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झीरम कांड : कांग्रेस के आरोप पर बोले डॉ रमन….तत्कालीन केंद्र सरकार ने NIA जांच का दिया था निर्देश…. CBI जांच की मांग भी की गयी थी, लेकिन ठुकरा दिया गया

झीरम कांड : कांग्रेस के आरोप पर बोले डॉ रमन….तत्कालीन केंद्र सरकार ने NIA जांच का दिया था निर्देश…. CBI जांच की मांग भी की गयी थी, लेकिन ठुकरा दिया गया
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By NPG News

रायपुर 22 जून 2020। झीरम नक्सली हमले को कांग्रेस की तरफ से सुपारी किलिंग करार दिये जाने के बाद भाजपा ने भी पलटवा किया है। पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा है कि NIA से जांच कराने का फैसला तत्कालीन UPA सरकार का था। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस के पास अगर तथ्य हैं, तो वो उसे लेकर कहीं भी जाने के लिए स्वतंत्र हैं। मीडिया से बातचीत करते हुए रमन सिंह ने कहा कि 25 मई 2013 को बस्तर की झीरम घाटी में नक्सलियों द्वारा कांग्रेस पार्टी के नेताओं का नरसंहार की घटना बहुत ही दुखद थी और इस घटना में हमने अपने अच्छे साथियों को गंवाया था।

उन्होंने कहा कि आज कांग्रेस सरकार द्वारा इस विषय को फिर से लाया है, घटना के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एवं तत्कालीन गृह मंत्री सुशील शिंदे ने छत्तीसगढ. का दौरा किया था और वापस जाकर तत्कालीन गृह मंत्री ने NIA जांच की सहमति उनसे मांगी थी, जिसे तुरंत मान लिया गया। रमन सिंह ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा झीरमघाटी की जांच के लिए एसआईटी का गठन करना समझ से परे है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या राज्य की एसआईटी, देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी NIA से ऊपर है?

तत्कालीन रमन सरकार ने इस घटना की स्वतंत्र जांच के लिए न्यायिक जांच आयोग का गठन किया था, जिसकी जांच जारी है और इस आयोग द्वारा अखबारों में कई बार विज्ञापन दिया गया कि झीरमघाटी के संबंध में किसी भी तरह के सबूत किसी भी व्यक्ति के पास यदि है तो वह इस आयोग को सौंप सकता है। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद 7 साल बाद घटना की जांच हेतु एसआईटी की मांग करना समझ से परे है। उन्होंने कहा कि क्या राज्य की एसआईटी, एक सिटिंग जज की अध्यक्षता में बने आयोग से ऊपर है?

रमन सिंह ने कहा कि 16 जून 2020 को NIA ने जगदलपुर की विशेष NIA अदालत में याचिका लगाकर आवेदन किया कि मई 2020 में जितेन्द्र मुदलियार द्वारा की गई FIR की जांच भी NIA को सौंप दी जाये क्योंकि इस घटना की जांच NIA पहले से कर रहा है।
कांग्रेस के सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि आज पूछा जा रहा है कि CBI ने जांच क्यों नहीं किया, जबकि गृह मंत्रालय को CBI जांच के लिए आग्रह किया था, लेकिन NIA CBI के समकक्ष एजेंसी है इस कारण CBI ने इस घटना की जांच ना करना उपयुक्त समझा होगा।
NIA जैसी देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी के ऊपर आरोप लगाना सरासर गलत है इस तरह की एजेंसी किसी भी घटना की जांच प्रोफेशनल तरीके से करती है और यदि आपके पास इस घटना से संबंधित कोई सबूत या जानकारी देना चाहते है तो NIA को या न्यायिक जांच आयोग को आज भी सौंप सकते है।

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