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काल भैरव बनारस के कोतवाल ..कोतवाली बनारस के स्थाई प्रभारी भी.. थाना स्थापना के समय से है कोतवाली प्रभारी..

काल भैरव बनारस के कोतवाल ..कोतवाली बनारस के स्थाई प्रभारी भी.. थाना स्थापना के समय से है कोतवाली प्रभारी..
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By NPG News

बनारस,6 फ़रवरी 2021। आस्था और उससे जुड़ी परंपराएँ कई बार चमत्कृत करती हैं। सनातन धर्म की मान्यता परंपरा के अनुरुप काशी में यह मान्यता है कि काल भैरव बनारस के कोतवाल हैं, काशी स्थिति विश्वनाथ महादेव के दर्शन तब तक अधूरे हैं जब तक काल भैरव के दरबार में हाज़िरी नही होती। यह मान्यता है कि काशी के कोतवाल के दरबार में यात्री को अपनी उपस्थिति दर्ज करानी अनिवार्य है। लेकिन मान्यता केवल यहीं तक नही थमती, काशी के कोतवाल काल भैरव दरअसल बनारस की कोतवाली के भी प्रभारी हैं। जी, आप सही पढ़ रहे हैं, काल भैरव बनारस की कोतवाली के स्थाई प्रभारी हैं।बनारस के विश्वेश्वरगंज ईलाके में मौजुद है बनारस का कोतवाली थाना।यह थाना सन् 1901 में अस्तित्व में आया, और उस ब्रिटिश दौर से इस थाने में कोतवाल की कुर्सी पर विराजमान है काल भैरव की तस्वीर। कोतवाल का कक्ष काल भैरव के लिए आरक्षित है। पुलिस विभाग की ओर से नियुक्त कोतवाल बग़ल में दूसरी कुर्सी पर बैठते हैं।परंपरा के अनुरुप कोई भी नया अधिकारी या कर्मचारी जब भी आता है, तो सबसे पहले कोतवाल याने काल भैरव को सलामी देता है।
मौजूदा कोतवाली थानेदार प्रमोद पांडेय ने बताया
“यह बहुत ही पुरानी परंपरा है, और इसका महत्व भी है, शहर कोतवाली के स्थाई प्रभारी काल भैरव हैं। उनका कक्ष है, उनकी कुर्सी है।और यह भी जानकारी में रखिए कि,कोतवाली में कोई मसला आया है तो बगैर हल के नही रहता।”
कोतवाली के स्थाई प्रभारी काल भैरव के इस थाने में इंस्पेक्शन करने भी कोई नही फटकता, बताते हैं कि पहले कभी जिन्होंने कोशिश की वे बनारस में टिक ही नही पाए।
मान्यता है कि काल भैरव का वह मंदिर जो 1715 में निर्मित था, हर बड़ा प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी वहाँ सबसे पहले पहुँच कर दर्शन करता है और उनकी अनुमति के बाद ही काम शुरु करता है।

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