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इस बजट में अगली पीढ़ी को रसातल में जाने से रोकने के लिए कुछ नहीं, ग्लोबल वार्मिंग रोकने के लिए कोई प्रावधान नहीं

इस बजट में अगली पीढ़ी को रसातल में जाने से रोकने के लिए कुछ नहीं, ग्लोबल वार्मिंग रोकने के लिए कोई प्रावधान नहीं
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By NPG News

रायपुर, 2 फरवरी 2021। पेरिस एग्रीमेंट में दस्तखत करने के बावजूद इस बजट में ग्लोबल वार्मिंग की बढ़त को डेढ़ प्रतिशत (प्री इंडस्ट्रियल लेवल से) तक रखने के लिए कुछ नहीं है. इसके विपरीत पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के बजट में 230 करोड रुपए की कटौती कर 2869 करोड़ कर दिया गया है. देश के 35 लाख करोड़ के बजट में इस मंत्रालय का हिस्सा 0.08ः ही बनता है.

रायपुर के पर्यावरण प्रेमी नितिन सिंघवी का कहना है, विभिन्न अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों में यह अनुमानित किया गया है कि वायुमंडल में अब से लगभग 450 से 500 गीगा टन ग्रीनहाउस गैसेस छोड़े जाने पर ग्लोबल टेंपरेचर 1.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाएगा. विश्व में मानव प्रतिवर्ष 55 से 60 गीगा टन ग्रीनहाउस गैसेस छोड़ रहा है. इस प्रकार वर्ष 2028 तक ही टेंपरेचर 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाएगा.

वर्ष 2019 में विश्व में 59 गीगा टन ग्रीनहाउस गैस छोड़ी गई. वर्ष 2018 में भारत का ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन 5.5ः बढ़ा जो कि विश्व के देशों में सर्वाधिक था. इन ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए बजट में कुछ नहीं है. यही हालत बरकरार रही आज जो बच्चा जन्म लेता है वह आगे जाकर 4ः गरम विश्व देखेगा.

कुछ वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि वर्ष 2050 तक विश्व का तापमान 2 डिग्री तक बढ़ जाएगा जिससे एक्सट्रीम क्लाइमेट चेंज, समुद्री सतह का व्यापक रूप से बढ़ने से 2050 तक करोड़ों लोगों का तटीय इलाके से पलायन, अनाज की कमी, बाढ़ ऐसी अनेक घटनाएं बढ़ेगी. गंगा के मैदानी इलाकों में पहले तो बहुत बाढ़ आएगी बाद में सूखा पड़ने लगेगा. वर्ष 2100 तक हिमालय के 70ः ग्लेशियर पिघल जाएंगे.

यह निर्विवादित है कि ग्रीनहाउस गैस में सबसे प्रभावी गैस अर्थात कार्बन डाइऑक्साइड को सोकने में सबसे ज्यादा वन प्रभाव शील रहते हैं, परंतु इस बजट में वनीकरण के लिए बजट को पिछले वर्ष के 246 करोड से घटाकर 235 करोड कर दिया है. वनों को बचाने में वन्यजीवों का महत्वपूर्ण हिस्सा रहता है इसके बावजूद प्रोजेक्ट टाइगर के लिए 50 करोड़ घटाकर 250 करोड़ कर दिया गया है. 2 वर्षों में प्रोजेक्ट टाइगर के लिए 100 करोड़ की कमी की गई है. दूसरे अमरेला वन्यजीव हाथी के प्रोजेक्ट एलीफेंट के बजट में 2 करोड रुपए की कमी की गई है. जिन जंगलों में बाघ और हाथी रहते हैं वहां पर अवैध वन कटाई पर कमी देखी गई है.

आने वाली पीढ़ी जिसे नारकीय जीवन देखना पड़ेगा, उसकी रक्षा करने के लिए बजट के 10ः हिस्से की जरूरत ग्रीन हाउस गैसेस कम करने के लिए थी.

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