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आईपीएस अशोक जुनेजा बन सकते हैं छत्तीसगढ़ के नए DGP….पढ़िये छत्तीसगढ़ की नम्बर वन पत्रिका छत्तीसगढ़ पावर गेम की रिपोर्ट

आईपीएस अशोक जुनेजा बन सकते हैं छत्तीसगढ़ के नए DGP….पढ़िये छत्तीसगढ़ की नम्बर वन पत्रिका छत्तीसगढ़ पावर गेम की रिपोर्ट
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By NPG News

89 बैच के आईपीएस अशोक जुनेजा प्रदेश पुलिस के नए मुखिया हो सकते हैं। अशोक जुनेजा को नया डीजीपी बनाने के लिए सरकार को तीन सीनियर आईपीएस को ओवरलुक करना पड़ेगा। सत्ता के गलियारे में चर्चा आम है कि सर्जरी करके सरकार जुनेजा को पुलिस महकमे की कमान सौंप सकती है।

छत्तीसगढ़ पावर गेम
रायपुर, 23 अक्टूबर 2020। छत्तीसगढ़ के पुलिस महकमे में शीर्ष लेवल पर बड़ी सर्जरी के संकेत मिल रहे हैं। खबर है, हाल ही में डीजी प्रमोट हुए अशोक जुनेजा पर भरोसा करते हुए सरकार उन्हें नया डीजीपी बना सकती है। डीजी की बहुप्रतीक्षित डीपीसी क्लियर होने के बाद दीवारों पर लिखे इबारत जो समझ में आ रहे हैं, उससे ब्यूरोक्रेसी के जानकार भी स्वीकार कर रहे हैं कि सरकार पुलिस महकमे में कुछ बड़ा करने कीे तैयारी में है।
वैसे, डीजीपी डीएम अवस्थी का पौने दो साल हो गया है। उन्होंने 19 दिसंबर 2018 को पुलिस महकमे की कमान संभाले थी। सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइंस के हिसाब से सरकार डीजीपी को दो साल से पहले नहीं हटा सकती। लेकिन उससे पहले ये भी ध्यान में रखना होगा कि छत्तीसगढ़ पुलिस अधिनियम में प्रावधान है कि सरकार जब चाहे डीजी बदल सकती है। अब यह देखना है कि सरकार दिसंबर मे दो साल पूरा होने का वेट करेगी या अभी कुछ दिनों में कोई बड़ा फैसला लेगी। हालांकि सरकार के पास असीमित पावर होते हैं। केरल और झारखंड को छोड़ दें, तो अभी ऐसा कोई दृष्टांत नहीं है, जिसमें कोई डीजीपी सरकार के खिलाफ कोर्ट चला गए हो। केरल में दो साल पहले जरूर हुआ था कि वहां की सरकार ने डीजीपी को हटाया तो डीजीपी सुप्रीम कोर्ट की शरण ली थी। सुप्रीम कोर्ट ने डीजीपी के पक्ष में फैसला दिया। इसके बाद केरल सरकार को फिर से उन्हें डीजीपी ज्वाईन कराना पड़ा था। लेकिन, छत्तीसगढ़ की स्थिति जुदा है।
डीजीपी अवस्थी के रिटायरमेंट में अभी करीब पौने तीन साल बाकी है। 2023 तक। याने अभी लंबा समय है। उनके रिटायर होते तक प्रदेश के लगभग सभी सीनियर आईपीएस रिटायर हो जाएंगे। 2021 में आरके विज और लांग कुमेर रिटायर होंगे। फिर 2022 में मुकेश गुप्ता। इसके बाद 2023 में संजय पिल्ले, अशोक जुनेजा और डीएम अवस्थी। हालांकि, डीजीपी रहने के दौरान अवस्थी का नाम ऐसा किसी विवाद से नहीं जुड़ा, जो सुर्खियां बनी या सरकार के सामने कोई असहज स्थिति निर्मित हुई। लेकिन, सरकार अब पुलिस के इस शीर्ष पद पर परिवर्तन करना चाहती है। वैसे भी महत्वपूर्ण यह है कि डीएम अवस्थी सरकार की पहली पसंद नहीं थे। याद होगा, 17 दिसंबर 2018 की शाम भूपेश बघेल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ लिया और 19 दिसंबर की देर रात डीजीपी एएन उपध्याय को हटा कर उन्हें पुलिस हाउसिंग कारपोरशन भेजा गया। बताते हैं, सीएम के शपथ लेने के बाद इन 48 घंटों में डीजीपी के लिए गिरधारी नायक का नाम सबसे उपर था। नायक को इसके संकेत भी मिल चुके थे। जेल मुख्यालय से अपना समान समेट कर वे घर भी आ गए थे कि अब पुलिस मुख्यालय की कमान संभालना है। लेकिन, आखिरी कुछ घंटों में सरकार को बताया गया कि नायक सबसे सीनियर होने के बाद भी डीजीपी इसलिए नहीं बन सकते क्योंकि उनके रिटायरमेंट में एक साल से कम समय बचा है। जाहिर है, सुप्रीम कोर्ट का गाइडलाइन था कि जिन आईपीएस अफसरों के रिटायरमेंट में एक साल से कम समय बचा हो, उनके नाम पर विचार न किया जाए। इस तरह नायक का नाम मजबूरी में ड्रॉप करना पड़ गया। अब सरकार के पास 86 बैच के आईपीएस डीएम अवस्थी को डीजीपी बनाने के सिवाय कोई रास्ता नहीं बचा था। दरअसल, विकल्प का भी अभाव था। 83 बैच के गिरधारी नायक के पास डीजीपी बनने के लिए एक साल का समय नहीं बचा था। 84 बैच के डब्लूएम अंसारी रिटायर हो गए थे। 85 बैच के एएन उपध्याय डीजीपी थे, उन्हें हटाना था। 86 बैच में डीएम अवस्थी थे। उनके बाद 87 बैच में बीके सिंह थे, जो सेंट्रल डेपुटेशन में थे। हालांकि, 88 बैच में तीन आईपीएस थे। संजय पिल्ले, आरके विज और मुकेश गुप्ता। लेकिन सरकार इस बैच को टच करने के मूड में नहीं थी। बाद में इन तीनों आईपीएस को डीजी से रिवर्ट कर एडीजी बना दिया गया। हाल में पिल्ले और विज का डीजी पद पर फिर प्रमोशन किया गया है।
वैसे नायक को किस्मत ने भी साथ नहीं दिया। जब उनकी ताजपोशी के लिए सरकार मंथन कर रही थी, उस दौरान सुप्रीम कोर्ट का रिटायरमेंट में एक साल बचा हो, का गाइडलाइंस आड़े आ गया। और, जब डीएम अवस्थी को सरकार ने डीजीपी अपाइंट कर दिया तो सुप्रीम कोर्ट ने एक साल की शर्त को कम करके छह महीने कर दिया। अगर दो महीने पहले सुप्रीम कोर्ट का अमेंडमेंट आ गया होता तो नायक पुलिस के सर्वोच्च पद तक पहुंच गए होते। अशोक जुनेजा 89 बैच के आईपीएस हैं। वे रायगढ़ में एडिशनल एसपी रहे। बिलासपुर में एसपी। दुर्ग और रायपुर में एसएसपी। फिर बिलासपुर और दुर्ग के आईजी भी रहे। वे करीब तीन साल तक खुफिया चीफ रहे। पुलिस विभाग और पुलिस विभाग से संबंधित जो-जो पोस्टिंग होती है, लगभग सारी पोस्टिंग वे कर चुके हैं। मंत्रालय में गृह सचिव भी रहे। डायरेक्टर स्पोर्ट्स भी। ट्रांसपोर्ट में एडिशनल कमिश्नर भी रहे। पुलिस मुख्यालय में खुफिया के साथ सशस्त्र बल, प्रशासन, ट्रेनिंग विभाग संभाल चुके हैं। एक बचा था नक्सल ऑपरेशन। सरकार ने ये पोस्ट भी दे दिया। अभी वे डीजी नक्सल हैं। इसके अलावा जुनेजा सेंट्रल डेपुटेशन भी किए हैं। दो साल तक वे दिल्ली में नारकोटिक्स में रहे। उसके बाद कॉमनवेल्थ गेम्स के सिक्युरिटी प्रमुख का दायित्व भी संभाला। कुल मिलाकर देखंल तो जुनेजा का बायोडाटा स्ट्रांग है।
डीजी अशोक जुनेजा का पुलिस प्रमुख बनने के लिए पलड़ा इसलिए भी भारी है कि सरकार से उनकी नजदीकियां और विश्वास अपेक्षाकृत ज्यादा है। दुर्ग में एसएसपी और आईजी रह चुके हैं। सीएम भूपेश बघेल भी दुर्ग से हैं। जुनेजा बैलेंस अफसर हैं। पीआर भी बढ़िया है। किसी का लेवल नहीं लगने देते। वरना, वे अजीत जोगी के मुख्यमंत्रित्व काल में भी अच्छे पदों पर रहे। डॉ. रमन सिंह के समय भी और अब इस सरकार में भी। दुर्ग में दो-दो अहम जिम्मेदारी संभालने के दौरान सीएम भूपेश बघेल से स्वाभाविक तौर पर उनकी नजदीकियां बनी होगी। वरना, सरकार बदलने के बाद खुफिया चीफ सबसे पहले नपता है। लेकिन जुनेजा नई सरकार में भी ठीक-ठाक पोजिशन में रहे। जुनेजा के साथ प्लस यह भी है कि चीफ सिकरेट्री आरपी मंडल के साथ उनके अच्छी ट्यूनिंग हैं। मंडल और जुनेजा बिलासपुर और रायपुर में एक साथ कलेक्टर और एसपी रहे। दोनों में इतनी अधिक छनती है कि लोगों ने उन्हें जय-बीरु कहना शुरू कर दिया था। ऐसे में, चीफ सिकरेट्री भी चाहेंगे कि उनके रहते जुनेजा को एक बार पुलिस प्रमुख बनने का मौका मिल जाए।
जुनेजा के डीजीपी बनाने के लिए डीएम अवस्थी को तो हटाना पड़ेगा ही, 88 बैच के तीनों आईपीएस संजय पिल्ले, आरके विज और मुकेश गुप्ता की सीनियरिटी को नजरअंदाज करना पड़ेगा। हालांकि, ये पहली बार नहीं होगा। पहले भी कई दफा हो चुका है। जुनेजा के डीजीपी बनाने के लिए डीएम अवस्थी को तो हटाना पड़ेगा ही, 88 बैच के तीनों आईपीएस संजय पिल्ले, आरके विज और मुकेश गुप्ता की सीनियरिटी को नजरअंदाज करना पड़ेगा। हालांकि, ये पहली बार नहीं होगा। पहले भी कई दफा हो चुका है। ओपी राठौर को वासुदेव दुबे को ओवरलुक करके डीजीपी बनाया गया था। उसके बाद 85 बैच के एएन उपध्याय जब डीजीपी बनें, तब भी उनसे सीनियर दो आईपीएस थे। 83 बैच के गिरधारी नायक और 84 बैच के डब्लूएम अंसारी। ओपी राठौर और एएन उपध्याय के बीच अवश्य किसी की सीनियरिटी को नजनअंदाज नहीं किया गया। विश्वरंजन के बाद अनिल नवानी, रामनिवास दोनों सीनियरिटी के आधार पर डीजीपी बने थे। जुनेजा की पोस्टिंग करने से पहले सरकार को डीएम अवस्थी, संजय पिल्ले, आरके विज को एडजस्ट करना होगा। जाहिर सी बात है, जुनेजा के डीजीपी बनने के बाद इन चारों को पुलिस मुख्यालय से बाहर होना पड़ेगा। संजय पिल्ले तो अभी पीएचक्यू से बाहर जेल और होमगार्ड के डीजी हैं। बचे डीएम अवस्थी और आरके विज। उनकी पोस्टिंग भी सरकार को करनी होगी।
हालांकि, डीजीपी के लिए आईबी के स्पेशल डायरेक्टर स्वागत दास की अटकलें चल रही है। स्वागत दास छत्तीसगढ़ बनने से पहले सेंट्रल डेपुटेशन पर चले गए थे। लेकिन, लगता नहीं कि भारत सरकार में बेहतर कैरियर और स्कोप को छोड़कर वे छत्तीसगढ़ लौटेंगे। ऐसे में, अशोक जुनेजा का पलड़ा सबसे भारी दिख रहा है।
और, विस्तृत के लिए एनपीजी ग्रुप की मासिक पत्रिका छत्तीसगढ़ पावर गेम का अवलोकन करें।

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