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H-1B Visa Annual Fee Hiked: : डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को दिया एक और बड़ा झटका, अब H-1B VISA के लिए देना होगा 88 लाख रुपये, जानिए पहले कितनी थी फीस

H-1B Visa Annual Fee Hiked: अमेरिका में काम करने का सपना देख रहे लाखों भारतीय प्रोफेशनल्स के लिए बुरी खबर है। जानें पूरी डिटेल।

H-1B Visa Annual Fee Hiked: : डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को दिया एक और बड़ा झटका, अब H-1B VISA के लिए देना होगा 88 लाख रुपये, जानिए पहले कितनी थी फीस
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By Ragib Asim

H-1B Visa Annual Fee Hiked: अमेरिका में काम करने का सपना देख रहे लाखों भारतीय प्रोफेशनल्स के लिए बुरी खबर है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (US President Donald Trump) ने कल एक नए आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए हैं, इसके तहत एच-1बी वीजा (H-1B Visa) की सालाना फीस को 1 लाख डॉलर करीब 88 लाख तक बढ़ा दिया गया है। अभी तक यह फीस 4500 डॉलर करीब 3.96 लाख थी। यह नियम 21 सितंबर से लागू होगा और इसका सीधा असर भारतीय IT प्रोफेशनल्स और इंजीनियर्स पर पड़ेगा।

एच-1बी वीजा प्रोग्राम क्या है?

एच-1बी वीजा अमेरिकी कंपनियों को इजाजत देता है कि वे विदेशों से हाई-स्किल्ड प्रोफेशनल्स को उन पोस्ट पर काम पर रखें जिन्हें अमेरिकी नागरिकों से भरना मुश्किल होता है। भारत और चीन जैसे देशों से हर साल हजारों प्रोफेशनल्स इस प्रोग्राम के तहत अमेरिका जाते हैं।

लेकिन अब नए आदेश के मुताबिक कंपनियों को किसी विदेशी प्रोफेशनल को काम पर रखने के लिए सरकार को सालाना 1 लाख डॉलर चुकाना होगा। यह रकम इतनी ज्यादा है कि कई कंपनियां विदेश से कर्मचारियों को बुलाने के बजाय अमेरिकी नागरिकों को ट्रेनिंग देकर काम पर रखना पसंद करेंगी।

व्हाइट हाउस ने क्या कहा?

व्हाइट हाउस में अमेरिकी कॉमर्स सेक्रेटरी हॉवर्ड लुटनिक ने बताया कि यह फैसला बड़ी कंपनियों से बातचीत करने के बाद लिया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार चाहती है कि अमेरिकी कंपनियां अपने देश के युवाओं को नौकरी दें और विदेश से लोगों को लाकर अमेरिकी लोगों का रोजगार न छीनें।

लुटनिक ने साफ कहा कि अब अगर कोई भी कंपनी बाहर से प्रोफेशनल लाती है तो उसे न सिर्फ 1 लाख डॉलर सरकार को देना होगा बल्कि उसके बाद उस कर्मचारी का वेतन भी देना होगा। यह मॉडल कंपनियों के लिए काफी महंगा है।

अमेरिकी कंपनियों के लिए नई चुनौती

अमेरिका की टेक कंपनियां लंबे समय से भारत और चीन जैसे देशों के टैलेंट पर डेपेंडेंट रही हैं। खासकर IT सेक्टर में भारतीय प्रोफेशनल्स की मांग हमेशा से रही है। अब फीस बढ़ने के बाद कंपनियों के सामने बड़ी चुनौती होगी।

भारतीय प्रोफेशनल्स पर असर

भारत हर साल H-1B वीजा पाने वाले देशों की सूची में सबसे ऊपर रहता है। हजारों IT इंजीनियर, डॉक्टर और अन्य प्रोफेशनल्स इस वीजा के जरिए अमेरिका जाते हैं। लेकिन नई पालिसी से उनके लिए रास्ता मुश्किल हो जाएगा।

छोटे और मझोले स्तर की अमेरिकी कंपनियां इतनी भारी फीस देने में सक्षम नहीं होंगी। भारतीय प्रोफेशनल्स को अब अमेरिका जाने के लिए और ज्यादा टैलेंट और स्किल दिखाना होगा। यह फैसला भारत के IT और आउटसोर्सिंग सेक्टर को भी प्रभावित कर सकता है।

भारतीयों पर क्या होगा असर?

H-1B वीजा नियमों में बदलाव भारतीयों को बुरी तरह से इफ़ेक्ट करेगा। हाल में जारी H-1B वीजा में से 71-73 प्रतिशत भारतीयों को ही मिले हैं। चीन के लिए यह संख्या 11-12 प्रतिशत है। वित्त वर्ष 2023 में भारत को कुल 1.91 लाख और साल 2024 में 2.07 लाख H-1B वीजा मिले थे। ऐसे में इस बदलाव से सीधे तौर पर 2 लाख से अधिक भारतीय प्रभावित होंगे और यह भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी दबाव डालेगा।

शुरुआत में 60,000 भारतीयों पर भी इसका असर पड़ता है तो सालाना बोझ 6 अरब डॉलर करीब 53,000 करोड़ रुपये होगा। सभी भारतीयों को हटाने पर यह बोझ सालाना 1.8 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा।

अमेरिका में सालाना 1.20 लाख डॉलर (1.56 करोड़ रुपये) कमाने वाले एक मध्यम लेवल के भारतीय इंजीनियर के लिए यह फीस उसके सैलरी का 80 प्रतिशत होगा। इससे वह नौकरी छोड़ना ही बेहतर समझेगा।

इतना ही नहीं इसका असर भारतीय आईटी सेक्टर पर भी पड़ेगा। इंफोसिस, TCS, विप्रो, HCL टेक्नोलॉजीज और कॉग्निजेंट जैसी भारतीय IT कंसल्टेंसी कंपनियां अमेरिकी क्लाइंट के ठिकानों पर हजारों इंजीनियरों की तैनाती के लिए H1-B वीजा पर निर्भर रही हैं। नया फीस जूनियर या मध्यम स्तर के कर्मचारियों को अमेरिका भेजना महंगा बना देगा।

Ragib Asim

रागिब असीम – समाचार संपादक, NPG News रागिब असीम एक ऐसे पत्रकार हैं जिनके लिए खबर सिर्फ़ सूचना नहीं, ज़िम्मेदारी है। 2013 से वे सक्रिय पत्रकारिता में हैं और आज NPG News में समाचार संपादक (News Editor) के रूप में डिजिटल न्यूज़रूम और SEO-आधारित पत्रकारिता का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने करियर की शुरुआत हिन्दुस्तान अख़बार से की, जहाँ उन्होंने ज़मीन से जुड़ी रिपोर्टिंग के मायने समझे। राजनीति, समाज, अपराध और भूराजनीति (Geopolitics) जैसे विषयों पर उनकी पकड़ गहरी है। रागिब ने जामिया मिलिया इस्लामिया से पत्रकारिता और दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की है।

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