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Tikhur : नवरात्रि व्रत हैं ?, तो लीजिये छत्तीसगढ़ी फलाहारी डिश तीखुर का स्वाद... आइये जानें रेसिपी

आयुर्वेद के अनुसार, तीखुर एक जड़ी-बूटी है, और तीखुर के अनेक औषधीय गुण हैं। घाव, बुखार, खांसी, सांसों की बीमारी, अधिक प्यास लगने की समस्या में तीखुर के इस्तेमाल से फायदे मिलते हैं।

Tikhur : नवरात्रि व्रत हैं ?, तो लीजिये छत्तीसगढ़ी फलाहारी डिश तीखुर का स्वाद... आइये जानें रेसिपी
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By Meenu

हिंदू धर्म का सबसे बड़ा पावन समय नवरात्रि चल रहा है। नवरात्रि में माँ के भक्त एक, तीन या पूरे नौ दिन का व्रत रखते हैं, जिसमे कुछ लोग फलाहारी व्रत ही रखते हैं. ऐसे में हम आपको एक ऐसे फलाहारी डिश के बारे में बताने जो रहे है जो छत्तीसगढ़ में फेमस और एनर्जी से भरपूर है. हम बात कर रहे छत्तीसगढ़ी फलाहारी डिश तीखुर Tikhur की. तो आइये जानें इसकी रेसिपी.

तीखुर की तासीर बहुत ठंडी होती है इस कारण गर्मियों में यह शरबत बनाने के काम भी आता है। यह कैल्शियम और कार्बोहाइड्रेट बहुत अच्छा स्रोत होता है। यह छोटे बच्चों के लिए भी बहुत लाभकारी होता है इसलिए इसका इस्तेमाल कई बेबी फूड्स में भी किया जाता है। यह पेट की बीमारियों के इलाज में भी यूज किया जाता है।

तीखुर हल्दी के जैसा ही होता है, और हल्दी के फायदे की तरह ही तीखुर के सेवन से शरीर को बहुत अधिक लाभ होता है। आयुर्वेद के अनुसार, तीखुर एक जड़ी-बूटी है, और तीखुर के अनेक औषधीय गुण हैं। घाव, बुखार, खांसी, सांसों की बीमारी, अधिक प्यास लगने की समस्या में तीखुर के इस्तेमाल से फायदे मिलते हैं। इतना ही नहीं, एनीमिया, मूत्र रोग, डायबिटीज, पीलिया आदि रोगों में भी तीखुर के औषधीय गुण से लाभ मिलता है।

तीखुर क्या है?

प्राचीन काल में वंशलोचन के अभाव में तीखुर का प्रयोग किया जाता था। कई स्थानों पर अरारोट के स्थान पर भी तीखुर का प्रयोग किया जा रहा है, लेकिन तीखुर और अरारोट दोनों के भिन्न-भिन्न पौधे हैं। तीखुर तनारहित, कंद-मूल युक्त हल्दी के जैसे दिखने वाला शाक है। तीखुर का पौधा कई वर्ष तक जीवित रहता है। तीखुर के पत्ते 30-45 सेमी लम्बे, तीखे नोंकदार होते हैं। इसके पत्ते हल्दी के पत्ते जैसे और हरे रंग के होते हैं। तीखुर के फूल पीले रंग के होते हैं। इसके फल सम्पुट, अण्डाकार होते हैं। इसके बीज अनेक और छोटे होते हैं। इसका प्रकन्द मूल छोटा, लम्बे गूदेदार रेशे से युक्त होता है। तीखुर के पौधे में फूल और फल जुलाई से नवम्बर तक होता है।

छत्तीसगढ़ी फलाहारी तीखुर



सामग्री

  • ३० मिनट
  • ५ लोग
  • १ कप तिखूर
  • १५० ग्राम चीनी
  • १ छोटी चम्मच इलाइची पाउडर
  • १+१/२ कप दूध

विधि

  • हम दानेदार तीखूर लेंगे फिर मिक्सी जार में डालकर महीन पीस कर पाउडर की तरह बना लेंगे।
  • काजू, बादाम को छोटे छोटे काट लेंगे इलाइची को कूट कर पाउडर बना लेंगे। एक बड़े बाउल में तिखूर पाउडर को डाल लेंगे।
  • २ गिलास पानी डालकर चम्मच से मिला लेंगे फिर ढक कर १०, से १५ मिनट रख देंगे।
  • १५ मिनट बाद ऊपर- ऊपर का पानी धीरे से निकाल लेंगे ताकि जो भी इसमें कचरा है वो निकल जाए।
  • इसी तरह से१०,१५ मिनट बाद २,३ बार करेंगे। इसके बाद नीचे जो गाढ़ा बच जाए उसे हम उपयोग में लायेंगे।
  • अब इसमें दूध,चीनी, डालकर मिला लेंगे। फिर एक से डेढ़ गिलास पानी डालकर मिला लेंगे।
  • कड़ाही या बड़ा बर्तन गैस पर रखेंगे इसमें घोल को डालकर चम्मच से चलाते रहेंगे। वरना तली में बैठने लग जायेगा।
  • धीरे- धीरे घोल गाढ़ा होने लगेगी तभी कटे काजू,बादाम, इलाइची पाउडर को डालकर मिला लेंगे। चम्मच से चलाते ही रहेंगे।
  • चित्र में दिए अनुसार गाढ़ा होना चाहिए। अब एक बड़ी सी थाली लेंगे तेल से ग्रीस कर लेंगे।
  • सारा घोल को थाली में डालकर फैला कर सेट कर लेंगे।
  • ऊपर से बचे काजू बादाम को डालकर २ घंटे के लिए रख देंगे।
  • २ घंटे बाद चाकू की सहायता से कोई भी आकार में काट लेंगे।
  • इन फलाहारी तिखूर को व्रत में भी खा सकते हैं, या फिर ऐसे भी फ्रिज में रख कर २,३ दिन तक रख कर खा सकते हैं।
  • तीखुर की तासीर ठंडी होती है, इसे अधिकतर गर्मियों में ही बनाई जाती है।


तीखुर के अन्य फायदे

  • कई बार गैस की परेशानी लोगों के लिए बड़ी समस्या का कारण बन जाती है। गैस की परेशानी होने से कई लोगों का पेट फूलने लगता है। तीखुर को 2-3 ग्राम मात्रा में रोज लें और साथ में पानी पी लें। यह गैस की समस्या से आपको मुक्ति देगा और पेट फूलने की परेशानी को भी दूर होगी।
  • अगर आपको दस्त की समस्या है तो तीखुर राइजोम को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को दूध और शक्कर के साथ मिलाकर खाएं। यह दस्त की परेशानी में लाभ करेगा।
  • गर्मियों के समय में बहुत से लोगों को पेशाब में जलन, रुक-रुक कर यूरिन आना जैसी समस्या होती है। तीखुर की तासीर ठंडी होने के कारण यह यूरिन इन्फेक्शन को दूर करने में मदद करता है। अगर आपको भी यूरिन में जलन हो तो तीखुर के प्रकंद का चूर्ण बनाकर उसे 1-2 ग्राम मात्रा में लें। यह जलन को दूर करने में मदद करेगा। अगर यूरिन में दर्द की परेशानी है तो तीखुर के प्रकंद के चूर्ण को दूध और शक्कर में मिलाएं और इसका सेवन करें। पेशाब में दर्द की समस्या जल्द दूर होगी।
  • अगर आपको लंबे समय से खांसी आ रही है तो 2-3 ग्राम तीखुर चूर्ण को गाय के घी में मिलाकर खाएं। यह खांसी को दूर करने में मदद करता है। इस उपाय को अपनाते समय इस बात का ध्यान रखें कि घी थोड़ा गर्म करके ही उसमें तीखुर चूर्ण मिलाएं।
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