Begin typing your search above and press return to search.

घर के किसी कमरे में.. तो मंदिर के भीतर..तो नदी के बीच..मगर भीड़ से दूर.. आस्था श्रद्धा से हो रही हैं बस एक ही प्रार्थना “ जगदंब विचित्रमत्र किं परिपूर्णा करुणास्ति चेन्मयि… अपराधपरम्परापरं न हि माता समुपपेक्षते सुतम्”

घर के किसी कमरे में.. तो मंदिर के भीतर..तो नदी के बीच..मगर भीड़ से दूर.. आस्था श्रद्धा से हो रही हैं बस एक ही प्रार्थना “ जगदंब विचित्रमत्र किं परिपूर्णा करुणास्ति चेन्मयि… अपराधपरम्परापरं न हि माता समुपपेक्षते सुतम्”
X
By NPG News

रायपुर,9 अप्रैल 2020। भारत देवभूमि कही जाती है, इस धरती के बहुसंख्यक सनातन धर्म को मानने वालों का विश्वास है कि, मंत्र और पूजा कभी निष्फल नहीं होते। अनथक कर्म, लक्ष्य के प्रति समर्पित श्रम के साथ आध्यात्मिक आराधना और निराकार साकार ईश्वर से आशीष माँगने और लक्ष्य के प्रति सफल होने तक की शक्ति माँगने की सनातन धर्म की अपनी परंपरा है, जिसका आधार है मंत्र, जिसकी आधार है मानस, परांबा महाशक्ति की आराधना..सनातन धर्म के अनुसार इस कलिकाल में भी जीवित सप्त व्यक्तियों में एक हनुमान..।

कोरोना के रुप में सामने आया काल का दूसरा नाम बन चुका वायरस से जूझने.. उसका उपाय खोजने विज्ञान लगा हुआ है.. सीमित संसाधनों में चिकित्सा विज्ञान मरीज़ों को बचाने में लगा हुआ है.. ऐसे में इस भारत में कुछ और भी हो रहा है.. जो ध्यान खींच रहा है। सामाजिकता से दूर.. भीड़ से दूर.. घर पर ही.. या मंदिर में दो या तीन लोग की मौजुदगी में.. पाठ और हवन हो रहे हैं।हालिया दिनों में ऐसी कई तस्वीरें सामने आई हैं।

गौरी शंकर श्रीवास ने मंदिर में पंडित समेत दो लोगों के सहयोग से हवन किया..प्रतीक्षा विश्वकर्मा के घर पर अखंड रामचरितमानस का पाठ चल रहा है.. सुदूर आसनसोल इलाक़े में नीजि बैंक में कार्यरत आलोक तिवारी हो या फिर अक्षय रंजन या सौरभ.. इनकी दिनचर्या में प्रार्थना स्थायी रुप से शामिल है।
प्रार्थना के मंत्र भले अलग हों.. ईष्ट देव या देवी का स्वरुप अलग हो.. पर भाव एक है –
“शक्ति दे.. विज्ञान को मार्ग दे.. प्राण दे.. जय दे.. ईश्वर हम सबको जीवन दे..”

Next Story