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Tadasha Mishra DGP: एक दिन की डीजीपी, रिटायरमेंट से 24 घंटे पहले तदाशा मिश्रा बनीं डीजीपी, गृह विभाग की अधिसूचना जारी, जानें उनका पूरा प्रोफाइल
Jharkhand DGP Tadasha Mishra : झारखंड सरकार ने 1994 बैच की आईपीएस तदाशा मिश्रा को रिटायरमेंट से 24 घंटे पहले नियमित डीजीपी नियुक्त किया। जानें उनका पूरा प्रोफाइल।

Tadasha Mishra Jharkhand DGP: झारखंड पुलिस के इतिहास में 31 दिसंबर 2025 एक खास तारीख बन गई। 1994 बैच की आईपीएस अधिकारी तदाशा मिश्रा को सेवानिवृत्ति से महज 24 घंटे पहले राज्य का नियमित पुलिस महानिदेशक (DGP) नियुक्त किया गया। गृह विभाग की ओर से अधिसूचना जारी होते ही यह फैसला चर्चा में आ गया। तदाशा मिश्रा आज ही सेवा से रिटायर हो रही हैं, लेकिन उससे पहले सरकार ने नियमावली में संशोधन कर उन्हें स्थायी डीजीपी का दर्जा दिया।
हेमंत सोरेन सरकार का अहम प्रशासनिक संदेश
हेमंत सोरेन सरकार के इस कदम को प्रशासनिक और प्रतीकात्मक, दोनों नजरियों से अहम माना जा रहा है। यह फैसला न सिर्फ महिला नेतृत्व को लेकर एक स्पष्ट संदेश देता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि सरकार पुलिस महकमे में अनुभव और सख्ती को प्राथमिकता देना चाहती है। तदाशा मिश्रा पहले से ही प्रभारी डीजीपी के तौर पर काम कर रही थीं, ऐसे में उन्हें औपचारिक रूप से शीर्ष पद सौंपा गया।
प्रभारी से नियमित डीजीपी तक का सफर
इससे पहले राज्य के तत्कालीन डीजीपी अनुराग गुप्ता के स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के बाद 6 नवंबर 2025 को तदाशा मिश्रा को प्रभारी डीजीपी बनाया गया था। तब यह माना जा रहा था कि उनका कार्यकाल सीमित रहेगा, क्योंकि उनका रिटायरमेंट नजदीक था। बावजूद इसके, सरकार ने आखिरी दिन उन्हें नियमित डीजीपी नियुक्त कर एक अलग मिसाल कायम कर दी।
1994 बैच की सख्त छवि वाली अधिकारी
मूल रूप से ओडिशा की रहने वाली तदाशा मिश्रा ने 1994 में यूपीएससी परीक्षा पास कर आईपीएस सेवा जॉइन की थी। शुरुआत में उन्हें बिहार कैडर मिला, लेकिन झारखंड के गठन के बाद वह झारखंड कैडर में ही बनी रहीं। संयुक्त बिहार के दौर में वह रांची की सिटी एसपी रह चुकी हैं और झारखंड सशस्त्र पुलिस (JAP-1) में कमांडेंट के तौर पर भी सेवाएं दे चुकी हैं। बोकारो और गिरिडीह जैसे संवेदनशील जिलों में एसपी रहते हुए उनकी पहचान एक कड़क और अनुशासनप्रिय अफसर के रूप में बनी।
नक्सल विरोधी अभियानों में अहम भूमिका
तदाशा मिश्रा ने एडीजी रेल के पद पर काम किया और गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग में विशेष सचिव के रूप में प्रशासनिक अनुभव भी हासिल किया। नक्सल विरोधी अभियानों में उनकी भूमिका खास तौर पर चर्चा में रही। बोकारो की एसपी रहते हुए उन्होंने झुमरा पहाड़ और लूगू पहाड़ जैसे नक्सल प्रभावित इलाकों में खुद जाकर ऑपरेशनों की कमान संभाली। इसी वजह से नक्सली इलाकों में उनके नाम का खासा खौफ रहा।
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