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Amari Bhaaji : इम्युनिटी का पावर हाउस है छत्तीसगढ़ का यह भाजी, फल दिखता है भिंडी जैसा पर होता है खट्टा

Amari Bhaaji : अमारी को बंगाली में अंबाडी भाजी, मेस्तपाट, तेलुगु में गोगुरा, मराठी में अंबाडी भी कहा जाता है. इसके फूल और फल भिंडी जैसे दिखते हैं, लेकिन छोटे होते हैं.

Amari Bhaaji : इम्युनिटी का पावर हाउस है छत्तीसगढ़ का यह भाजी, फल दिखता है भिंडी जैसा पर होता है खट्टा
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By Meenu Tiwari

Amari Bhaaji : क्या आपको पता है छत्तीसगढ़ में एक भाजी ऐसी भी है जो पावरफुल इम्युनिटी बूस्टर है और वो भाजी इस मौसम में हर जगह मिल रही है और इसे छत्तीसगढ़वासी चटनी के रूप में काफी पसंद आती है. हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ी खट्टा भाजी या फिर अमारी भाजी की. खट्टा भाजी के नाम से प्रसिद्ध अमारी भाजी काफी लाभदायक है। पेट मरोड रहा हो या फिर अपच हो रही है तो थोड़ी सी अमारी भाजी उसके लिए लाभदायक होती है। इसे जीर्राटोपी या खट्टा भाजी भी कहा जाता है.


खट्टा भाजी यानी अमारी भाजी इसका इस्तेमाल छत्तीसगढ़ के लोग इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए करते हैं. अमारी को बंगाली में अंबाडी भाजी, मेस्तपाट, तेलुगु में गोगुरा, मराठी में अंबाडी भी कहा जाता है. इसके फूल और फल भिंडी जैसे दिखते हैं, लेकिन छोटे होते हैं.


चना दाल के साथ बनाई जाती है


इसकी भाजी को चना दाल के साथ या थोड़े से प्याज और मिर्च के साथ भी पकाया जाता है. इसके फूलों से चटनी भी बनाई जाती है. लोग इसका इसका सेवन अलग-अलग तरीके से करते हैं ताकि इम्यूनिटी को बढ़ाया जा सके.




अमारी भाजी में पाए जाने वाले गुण

इसकी पत्तियों में बीटा कैरोटीन, आयरन और कैल्शियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है. थाईलैंड में इसके फलों के रंग का इस्तेमाल आइसक्रीम को नेचुरल कलर देने में होता है. इससे जैली भी बनाई जाती है.

रायपुर के आयुर्वेदिक महाविद्यालय से मिली जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ में अम्लीय स्वाद को स्थानीय भाषा में अमारी कहा जाता है. इस भाजी की सबसे खास बात इसका लाल रंग का फूल होता है, जिसे आमतौर पर कली के रूप में संग्रहित कर लिया जाता है और इसका उपयोग चटनी या मसालेदार व्यंजनों में किया जाता है.

वह बताते हैं कि अमारी भाजी के पत्तों में भी स्वाभाविक रूप से खट्टापन होता है. ग्रामीण रसोई में इसका प्रयोग आमतौर पर चने की दाल के साथ किया जाता है. चने की दाल स्वयं में थोड़ी रूखी होती है लेकिन जब उसमें अमारी भाजी मिलाई जाती है, तो दाल न केवल अधिक स्वादिष्ट बन जाती है बल्कि उसका सूखापन भी समाप्त हो जाता है. यह संयोजन न सिर्फ पेट को साफ करता है बल्कि कब्ज जैसी समस्याओं से भी राहत दिलाता है. अमारी भाजी के अम्लीय तत्व पाचन क्रिया को सक्रिय करने का कार्य करते हैं. यदि केवल चने की दाल खाई जाए, तो कब्ज की समस्या हो सकती है लेकिन अमारी भाजी मिलाने से यह जोखिम कम हो जाता है. साथ ही चने की दाल से मिलने वाला प्रोटीन भी बेहतर तरीके से अवशोषित हो पाता है.


कैसे बनाई जाती है खट्टा भाजी

खट्टा भाजी एक प्रकार का साग है. जिसे आप अन्य चीजों के साथ मिलाकर उपयोग कर सकते हैं. या फिर इसे अन्य साग की तरह पकाया भी जा सकता है. छत्तीसगढ़ के स्थानीय लोग इस साग का बड़ी मात्रा में सेवन करते हैं. जिससे इम्यून सिस्टम मजबूत रहता है.

भाजी की कलियों का सुखाकर भी उपयोग


इस भाजी की कलियों को सुखाकर भी रखा जाता है और जरूरत पड़ने पर इसका उपयोग खट्टे मसाले या चटनी के रूप में किया जाता है. यह शरीर की पाचन शक्ति को सुधारने में मददगार है. महिलाओं के लिए भी अमारी भाजी किसी वरदान से कम नहीं है, खासकर एनीमिया यानी खून की कमी से पीड़ित महिलाओं के लिए इसका सेवन अत्यंत लाभकारी माना जाता है. इसमें लौह तत्व, आयरन की प्रचुरता होती है, जो शरीर में हीमोग्लोबिन के निर्माण में मदद करता है.

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