जेपी नड्डा बने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ से भी रहा है नड्डा का गहरा नाता… रमन के करीबी कहे जाते हैं जानें- कैसा रहा अब तक का सियासी सफर
नयी दिल्ली 20 जनवरी 2020। जेपी नड्डा को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का नया अध्यक्ष चुन लिया गया है. पार्टी के राष्ट्रीय चुनाव अधिकारी राधामोहन सिंह ने जेपी नड्डा के अध्यक्ष चुने जाने की घोषणा की. राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर सोमवार को नामांकन दाखिल किए गए थे. नामांकन दाखिल करने का आखिरी समय आज 12.30 बजे तक था. जेपी नड्डा को छोड़कर किसी और ने नामांकन नहीं भरा और 2:30 बजे तक नाम वापसी का आखिरी समय था.
जेपी नड्डा का छत्तीसगढ़ से गहरा रिश्ता रहा है, वो लंबे समय तक छत्तीसगढ़ के प्रदेश प्रभारी भी रहे हैं। रमन सिंह उनके बेहद करीबी कहे जाते हैं।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी समेत समस्त भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री, राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष जेपी नड्डा के नाम का प्रस्ताव रखा। उन्हें मोदी और अमित शाह के अलावा संघ का करीबी माना जाता है। शाह के केंद्रीय मंत्री बनने के बाद नड्डा को 19 जून 2019 काे कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
- 1993 से लेकर 2002 तक हिमाचल प्रदेश विधानसभा के सदस्य.
- 1998 से लेकर 2003 तक हिमाचल प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री.
- 2008 से लेकर 2010 तक धूमल सरकार में मंत्री, कई अहम मंत्रालय संभाले.
- अप्रैल 2012 में राज्यसभा सांसद चुने गए.
- 2014 से लेकर 2019 तक मोदी सरकार में स्वास्थ्य मंत्री.
- जून 2019 को बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष चुने गए.
नड्डा का निर्विरोध पार्टी अध्यक्ष चुनाजाना पहले से ही तय माना जा रहा था। अमित शाह के गृह मंत्री बनने के बाद से ही बीजेपी के वर्किंग प्रेजिडेंट के तौर पर काम संभाल रहे जेपी नड्डा अब पूर्ण अध्यक्ष हो चुके हैं। लो-प्रोफाइल रहने वाले और बड़ेबोले बयानों से दूर रहने वाले जेपी नड्डा भले ही करिश्माई नेता न माने जाते हों, लेकिन संगठन पर उनकी पकड़ हमेशा रही। आइए जानते हैं, कैसा रहा जेपी नड्डा का सियासी सफऱ…
मूल रूप से हिमाचली और बिहार में जन्मे जेपी नड्डा लंबे समय से बीजेपी की राष्ट्रीय राजनीति का हिस्सा हैं। पहली बार 1993 में हिमाचल प्रदेश विधानसभा में पहुंचने वाले जेपी नड्डा का जन्म 2 दिसंबर, 1960 को पटना में हुआ था। पटना में ही स्कूलिंग से लेकर बीए तक की पढ़ाई की पढ़ाई की। यहीं वह आरएसएस के छात्र संगठन एबीवीपी से जुड़े थे। इसके बाद वह अपने गृह राज्य हिमाचल प्रदेश लौटे और एलएलबी किया।
पटना से शिमला तक छात्र राजनीति का अनुभव
हिमाचल यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान वह छात्र राजनीति में ऐक्टिव रहे और फिर बीजेपी में एंट्री ली। वह तीन बार बीजेपी के टिकट पर हिमाचल विधानसभा पहुंचे। 1993-98, 1998 से 2003 और फिर 2007 से 2012 तक वह विधायक रहे। यही नहीं 1994 से 1998 तक वह प्रदेश की विधानसभा में बीजेपी विधायक दल के नेता भी रहे।
कभी धूमल के मंत्री थे, आज शीर्ष नेता
पहली बार अहम जिम्मेदारी उन्हें 2008 में मिली, जब प्रेम कुमार धूमल सरकार में वह स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री बने। उस वक्त वह भले ही धूमल के मंत्री थे, लेकिन अगले कुछ सालों में उनका कद ऐसा बढ़ा कि आज वह बीजेपी के अध्यक्ष हैं और पार्टी के सीनियर नेताओं में से एक हैं।