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Bindy Johal News: गोल्डी बरार से बहुत पहले बिंदी जोहल था भारतीय-कनाडाई अपराध सरगना

मुंबई, 22 सितंबर (आईएएनएस)। कनाडा न केवल खालिस्तान समर्थकों का घर रहा है, बल्कि प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा वांछित भारतीय गैंगस्टरों को भी शरण देता है।

Bindy Johal News: गोल्डी बरार से बहुत पहले बिंदी जोहल था भारतीय-कनाडाई अपराध सरगना
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By Npg

Bindy Johal News: कनाडा न केवल खालिस्तान समर्थकों का घर रहा है, बल्कि प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा वांछित भारतीय गैंगस्टरों को भी शरण देता है। यहां तक कि गोल्डी बरार और अर्श दल्ला के नाम भी वांछित गैंगस्टरों के रूप में चर्चा में हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) उनकी तलाश में जुटी हुई है। इन सबके बीच एक नाम जो दिमाग में आता है वह है बिंदा जोहल का, जिसे पहले भारतीय-कनाडाई गैंगस्‍टर कहा जा सकता है।

जोहल की बदनामी इतनी थी कि 'फायर' और 'अर्थ' जैसी फिल्मों के लिए मशहूर भारतीय-कैनेडियन निर्देशक दीपा मेहता ने गैंगस्टर से प्रेरित होकर फिल्म 'बीबा बॉयज़' बनाई, जिसमें रणदीप हुडा ने जोहल पर आधारित किरदार जीत जौहर की भूमिका निभाई थी। इस फिल्‍म के लिए दीपा मेहता को आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा था। भारत में 14 जनवरी 1971 को जन्मे जोहल जब चार साल का था तो उसका परिवार भारत से वैंकूवर चला गया। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद जब उस पर हथियार बंद हमला किया गया तो उसके माता-पिता ने उसकी पगड़ी उतार दी और बाल कटवा दिये।

यह उसकी परेशानियों का अंत नहीं था। अंतर केवल इतना था कि वह अब पीड़ित नहीं अपराधी था। उसे एक स्कूल से अपने वाइस-प्रिंसिपल पर बेरहमी से हमला करने के आरोप में और दूसरे स्कूल से खतरनाक हथियार रखने के आरोप में निष्कासित कर दिया गया था। तब से जोहल ने अपराध से खिलवाड़ करना शुरू कर दिया और इसमें गहराई तक डूब गया। यह उस समय की बात है जब वैंकूवर के हिस्पैनिक आप्रवासियों पर दक्षिण एशियाई लोग भारी पड़ रहे थे। दिलचस्प बात यह है कि जोहल के साथ स्कूल जाने वालों में से एक हरजीत सज्जन थे, जो बाद में कनाडा के कथित तौर पर खालिस्तान समर्थक रक्षा मंत्री बन गए।

जोहल लॉस डायब्लोस ('द डेविल्स') नामक एक पुराने हिस्पैनिक गिरोह का हिस्सा बन गया, जो इंडो-कैनेडियन ज्‍यादा था, और अंततः पंजाबी माफिया के रूप में जाना जाने लगा। अपराध का नौसिखिया, अधिक स्थापित गैंगस्टर जिमी और रॉन दोसांझ के लिए काम करने वाले हिट-मैन के रूप में कुख्यात हो गया। जब वह कोकीन बेचने के व्यवसाय में उतर गया तो उसने उन दोनों को धोखा दिया और मार डाला। वैंकूवर में 14 मार्च 1991 को कोलंबियाई ड्रग तस्कर तियोदोरो साल्सेडो की हत्या कर दी गई। जिमी दोसांझ पर हत्या का आरोप लगाया गया और उसे गिरफ्तार कर लिया गया। जब दोसांझ जेल में अपने मुकदमे का इंतजार कर रहा था, जोहल गिरोह का नेता बन बैठा।

अपने करियर के चरम पर जोहल ड्रग तस्‍करी, फेंटेनल जैसे सिंथेटिक नशीले पदार्थों का निर्माण और मारने के काम को अंजाम देता था। उसके बारे में बताया गया था कि उसने 40 लाख कनाडाई डॉलर की व्यक्तिगत संपत्ति अर्जित की थी। यह भी कहा गया कि उसके आतंकवादी संगठन बब्बर खालसा इंटरनेशनल से संबंध थे और उस पर खोजी पत्रकार रॉन दोसांझ की हत्या का भी आरोप लगाया गया था। जोहल अपना जीवन छिपकर जीने वालों में नहीं था। उसने ने जल्द ही अपनी आकर्षक जीवनशैली, मीडिया उपस्थिति और नाइट क्लबों में पैसा उड़ाने की प्रवृत्ति के कारण सार्वजनिक प्रोफ़ाइल हासिल कर ली।

जब अंततः उसे गिरफ्तार कर उस पर दोसांझ भाइयों की हत्या के लिए मुकदमा चलाया गया, तो इसने एक निंदनीय मोड़ ले लिया। पता चला कि जूरर गिलियन गेस जोहल के सह-अभियुक्त पीटर गिल के साथ रोमांटिक रिश्ते में शामिल थी। इसके बाद यह मुक़दमा ख़त्म हो गया और जोहल आज़ाद होकर बाहर आ गया, लेकिन उसे स्ट्रिप क्लब में छुरा घोंपने और कई बार गोलीबारी करने के मामले में गिरफ्तार कर लिया गया।

जोहल मुश्किल से 29 वर्ष का था जब उसका भी वही हश्र हुआ जो उसने अपने पीड़ितों के साथ किया था। उसे वैंकूवर के पैलेडियम नाइट क्लब में 300 लोगों की उपस्थिति में एक अज्ञात हमलावर द्वारा गोली मार दी गई। उनमें से कोई भी हमलावर की पहचान बताने के लिए सामने नहीं आया। हो सकता है कि उसे न्याय के कठघरे में न लाया गया हो, लेकिन जोहल को उसका काव्यात्मक न्याय अवश्य मिला।

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