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तीन जगह एंबुश में फँसे थे जवान.. पहाड़ के पास 3,जुन्ना गुड़ा के पास 14..दो किलोमीटर आगे पेड़ के नीचे 6जवानों के शव.. माओवादियों के ट्रेप में फँसे जवान..

तीन जगह एंबुश में फँसे थे जवान.. पहाड़ के पास 3,जुन्ना गुड़ा के पास 14..दो किलोमीटर आगे पेड़ के नीचे 6जवानों के शव.. माओवादियों के ट्रेप में फँसे जवान..
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By NPG News

रायपुर/बीजापुर,4 अप्रैल 2021। बीजापुर के जुन्ना गूड़ा और एक्कल गूड़ूम के बीच हुए मुठभेड़ को लेकर जो खबरें सामने आई है उसे लेकर अब इसे मुठभेड़ के बजाय माओवादियों का हमला लिखना सही होना चाहिए। माओवादियों ने यू शेप में एंबुश लगाया
और जवानों को तीन जगहों पर बुरी तरह घेर दिया। इधर पुलिस मुख्यालय घटना के क़रीब सोलह घंटे बाद भी पूरे घटना के ब्यौरे के साथ तैयार नहीं पाया जा रहा है।
माओवादियों की यह तैयारी कि वे, फ़ोर्स पर हमले करेंगे इसका ज़िक्र उनकी ओर से जारी नवंबर 2020 की विज्ञप्ति में मिलता है।
माओवादियों ने हमले के लिए वही ट्रिक अपनाई जिसे धोखा कहा जाता है। माओवादियों ने हिड़मा और माओवादियो की मौजुदगी की खबर फ़ोर्स तक बेहद कुशलता से पहुँचाई और फ़ोर्स इस सूचना पर मौक़े के लिए बढ़ गई। नक्सलियों की मिलिट्री बटालियन वन और सीआरसी वहाँ मौजुद थी और उसने जवानों को पहले भीतर तक आने दिया और तीन ओर से घेर कर अंधाधुँध फ़ायरिंग की। पहला एंबुश पहाड़ी के पास लगाया गया दूसरा जुन्ना गुड़ा गाँव में जबकि आगे करीब दो किलोमीटर पर तीसरा एंबुश लगाया गया।ऐसा लगता है कि जवानों से जब मुठभेड़ शुरु हुई तो शुरुआती दौर में माओवादी पीछे की ओर हटे और एंबुश को और पुख़्ता किया। नतीजतन जवानों को जब तक यह समझ आता कि वे घिर गए हैं नुकसान होना शुरु हो गया।
पहाड़ी के पास तीन जवानों के शव, जुन्ना गुडा गाँव के भीतर चौदह जवानों के शव और वहाँ से दो किलोमीटर आगे 6 जवानों के शव होने की सूचना है।
इस पूरे घटनाक्रम में पुलिस के आला अधिकारियों ने चुप्पी साध ली है। कोई भी सटीक जानकारी देने को या तो उपलब्ध नहीं है या फिर उनतक जानकारी ही नहीं पहुँच रही है, नतीजतन अलग अलग खबरों के तैरने से यह तय कर पाना मुश्किल है कि किसे सही माना जाए किसे ग़लत। मसलन कल पीएचक्यू में संक्षिप्त लिखित नोट में दावा था कि जो बल सर्चिंग के लिए निकला था उसमें सुकमा की टीम भी थी, पर बीजापुर ज़िला अस्पताल में भर्ती घायल जवान की यह बात कल से वायरल है कि मुठभेड़ स्थल पर जो फ़ोर्स पहुँची थी वहाँ सुकमा की फ़ोर्स नहीं थी। नतीजतन जवानों की संख्या कम थी और माओवादियों की संख्या ज़्यादा। पर इस पर भी कहीं कोई सरकारी पक्ष घायल जवान की बात को सही ग़लत या कोई कारण देने उपलब्ध नहीं है।
एक अपुष्ट सूचना इस खबर को लिखते लिखते आई है कि, रेस्क्यु के लिए पहुँचे हैलीकाप्टर के पास ब्लास्ट हुआ है हालाँकि इसमें कोई नुक़सान नहीं हुआ है।पर ना कोई पुष्टि कर रहा है और ना ही खंडन।
माओवादियों ने UBGL और कैंची जैसे बम फेंके, और अंधाधुंध फ़ायरिंग वह भी अत्याधुनिक हथियारों से की। ज़ाहिर है किसी PLGA समुह के पास ऐसे हथियार नहीं हो सकते जैसा कि कल पीएचक्यू के द्वारा जारी संक्षिप्त नोट जानकारी देता है, विदित हो कि पीएचक्यू की ओर से इसे PLGA से मुठभेड़ बताया गया था।
पंक्तियों के लिखे जाने तक शहीदों की अंतिम संख्या नहीं मिल पाई है। NPG ने जो आंकडे दिए हैं वे स्थानीय सूत्रों के आधार पर दिए हैं।

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