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कोरोना के साये में पीलिया की दस्तक….

कोरोना के साये में पीलिया की दस्तक….
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By NPG News

रायपुर 16 अप्रैल 2020. भले ही अभी दुनिया कोरोना वायरस के खौफ में बंद है, पर पुरानी बीमारियां भी रह-रह कर अपनी मौजूदगी का अहसास कराना नही भूल रही. जैसे जैसे गर्मी आती जा रही, पीलिया अपने पैर पसार रहा है. नया रायपुर में स्तिथ, बालको मेडिकल सेंटर, यद्यपि एक उत्कृष्ट कैंसर अस्पताल है लेकिन जन-जागरूकता के लिए हमेशा से काम करता आ रहा है. डॉ अनिमेष चौधरी, सलाहकार और प्रभारी, मेडिसिन विभाग, बालको मेडिकल सेंटर बताते है की किसी गांव या शहर में पीलिया के फैलने का प्रमुख कारण अशुद्ध पानी होता है। गर्मी के कारण नदी तालाब सूखने लगते है, भूजल का स्तर नीचे जाने लगता है , साथ ही नालियों में कचरा जाम होने लगता है । इस समय विभिन्न कारणों से क्षतिग्रस्त हुई जल आपूर्ति की पाइप लाईनो में गंदगी मिलने लगती है, जो एक साथ बहुत से लोगो मे पीलिया होने का कारण होता है. साथ ही बाहर का खाना भी इसका कारण हो सकता है. वैसे पीलिया के कई प्रकार होते है, जैसे हमारे प्रदेश में सिकल सेल के मरीजों में रक्त की कमी का पीलिया होना, अल्कोहल के कारण पीलिया होना या पित्त की थैली में रुकावट से पीलिया होना, पर सबसे सामान्य है, गंदे पानी से होने वाला पीलिया. यह पीलिया भी एक वायरस ( हेपेटाइटिस A और E ) से होनी वाली बीमारी है. दो और हेपेटाइटिस (B और C) भी वायरस से होने वाले पीलिया है, पर यह पानी से नही फैलते, बल्कि खून चढ़ाने, नीडल से चोट लगने और असुरक्षित शारीरिक संबंधों से फैल सकते है। “

डॉ अनिमेष बताते है, “पीलिया के शुरुआती लक्षणों में बुखार जैसा महसूस होना, भूख न लगना, कमजोरी लगना, मितली लगना आदि होते है, समय के साथ आँखों और नाखूनों में पीलापन दिखने लगता है. पीलिया के बिगड़ने पर बेहोशी आना, झटके आना जैसे दिमागी लक्षण भी आ सकते है. पीलिया मुख्यतः लिवर ( यकृत) के इन्फेक्शन से होता है, जो शरीर मे भोजन पकाने के लिए प्रमुख अंग है. इसीलिए इस बीमारी में खाने पचाने में दिक्कत होती है, और मरीज कमजोर होता जाता है. अच्छी बात ये होती है कि अधिकतर वायरल बीमारियों की तरह पीलिया के अधिकतर मरीज 8 से 10 दिन खुद से ठीक हो जाते है, पर इस दौरान वो बहुत ज्यादा कमजोर हो जाते है और दूसरे इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है. इसके बचाव के लिए पीलिया में मरीज को शुरू से ही अधिक ग्लूकोस और पानी की जरूरत होती है. छोटे बच्चों, बुजुर्गों, डायबिटीज के मरीज, मदिरप्रेमी और गर्भवती महिलाओं में पीलिया से गंभीर जानलेवा परिणाम हो सकते है, और ऐसे मरीज़ों को तुरंत अस्पताल में भर्ती कर इलाज करना चाहिए. कई बार पीलिया बहुत बढ़ जाता है, और दिमाग और किडनी को भी ग्रसित कर लेता है, जो जानलेवा स्तिथि होती है. “
पीलिया से बचने के लिए डॉक्टर चौधरी सुझाते है, “पीलिया से बचाव के लिए, बाहर कुछ भी खाने पीने से बचें, पाइन का पानी उबाल कर उपयोग करे. पीलिया संबंधी लक्षण होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाए. अगर पीलिया का इलाज जल्दी शुरू कर दिया जाए तो इसके घातक परिणाम की संभावना बहुत कम हो जाती है, इसलिए लक्षणों के दिखते ही तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए, झाड़ फूक से बचना चाहिए. जल्दी शुरू किया गया इलाज , पीलिया को बिगड़ने से रोकता है.
आप थोड़ी सी जानकारी और सावधानी रख कर इस बीमारी से लड़ सकते है, जिससे आपको और आपके परिवार को परेशानियों का सामना न करना पड़े.”

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