोगों की मदद से किसी तरह मां और बच्चे की देखभाल रास्ते भर की गई और जैसे ही ट्रेन बिलासपुर पहुंची तुरंत यहां तैनात टीम ने महिला और बच्चे को सिम्स पहुंचाया।

क्वारंटीन सेंटर में साथ-साथ गूंजी दो बच्चों की किलकारियां

छत्तीसगढ़ के जांजगीर के अकलतरा में दो अलग-अलग क्वारैंटाइन सेेंटर में महिलाओं ने बच्चियों को जन्म दिया। दोनों महिलाओं ने एक ही अस्पताल में बच्चों को जन्म दिया है। महिलाएं और बच्चियां दोनों स्वस्थ हैं।

मुड़ापार की सुनीता और अकलतरा की कविता की कहानी ईश्वरी से थोडा अलग है। सुनीता और कविता ने क्वारंटीन सेंटर में बच्चों को जन्म दिया है। कमाल की बात ये है कि अकलतरा ब्लॉक में अलग-अलग जगह बनाये गये क्वारैंटाइन सेंटर में इन बच्चों का जन्म हुआ। तागा स्थित क्वारैंटाइन सेंटर में मुड़ापार निवासी सुनीता पटेल को उसके पति संतोष पटेल व बच्चे के साथ रखा गया है। यह परिवार महाराष्ट्र के पुणे मजदूरी करने के लिए गया था। सुनीता गर्भवती हुई तो ये लौटने की योजना बना रहे थे। इसी बीच लॉकडाउन लग गया। किसी तरह लौटे तो इन्हें क्वारैंटाइन सेंटर में रखा गया। यहां रविवार को प्रसव पीड़ा होने पर उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए, जहां सुनीता ने बेटी को जन्म दिया। ऐसी ही कहानी कोटमी सोनार निवासी कविता जोगी की है। उसने भी अकलतरा के ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में शाम को बेटी को जन्म दिया है। यह कविता की पहली संतान है। कविता अपने पति संतोष जोगी के साथ कुछ दिन पहले ही अहमदाबाद से लौटी है। इसके बाद उसे आरसमेटा स्थित क्वारैंटाइन सेंटर में रखा गया था। फिलहाल, महिला चिकित्सक ललिता टोप्पो ने बताया कि दोनों महिला और बच्चियां स्वस्थ हैं। जल्द ही उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी।

छत्तीसगढ़ सीमा पर हुआ दो बच्चियों का जन्म

छत्तीसगढ़ की सीमा में प्रवेश के बाद आज दो प्रवासी गर्भवती श्रमिक माताओं ने सुरक्षित प्रसव के जरिये स्वस्थ कन्याओं को जन्म दिया। दोनों ही माताएं अलग-अलग समय में अपने परिजनों के साथ राजनांदगांव जिले के बागनदी बार्डर पहुंची थीं, जहां उन्हें प्रवस पीड़ा शुरू हो गई। प्रशासन ने उन्हें तुरत स्वास्थ्य केंद्रों में पहुंचाकर सुरक्षित प्रसव का इंतजाम किया। मूलतः कटई बेमेतरा निवासी त्रिवेणी साहू ने बागनदी बार्डर के उपस्वास्थ्य केंद्र में बच्ची को जन्म दिया। वहीं महाराष्ट्र के पुणे से आईं 28 वर्षीय सुरेखा पति कुमार सिंह निषाद ने छुरिया स्थित स्वास्थ्य केंद्र में बच्ची को जन्म दिया। छत्तीसगढ़ की सीमा में सुरेखा को प्रसव पीड़ा शुरु होने पर उन्हें पहले निकट के अस्तपाल पहुंचाया गया, जहां से छुरिया रेफर कर दिया गया। सुरेखा मूलतः दुर्ग जिले के सुखरीकला गांव की निवासी है।

दोनों ही मामलों में सुरक्षित प्रसव कराने में राजनांदगांव जिले के स्वास्थ्य विभाग के अमले ने तत्परता से कार्य किया। जिला कलेक्टर जयप्रकाश मौर्य ने स्वयं स्वस्थ्य केंद्र पहुंचकर जच्चा-बच्चा के स्वास्थ्य की जानकारी ली। छत्तीसगढ़ की विभिन्न सीमाओं से हर रोज प्रवेश कर रहे हजारों मजदूरों को गंतव्य तक पहुंचाने के लिए शासन ने बसों के इंतजाम किए हैं। बसों की रवानगी से पहले मजदूरों के भोजन-पानी, चरणपादुका के प्रबंध के साथ-साथ उनका स्वास्थ्य परीक्षण भी किया जाता है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने सभी कलेक्टरों को निर्देश जारी किए हैं कि प्रवासी श्रमिक परिवारों में शामिल महिलाओं तथा बच्चों के स्वास्थ्य की विशेष देखभाल की जाए। क्वारेंटीन सेंटर में भी उनका विशेष ध्यान रखा जाए।

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