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कर्ज में डूबे कवर्धा के केजाराम सरकार की कर्जमाफी और धान से मिले पैसे से ट्रैक्टर मालिक बन गए, धान खरीदी में कवर्धा ने 15 साल का रिकार्ड तोड़ दिया, दो बरसों में लाभान्वित किसानों की संख्या भी 25 हजार बढ़ी

कर्ज में डूबे कवर्धा के केजाराम सरकार की कर्जमाफी और धान से मिले पैसे से ट्रैक्टर मालिक बन गए, धान खरीदी में कवर्धा ने 15 साल का रिकार्ड तोड़ दिया, दो बरसों में लाभान्वित किसानों की संख्या भी 25 हजार बढ़ी
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By NPG News

संदीप @NPG.NEWS
कबीरधाम, 26 फरवरी 2020। छत्तीसगढ़ के कवर्धा विकाखण्ड के लघान गांव के ठेठ किसान केजाराम चन्द्रवंशी। उम्र यही कोई 50 बरस। चेहरे पर अजीब सुकून और आत्मविश्वास के भाव। कर्ज के बोझ से लदा केजाराम ने सोचा भी नहीं था कि उसके पास अपना ट्रैक्टर होगा….अपने ट्रैक्टर से वो अपने खेत की बुवाई करेगा। लेकिन, सरकार की कर्जमाफी और धान बेचने से मिले पैसे से डाउन पेमेंट कर उसने हाल ही ट्रैक्टर खरीद लिया है। केजाराम का कहना है, अब उसे खेत जोतने किराये में ट्रैक्टर नहीं लेना पड़ेगा, बल्कि अब वह खुद किराये पर लोगों को ट्रैक्टर मुहैया कराएगा।

केजाराम बताते हैं, इस अबकी धान से भी अच्छा पैसा मिल गया। 1 लाख 73 हजार रूपए सरकार ने उनके खाते में ट्रांसफर कर दिए। इतना पैसा उन्हें कभी नहीं मिला। यह बताते हुए उनका चेहरा पर चमक आ जाती है कि अभी तो बोनस के भी पैसे मिलने वाले हैं। उन्होने बताया, कर्जा माफी का भी मैंने अच्छा सदुपयोग किया। सरकार ने मेरा 1 लाख 10 हजार रूपए का कर्जा माफ किया। मैने एक लाख रूपए डाउन पेंमेंट कर ट्रेक्टर खरीदी किया। केजाराम कहते हैं, अभी तक मैं किराये पर ट्रैक्टर लाता था। अब मैं अपने खेतों की जुताई तो करूंगा ही, दूसरों को किराये पर देने से मुझे अब एक्सट्रा आमदनी होगी।


खैरझिटी गांव के संतोष निषाद की मार्मिक दास्तां दिल को छू लेती है। संतोष के पिता ने 12 साल पहले 50 हजार रुपए का कर्ज लिया था। राशि बढ़ते-बढ़ते 80 हजार पहुंच गई। घर की आर्थिक स्थिति अच्छी थी नहीं। उपर से सरकार ने उन्हें डिफाल्टर घोषित कर दिया। संतोष की आंखें डबडबा जाती है। वे बताते हैं, पिता की तबियत बिगड़ी और उन्हें बचाया नहीं जा सका। इसके बाद प्रदेश में नई सरकार बनी। भूपेश बघेल सीएम बनें। उन्होने शपथ लेने के बाद सबसे पहले किसानों का कर्जा माफ करने का फैसला लिया। इस फैसले से हम लोगों की तकदीर और तस्वीर दोनों बदल गई। सरकार ने हमारा ब्याज के साथ 80 हजार कर्जा माफ किया। उन्होने बताया, इस वर्ष मैंने अपना पंजीयन कराया और कड़ी मेहनत कर धान उपजाया। और, इसका सुखद परिणाम भी मुझे मिला। 93 हजार रूपए का मैने धान बेचा। पैसे मेरे खाते में आ गए हैं।

दरअसल, पिछले वर्षो की तुलना में कबीरधाम जिले ने धान खरीदी में एक नया कीर्तिमान गढ़ा है। न सिर्फ ज्यादा धान खरीदी में, बल्कि पंजीकृत किसानों की संख्या से लेकर भुगतान करने तक में। इस साल सर्वाधिक 29 लाख 17 हजार 835 कि्ंवटल की धान खरीदी की गई है। जिले के 74 हजार 191 किसानों ने समर्थन मूल्य पर 533 करोड़ 33 लाख रूपए का धान बेचा है। इन किसानों में 25 हजार 370 ऐसे किसान भी शामिल है, जिनका प्रदेश सरकार ने अपने वायदे के मुताबिक उनका कर्जा माफ कर डिफाल्टर किसानों से विकास के मुख्य धारा में शामिल किया।
अफसर बताते हैं, 75 हजार 386 किसानों का 455 करोड रूपए का कर्जा माफ हुआ है। इन किसानों में कबीरधाम जिले के 25 हजार 370 ऐसे किसान भी शामिल है, जिन्होने बीते 15 वर्षों में अपनी आर्थिक तंगी में आकर अपने कर्जा अदा नहीं कर पा रहे थे और वे सभी किसान समर्थन मूल्य में धान नहीं बेच पा रहे थे। राज्य सरकार द्वारा कर्जा माफी करने के बाद सभी किसानों को डिफाल्टर सूची से बाहर लाया गया और सामान्य किसानों की तरह इस बार अपनी उपज धान समर्थन मूल्य में बेच पाए। कवर्धा के पत्रकार ताहिर खान का कहना है कि सिस्टम की कसावट के चलते इस बार धान का भुगतान भी इस बार द्रुतगति से हुआ। ताहिर खुद भी किसान हैं। उनका कहना है, धान बेचने के चौथे दिन उनके खाते में पैसे ट्रांसफर हो गए।

लाभान्वित किसानों की संख्या 25 हजार बढ़ी

वर्ष पंजीकृत किसानों की संख्या धान की खरीदी जिला
2015- 2016 42944 20 लाख 43 हजार 6 सौ क्विंटल कबीरधाम
2016-2017 50 हजार 644 23 लाख 25410 क्विंटल की धान कबीरधाम
2017-2018 49148 20 लाख 90 हजार 6 सौ क्विंटल कबीरधाम
2018- 2019 61हजार 151 27 लाख 83 हजार 40 क्विंटल की धान कबीरधाम
2019-2020 74 हजार 191 29 लाख 17 हजार 830 क्विंटल की धान कबीरधाम

यदि हम आकड़ों की बात करें तो वर्ष 2015-16 में कबीरधाम जिले में 42944 पंजीकृत किसानों से 20 लाख 43 हजार 6 सौ क्विंटल धान खरीदी हुई। वर्ष 2016-17 में 50 हजार 644 पंजीकृत किसानों से 23 लाख 25410 क्विंटल की धान खरीदी हुई। वर्ष 2017-18 में 49148 पंजीकृत किसानों से 20 लाख 90 हजार 6सौ क्विंटल की धान की खरीदी हुई। वर्ष 2018-19 में 61 हजार 151 पंजीकृत किसानों से 27 लाख 83 हजार 40 क्विंटल की धान की खरीदी हुई। पिछले पांच वर्षों में इस वर्ष 2019-20 में सर्वाधिक धान की खरीदी का नया रिकार्ड बनाया गया है। इस वर्ष कबीरधाम जिले में 74 हजार 191 पंजीकृत किसानों से 29 लाख 17 हजार 830 क्विंटल की धान की खरीदी गई है।

साहूकार से कर्ज लिए बिना बेटी की शादी

सीताराम राम साहू मुलतः कबीरधाम जिले के ग्राम खैरझिटीकला के रहने वाले हैं। जब उनके घर पहुंचे तक वह अपने घर पर वॉशिंग मशीन से कपड़े साफ करते नजर आए। उनसे कर्जा माफी और पिछले वर्ष 25 सौ रूपए धान का समर्थन मूल्य का दाम पर राय जानने की कोशिश की। वह कर्जा माफ शब्द सुनते भावुक हो गए। उन्होने कहा कि साहब…! अगर मेरा 2 लाख 50 हजार कर्जा माफ नहीं होता तो मै अपनी बेटी और बेटे का शादी धूमधाम से नहीं कर पाता। अगर करता भी तो किसी साहूकार से कर्जा लेना पढ़ता या फिर अपनी जमीन बेचनी पड़ती। सीताराम ने बताया, इस साल मैने 1 लाख 90 हजार रूपए का धान बेचा है। पैसा भी खाते में आ गया है। उन्होने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने सभी वायदे निभा रहे हैं।

पक्का मकान का सपना पूरा

झलझला गांव के लोकेश त्रिपाठी और योगेश त्रिपाठी दोनों भाई हैं। खेती उनका मुख्य पेशा है। इस वर्ष उन्होंने 107 क्विंटल धान बेचा। उनके खाते में 1 लाख 95 हजार रूपए आ गए हैं। उन पर ढाई लाख रुपए कर्ज था। इनमें से सरकार ने दो लाख रुपए माफ कर दिया। इसका फायदा यह हुआ कि धान से मिले पैसे से हमने कच्चे मकान को मरम्मत करा पक्का करा लिया। लोकेश का कहना है कि धान का समर्थन मूल्य बढने से पढे लिखे युवकों का ध्यान पर सरकार नौकारी से भी ध्यान हटकर खेती किसानी की ओर लौट रहा है। राधेश्याम ने कहा समर्थन मुल्य बढ़ने से आय बढ़ी, आत्म विश्वास भी बढ़ा है।

युवाओं का आकर्षण बढ़ा खेती में

राधेश्याम चन्द्राकर मुलतः गोपालभावना के लघु किसान हैं। इस वर्ष उन्हांने 1 लाख 10 हजार रूपए का धान बेचा है। पैसे भी मिल गए है। कर्जा माफी का लाभ भी मिला है। राधेश्याम ने कहा, धान का समर्थन मूल्य बढ़ने से किसानों में क्रय शक्ति बढ़ी हैं और आत्मविशवास भी बढा है। युवाओं में भी अब खेती की ओर आकर्षण बढ़ा है।

धान के पैसे से बेटे के लिए दुकान

ग्राम डेहरी के रहने वाले फल्लूराम का सात लाख रुपए कर्ज माफ हुआ। इस वर्ष उन्होंने 6 लाख 50 हजार रूपए का धान बेचा है। फल्लूराम का कहना है, कर्जा माफ का लाभ मिलते ही मैने अपना कच्चा मकान को पक्का किया। बेटे के लिए उन्होंने एक दुकान भी खोल दी है।

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