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क्रमोन्नति के संबंध में शिक्षक नेता इदरीश खान पहुंचे न्यायालय…. न्यायालय से फिर जारी हुआ वही आदेश…. विभाग को सौपे अभ्यावेदन उसके बाद नियमानुसार विभाग लेगा निर्णय… पहले के ऐसे आदेशों पर विभाग से नही हुआ है कोई फायदा !

क्रमोन्नति के संबंध में शिक्षक नेता इदरीश खान पहुंचे न्यायालय…. न्यायालय से फिर जारी हुआ वही आदेश…. विभाग को सौपे अभ्यावेदन उसके बाद नियमानुसार विभाग लेगा निर्णय… पहले के ऐसे आदेशों पर विभाग से नही हुआ है कोई फायदा !
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By NPG News

रायपुर 26 फरवरी 2020. क्रमोन्नति को लेकर लंबे समय से सेवा दे रहे शिक्षाकर्मियों की लड़ाई जारी है और अब न्यायालय की लड़ाई में एक और नया नाम जुड़ गया है यह नाम है शिक्षाकर्मी नेता इदरीश खान का , जिन्होंने अपने 36 साथियों के साथ क्रमोन्नति की मांग को लेकर न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था और उनके केस में भी अंतिम फैसला आ चुका है हालांकि यह फैसला वही है जो इससे पहले दायर किए गए शिक्षाकर्मियों के दर्जनों केस में आ चुका है और जिसका कोई लाभ फिलहाल प्रदेश के शिक्षा कर्मियों को नहीं हुआ है , जिन जिलों में इस आदेश को लेकर स्थानीय कार्यालय में क्रमोन्नति का लाभ देना शुरू कर दिया था उन्होंने भी आदेश को निरस्त करते हुए रिकवरी का नया आदेश जारी कर दिया था जिसके बाद शिक्षाकर्मियों ने न्यायालय के बजाय जमीनी लड़ाई की ओर बढ़ना ही सही समझा था ।

आखिर क्या है वह आदेश जिसमें हर बार फंस जा रहा है पेच

उच्च न्यायालय ने याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश जारी किया है कि याचिकाकर्ताओं ने अपने 10 साल के सर्विस को आधार मानते हुए क्रमोन्नति वेतनमान की पात्रता बताई है अब यह याचिकाकर्ता पक्षकार 3 और 4 को इस विषय में विस्तृत जानकारी के साथ अभ्यावेदन सौंपे और विभाग उन अभ्यावेदनों के लिए सरकार द्वारा तय किए गए नियमों के अनुसार ऑर्डर जारी करें जिसके लिए कुल समय सीमा चार माह है और इसी के साथ न्यायालय ने याचिका निराकृत कर दी है ।

आखिर क्या है इस मामले का असली पेंच

क्रमोन्नति मामले का असली पेच यह है कि शिक्षाकर्मियों के लिए पदोन्नति न मिलने पर क्रमोन्नति का कोई प्रावधान नहीं था लेकिन शिक्षाकर्मियों ने जमीनी लड़ाई लड़कर 2011-12 में अपने पक्ष में क्रमोन्नति आदेश जारी करवाने में सफलता हासिल की थी उस समय शिक्षाकर्मियों को समयमान वेतनमान की बस पात्रता थी और उसके बाद 2013 में जैसे ही पुनरीक्षित वेतनमान का आदेश जारी हुआ उसके बाद सरकार ने क्रमोन्नति वेतनमान आदेश को भूतलक्षी प्रभाव से रद्द कर दिया और इसके पीछे तर्क यह दिया गया कि शिक्षाकर्मियों को पुनरीक्षित वेतनमान जारी किया जा रहा है अतः क्रमोन्नति वेतनमान की उन्हें पात्रता नहीं है । इस प्रकार शिक्षाकर्मियों को उस समय महज कुछ महीने ही क्रमोन्नति वेतनमान का लाभ मिल सका तत्कालिक समय में क्रमोन्नति वेतनमान निरस्त होने का ज्यादा विरोध नहीं हो सका अतः ऐसे में धीरे-धीरे वह आदेश पूरी तरह से निरस्त हो गया ।

संविलियन पाने के बाद अब शिक्षाकर्मी फिर से एक बार जोर शोर से क्रमोन्नति की लड़ाई लड़ रहे हैं क्योंकि लंबे समय से शिक्षाकर्मियों को पंचायत विभाग में रहते हुए पदोन्नति नहीं मिली थी लेकिन न्यायालय के जितने भी आदेश अब तक जारी हुए हैं उन सभी में विभाग के नियमानुसार निर्णय लेने की बात कही गई है और इसी के चलते याचिकाकर्ताओं को लाभ नहीं मिल पाता है क्योंकि विभाग ने जो क्रमोन्नति का नियम बनाया था वह खुद कैंसिल कर दिया था और वर्तमान में पंचायत विभाग के कर्मचारियों के क्रमोन्नति का कोई नियम नहीं जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ 5 रहा है । इधर शिक्षाकर्मियों ने क्रमोन्नति को लेकर भी गुहार लगाई है लेकिन फिलहाल सरकार की ओर से इस पर कोई कदम नहीं उठाया गया है ।

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