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IPS भोजराम कल बच्चों को देंगे “संघर्ष से सफलता” की सीख……यू-ट्यूब चैनल पर होगा LIVE स्ट्रीम….. शिक्षाकर्मी से IPS बने भोजराम पटेल कभी भूखे पेट सोने को थे मजबूर….आज भी मां को मालूम नहीं IPS क्या होता है

IPS भोजराम कल बच्चों को देंगे “संघर्ष से सफलता” की सीख……यू-ट्यूब चैनल पर होगा LIVE स्ट्रीम….. शिक्षाकर्मी से IPS बने भोजराम पटेल कभी भूखे पेट सोने को थे मजबूर….आज भी मां को मालूम नहीं IPS क्या होता है
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By NPG News

रायपुर 15 जनवरी 2021। IPS भोजराम पटेल बच्चों को कामयाबी का गुर बतायेंगे। कल सुबह 11 बजे भोजराम पटेल यूट्यूब पर LIVE होंगे। इस दौरान वो बच्चों को “संघर्ष से सफलता” की सीख देंगे। बेहद गरीबी में बचपन का दिन गुजारने वाले माटीपुत्र की संघर्ष बेमिसाल रही है। कभी दो जून की रोटी को मोहताज रहे भोजराम ने जिस हालात में पहले पढ़ाई पूरी की, फिर शिक्षाकर्मी की नौकरी पायी और फिर देश का सर्वोच्च इम्तिहान पास किया…वो ना सिर्फ आज के दौर के बच्चों के लिए प्रेरक साबित होगी, बल्कि बच्चों संघर्ष और सफलता की प्रेरणा भी देगी। रायगढ़ के रहने भोजराम पटेल के पिता किसान थे, जमीन भी मामूली थी, बावजूद हर विपरीत हालात का सामना करते हुए उन्होंने जिंदगी में सर्वोच्च मुकाम हासिल किया।

छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा पढ़ई तुँहर दुआर के साप्ताहिक वेबिनार में भोजराम पटेल मोटिवेशनल स्पीच देंगे। तीन कड़ियों में IPS भोजराम पटेल की संघर्ष गाथा बच्चों के बीच आयेगी। पहली कड़ी कल सुबह 11 बजे लाइव प्रसारित होगी। इसी कड़ी में बच्चों का मनोबल बढ़ाने एवं उनको जीवन में लक्ष्य प्राप्ति के बारे में SP भोजरम पटेल बतायेंगे।

तीन भाग में बने इस विशेष वेबिनार को प्रति शनिवार 11 बजे PTD CG यूटूब चैनल में LIVE स्ट्रीम किया जाएगा। इस वेबिनार को तैयार करने में भोजरम पटेल ने खूब महनेत की है और उन्होंने 3 महीने में, इस वेबिनार को इसका अंतिम रूप दिया हैं। बच्चों के लिए 20-20 मिनट के तीन भाग में बने इस वेबिनार में, SP भोजराम पटेल अपने जीवन के संघर्ष के यात्रा को बताएँगे। राजभवन से IPS भोजराम पटेल की पहली पोस्टिंग बतौर एसपी कांकेर जिले में हुई थी। जिसके बाद उन्हें गरियाबंद का एसपी बनाया गया है।

ऐसी है शिक्षाकर्मी से IPS बनने की कहानी

हालात से हारना नहीं…संघर्ष से मुकरना नहीं….और नाकामी से घबराना नहीं! देश का सर्वोच्च इम्तिहान यूं ही थोड़े ना कोई पास कर जाता है, उसमें भोजराम जैसा फौलादी इरादा होना चाहिये…जीत को छिन लेने का जज्बा होना चाहिये और सफलता तक संघर्ष करते रहने का जुनून होना चाहिये। रायगढ़ के तारापुर का गुड्डू आज इन्ही अग्निपथ पर चलकर IPS भोजराम पटेल बना है। 2014 बैच के इस IPS अफसर ने सालों तक शिक्षाकर्मी बनकर बच्चों के बीच वक्त गुजारा।कभी पिता के साथ अपने खेतों में काम करने वाले भोजराम पटेल ने शिक्षाकर्मी से लेकर IPS अफसर बनने तक का सफर तय किया है। ये सफर आसान नहीं रहा। वो कहते हैं माता-पिता महेशराम पटेल व लीलावती पटेल ने कम पढ़े-लिखे होने के बाद भी पढ़ाई का महत्व समझा और मुझे पढ़ने के लिए प्रेरित किया।2005 में शिक्षाकर्मी वर्ग-2 की नौकरी मिलने के बाद वे रूके नहीं, बल्कि यूपीएससी की तैयारी में जुट गए। कहते हैं यूपीएससी क्रेक करने का उनका ख्वाब कोई बचपन में पला ख्वाब नहीं था, बल्कि शिक्षाकर्मी की ट्रेनिंग के दौरान अफसरों से मुलाकात के दौरान उनमें ब्यूरोक्रेट बनने का जुनून सवार हुआ । वो कहते हैं ना जब जुनून सर चढ़ती है तो फिर कहां कोई बाधा टिक पाती है। भोजराम पटेल ने बिना कोचिंग और बिना किसी संसाधन के ही 2014 में यूपीएससी क्वालीफाई करते हुए आईपीएस का पद प्राप्त किया। उन्हें पता नहीं था आईएएस बनेंगे या आईपीएस, लेकिन ठाना था कि देश का सर्वोच्च इम्तिहान हर हाल में पास करना है।

आधा पेट खाकर गुजरा था बचपन

भोजराम पटेल की मां लीलावती निरक्षर और पिता महेश पटेल प्राइमरी पास हैं। परिवार में दो बीघा जमीन के अतिरिक्त और कुछ नहीं। भोजराम पटेल ने एक इंटरव्यू में बताया था कि मैंने गरीबी को करीब से देखा है। एक दौर था, जब पेट भरना सबसे बड़ी चुनौती थी। घर में अनाज न होता तो मां दाल या सब्जी में मिर्च अधिक डाल देती थीं, ताकि भूख कम लगे और कम भोजन में ही पेट भर जाये। गांव के सरकारी स्कूल में पढ़े भोजराम बचपन में पिता के साथ खेतों में काम करते थे। इन्हीं हालातों के बीच उन्होंने कुछ कर गुजरने का इरादा लेकर शिक्षा को सीढ़ी बनाने का प्रण लिया। शिक्षाकर्मी बने, लेकिन यहीं नहीं थमे मंजिल नहीं थी। आज वो कामयाब आइपीएस अफसर हैं।

मां को मालूम नहीं IPS क्या होता है

आज भी मां लीलाबाई को IPS का मतलब मालूम नहीं, उन्हें ये नहीं मालूम की उनका लाड़ला गुड्डू देश की सबसे बड़ी परीक्षा पास कर बड़ा साहब बन चुका है… वो तो बस यही जानती है कि बेटा पुलिस में है और लोगों की मदद करता है। भोजराम भी अपनी मां के बेहद करीब हैं। अपनी कामयाबी का श्रेय भी वो मां को ही देते हैं।

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