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Kaun Hain Sushila Karki: कभी झेला महाभियोग! आज Gen Z ने उसी को चुना नेपाल का नेता, जानिए कौन हैं नेपाल की पहली महिला चीफ जस्टिस सुशीला कार्की, बनारस से भी है गहरा नाता!
Sushila Karki News hindi: नेपाल की राजनीति इस वक़्त बड़े बदलाव के दौर से गुजर रही है। Gen Z आंदोलनकारियों ने चार घंटे चली एक वर्चुअल बैठक के बाद देश के अंतरिम नेता (Nepal Interim Leader) के तौर पर पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की (Nepal First Woman Chief Justice) का नाम आगे किया है।

Sushila Karki News hindi: नेपाल की राजनीति इस वक़्त बड़े बदलाव के दौर से गुजर रही है। Gen Z आंदोलनकारियों ने चार घंटे चली एक वर्चुअल बैठक के बाद देश के अंतरिम नेता (Nepal Interim Leader Sushila Karki) के तौर पर पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की (Nepal First Woman Chief Justice Sushila Karki) का नाम आगे किया है। यह फैसला चौंकाने वाला है, क्योंकि सुशीला कार्की (Sushila Karki Nepal) न केवल नेपाल सुप्रीम कोर्ट की इकलौती महिला चीफ जस्टिस रही हैं बल्कि उनका रिकॉर्ड सत्ता के सामने तन कर खड़ा रहने वला है।
प्रदर्शनकारियों (Nepal Gen Z Protest) की बैठक में साफ कहा गया कि इस आंदोलन का मकसद किसी भी राजनीतिक दल को आगे लाना नहीं है। इसलिए किसी भी ऐसे व्यक्ति को नेतृत्व में शामिल नहीं किया जाएगा जो सीधे-सीधे राजनीतिक पार्टियों से जुड़ा हो। सुशीला कार्की फिलहाल किसी भी दल से जुड़ी नहीं हैं और न्यायपालिका से जुड़े उनके अनुभव के साथ-साथ उनकी निष्पक्ष छवि ने उन्हें इस भूमिका के लिए सबसे कारामद बना दिया है।
Gen Z युवाओं का कहना है कि उन्हें ऐसे नेता की जरूरत है जो ईमानदारी, पारदर्शिता और संविधान की रक्षा में खरा उतरे। कार्की का अब तक का सफर इन उसूलों को दिखता है।
सुशीला कार्की का शुरुआती जीवन (Sushila Karki's early life)
सुशीला कार्की का जन्म 7 जून 1952 को बिराटनगर में हुआ। वह सात भाई-बहनों में सबसे बड़ी हैं। शुरूआती पढ़ाई के बाद उन्होंने कानून की पढ़ाई की और 1979 में बिराटनगर से वकालत शुरू की। 1985 में उन्होंने धरान में मौजूद महेंद्र मल्टिपल कैंपस में सहायक अध्यापक के तौर पर काम किया। 2007 में वे सीनियर एडवोकेट बनीं। 22 जनवरी 2009 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट का एड-हॉक जज नियुक्त किया गया और 2010 में वे स्थायी जज बनीं।
पहली महिला चीफ जस्टिस बनने तक का सफर
2016 में सुशीला कार्की ने उस वक़्त इतिहास रच दिया था जब वह नेपाल की पहली महिला चीफ जस्टिस बनीं। उन्होंने 11 जुलाई 2016 से 7 जून 2017 तक सुप्रीम कोर्ट की बागडोर संभाली। उनके कार्यकाल में कई अहम फैसले हुए, जिनमें राजनीतिक दबाव के बावजूद न्यायपालिका की आजादी की रक्षा करना भी शामिल है।
सत्ता से सीधी टक्कर
2017 में उनके खिलाफ उस वक़्त की सरकार ने महाभियोग प्रस्ताव लाया था। यह प्रस्ताव माओवादी सेंटर और नेपाली कांग्रेस ने मिलकर पेश किया था। हालांकि, इस कदम का देशभर में विरोध हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने भी संसद को रोकने का आदेश दिया और आखिरकार महाभियोग प्रस्ताव वापस लेना पड़ा। इस घटना ने सुशीला कार्की की छवि को और मजबूत किया। लोग उन्हें ऐसी शख्सियत मानने लगे जो दबाव के बावजूद सच्चाई और न्याय के लिए खड़ी रहती हैं।
सुशीला कार्की का निजी जीवन (Sushila Karki's personal life)
सुशीला कार्की की शादी दुर्गा प्रसाद सुवेदी से हुई, जिन्हें वे बनारस में पढ़ाई के दौरान मिली थीं। सुवेदी नेपाली कांग्रेस के चर्चित युवा नेता थे और पंचायती शासन के खिलाफ आंदोलनों में एक्टिव थे। एक समय तो उनका नाम एक विमान अपहरण कांड से भी जुड़ा था।
सुशीला कार्की का लेखन (Sushila Karki's Book)
न्यायपालिका से रिटायर होने के बाद सुशीला कार्की ने लेखन की ओर भी कदम बढ़ाया। 2018 में उनकी आत्मकथा ‘न्याय’ प्रकाशित हुई। 2019 में उन्होंने ‘कारा’ नाम से एक उपन्यास लिखा, जो बिराटनगर जेल के अनुभवों पर आधारित है। इन किताबों से उन्होंने न सिर्फ अपने अनुभव साझा किए बल्कि समाज और न्यायपालिका की सच्चाई को भी उजागर किया।
Gen Z आंदोलनकारी यह मानते हैं कि मौजूदा राजनीतिक दल भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर नाकाम रहे हैं। इसलिए उन्हें एक ऐसी शख्सियत की जरूरत है जो राजनीति से परे होकर देश को एक नई दिशा दे सके।
कुल मिलाकर, नेपाल के इतिहास में यह एक अनोखा मोड़ है। अब देखना होगा कि क्या यह प्रयोग नेपाल की राजनीति को नई दिशा देता है या फिर पुराने ढर्रे पर लौट आता है।
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