Begin typing your search above and press return to search.

गुजरात के पूर्व सीएम विजय रुपाणी की बिटिया राधिका के खत में है कुछ ऐसा जो सबको पढ़ना चाहिए : पापा को लेकर भावनाओं का ज्वार बहा दिया बिटिया ने.. लिखा – ”सिद्धांतों के अनुसार बिना सत्ता के लालच के पद छोड़ना किसी और चीज़ से ज़्यादा साहसी है”

गुजरात के पूर्व सीएम विजय रुपाणी की बिटिया राधिका के खत में है कुछ ऐसा जो सबको पढ़ना चाहिए : पापा को लेकर भावनाओं का ज्वार बहा दिया बिटिया ने.. लिखा – ”सिद्धांतों के अनुसार बिना सत्ता के लालच के पद छोड़ना किसी और चीज़ से ज़्यादा साहसी है”
X
By NPG News

गांधीनगर,14 सितंबर 2021। गुजरात के मुख्यमंत्री रहे विजय रुपाणी ने ऐसी शांति से इस्तीफ़ा दिया कि इस्तीफ़ा देने के पहले तक किसी को कानों कान भनक तक नहीं लगी। हालाँकि उसके बाद मीडिया में जैसा कि होना था, मौन होकर काम करने के आदी विजय रुपाणी के कार्यकाल को लेकर समीक्षा की और कई समीक्षाओं में उन्हें कड़वाहट के साथ लिखा गया। यह माना गया कि विजय रुपाणी की संवेदनशीलता शालीनता उनके बतौर मुख्यमंत्री पक्ष की ख़ूबसूरती होने के बजाय कमजोरी बनी और ब्यूरोक्रेसी पर उनका प्रभावी नियंत्रण नहीं रहा।

इन सब खबरों के बीच खामोशी से पूरे हालात को देखती और मीडिया हाउस के विश्लेषणों को पढ़ती सुनती विजय रुपाणी की बिटिया राधिका ने एक खत फ़ेसबुक पर लिखा है। खत भावनाओं से ओत प्रोत है और विजय रुपाणी को लेकर जिन सकारात्मक गुणों को उनकी कमजोरी बताया गया उसे लेकर एक नया नज़रिया देता है। ये खुला ख़त वायरल हो गया है, गुजराती में लिखा यह पत्र 329 लोगों ने शेयर कर लिया है।

राधिका के खत के लिए किसी भुमिका की जरुरत नहीं है.. वैसे भी बेटियाँ जब अपने पिता को लेकर कुछ लिखें तो उसे केवल पढ़ा जाता है। गुजराती में लिखे इस खत को हम हिंदी तर्जुमा कर यहाँ लिख रहे हैं .. पढिए –
”कई राजनीतिक विशेषज्ञों ने विजयभाई के काम और उनके भाजपा कार्यकाल के बारे में बात की । इनको बहुत बहुत धन्यवाद ।उनके अनुसार पिता का कार्यकाल एक कार्यकर्ता से शुरू हुआ और फिर अध्यक्ष, महापौर, राज्य सभा सदस्य, पर्यटन के अध्यक्ष, भाजपा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री आदि तक सीमित है,लेकिन मेरी नजर में पापा का कार्यकाल 1979 मोरबी, अमरेली अतिवृष्टि, कच्छ भूकंप, स्वामिनारायण मंदिर आतंकी हमला, गोधरा कांड, बनासकांठा की ओवरराइट, टुट, कोरोना में भी पापा खड़े है।आज भी मुझे याद है कच्छ भूकंप के दौरान मेरे भाई ऋषभ को स्कूल मेंबर के साथ घर भेजा गया था और वो खुद राजकोट गए थे भूकंप की मदद और प्रभावित करने,भतीजे की शादी को दूसरी प्राथमिकता मानते हुए भूकंप के दूसरे दिन भाचाऊ का प्रभारी घोषित किया,एक दिन मुझे और मेरे भाई को साथ लेकर भूकंप की हकीकत समझाकर राहत कोष में लोगों के साथ बैठाया,बचपन में हमने कभी रेसकोर्स शिफ्ट या थिएटर में रविवार का आनंद नहीं लिया,मम्मी पापा हमें किसी भी भाजपा कार्यकर्ता के घर ले जाते थे,ये तो इनका रिवाज था,स्वामिनारायण मंदिर के आतंकी हमले के दौरान मोदीजी के प्रांगण जाने से पहले मेरे पिता जी प्रथम व्यक्ति थे,मुझे साथ लिया गया था कि हम वास्तविकता और लोक संवाद का अनुभव करें,बहुत कम लोगों को पता होगा कि टौटे और कोरा के महा संकट के समय रात 2-30 बजे तक जागकर पिताजी ने CM डेस्कबोर्ड और कॉल से सारा इंतजाम कर लिया । जन और जन सेवा ही उनका मंत्र है ।सालों से हमारे घर में सरल प्रोटोकॉल था-“

”1. अगर किसी को 3 बजे कॉल आये तो विनम्रता से बात करें ,2. कोई भी व्यक्ति घर पर कभी भी आता है, पिता जी मौजूद हो या ना हो, पैना और चाय-नाश्ता जरूर खाएंगे ।3. हमारी सरल पोशाक और सरल स्वभाव रखें ।4. पहले सीखना और फिर मज़ा लेना”

”हमारी शिक्षा में भी मम्मी पापा का बहुत योगदान रहा,हमारे घर में पेशेवर और मास्टर डिग्री जरूरी थी,पढाई और आगे कदम उठाने के बाद ही हमें अन्य सामान्य चीजों के बारे में सोचने की अनुमति दी गई,आज हम दोनों भाई बहन अपने जमीन पर धरातल में हैं हम यथार्थ के धरातल पर हैं तो इसके लिए माता-पिता को धन्यवाद”

”आज भी याद है राजकोट में पिता जी के साथ सड़क पर स्कूटर पर जाना और सड़क पर कहीं दुर्घटना या झगड़ा हो तो पिता जी स्कूटर खड़े होकर भीड़ के बीच चले जाते और एम्बुलेंस का आदेश देते व्यवस्था करते,उनका स्वभाव आज के स्वभाव का नहीं, यह उनका जन्मजात स्वभाव है । लोगों की मदद करने की हमेशा स्पष्ट सोच और स्वभाव”

”कल मैंने एक न्यूज़ हेडलाइन पढ़ी – विजयभाई की सॉफ्ट बोली जाने वाली छवि उनके खिलाफ काम आई । उनसे एक सवाल पूछना है क्या राजनीतिज्ञों को संवेदनशीलता, शालीनता नहीं रखनी चाहिए? क्या यह एक आवश्यक गुणवत्ता नहीं है जिसे हमें एक नेता में चाहिए? मृदु बोली जाने वाली छवि एक ऐसा व्यक्तित्व है जिससे समाज के सभी स्तर के लोग आसानी से आकर मिल सकते हैं? जहां बदमाशी या अपराध की बात होती है, वहां उन्होंने सख्त कदम उठाया है । CM डेस्कबोर्ड से लेकर लैंड गार्बिंग एक्ट, लव जिहाद, GUJCOCA, शराबबंदी सबूत है लेकिन सारा दिन गंभीर और भारी चेहरे के साथ घूमना नेता की निशानी है?”

”हमारे घर में बहुत चर्चाएं हुई हैं कि जब इतना भ्रष्टाचार, नकारात्मकता भारतीय राजनीति में प्रचलित है,तो सरल व्यक्तित्व और सरल स्वभाव क्या यह जीवित रहेगा? क्या यह पर्याप्त होगा? लेकिन हमेशा बाप ने एक बात कही है कि राजनीति और नेता की छवि गुंडों और स्वच्छंद लोगों की तरह भारतीय फिल्मों और पुरानी धारणाओं से बनाई गई है, हमें वही धारणा बदलनी होगी । पापा ने कभी ग्रुप बैन का समर्थन नहीं किया । यही तो इनकी खासियत है,कोई राजनीतिक विशेषज्ञ जो सोचता है कि विजयभाई का कार्यकाल खत्म हो गया है”

रुपाली अपने खुले खत के आख़िरी हिस्से में लिखती है –
”हमारी राय में उपद्रव या प्रतिरोध के बजाय आरएसएस और भाजपा के सिद्धांतों के अनुसार बिना सत्ता के लालच के आसानी से पद छोड़ देना किसी और चीज से ज्यादा साहसी है!!”

जय हिन्द भारत माता की जय
राधिका

Next Story