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पुलिस सिंघम शैली की बजाय सोशल पुलिसिंग पर फोकस करे, तो मिलेगा बेहतर रिजल्ट, प्रवीण सोमानी किडनेपिंग केस रही सबसे बड़ी चुनौती…रायपुर SSP के रूप में आखिरी दिन IPS आरिफ शेख का एक्सक्लुसिव इंटरव्यू

पुलिस सिंघम शैली की बजाय सोशल पुलिसिंग पर फोकस करे, तो मिलेगा बेहतर रिजल्ट, प्रवीण सोमानी किडनेपिंग केस रही सबसे बड़ी चुनौती…रायपुर SSP के रूप में आखिरी दिन IPS आरिफ शेख का एक्सक्लुसिव इंटरव्यू
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By NPG News

“चुनौतियों और संतुष्टि के लिहाज से बतौर SSP रायपुर मेरा डेढ़ साल का अनुभव शानदार रहा।…लेकिन 15 साल के करियर में बालोद में सोशल पुलिसिंग पर किया गया मेरा काम मेरे दिल के बेहद करीब है। मेरा मानना है कि पुलिस को सिंघम की छवि से बाहर आना चाहिये, मानवीयता और सामाजिकता के जरिये भी पुलिस अपने मकसद को हासिल कर सकती है, मैने ये महसूस भी किया और मेरी चाहत भी यही है, कि पुलिस को हर जगह डंडे की धौंस के बजाय, कई जगहों पर सोशलिज्म के जरिये लोगों की सोच बदलनी चाहिये”

रायपुर 29 जून 2020। 18 महीने की शानदार पारी खेलकर IPS आरिफ शेख बतौर रायपुर SSP विदा हो रहे हैं। …अब वो EOW-ACB के चीफ होंगे। कामयाबी और सतकर्ता के लिहाज से उनका ये कार्यकाल राजधानी के लिए मिसाल भी है और यादगार भी। …फिर चाहे बात नामुकिन को मुमकीन कर दिखाने वाला प्रवीण सोमानी किडनैपिंग केस हो या फिर टाटीबंध नारियल व्यापारी मर्डर केस…..। बताने और जताने के लिए रायपुर पुलिस के पास पिछले डेढ़ साल में कामयाबी के ढेरों आंकड़े हैं….लेकिन खुद अपने इस कार्यकाल पर DIG आरिफ क्या बोलते हैं… आइये पढ़ते हैं NPG के साथ उनकी बातचीत के अंश….

सवाल – रायपुर SSP आपका कार्यकाल कैसा रहा, अपने नजरिये से इस कार्यकाल को कैसे देखेंगे आप ?

जवाब – ये तो लोग तय करेंगे, कि कैसा कार्यकाल रहा…लेकिन अगर आप मुझसे पूछ रहे हैं तो मैं कहूंगा, बहुत अच्छा रहा, संतुष्टि इस बात की रही कि मैंने अपने कार्यकाल के 99 परसेंट केस को सॉल्व किया। ना सिर्फ अपने कार्यकाल की, बल्कि कुछ ऐसे भी केस जो पेंडिंग थे, उस पर भी वर्क किया और रिजल्ट दिया। मेरे लिहाज से मैने वो हर काम किया, जो पुलिसिंग में करनी थी या फिर सोशल पुलिसिंग में करनी थी।

सवाल – वो केस, जो आपके लिए चुनौतियों से भरे थे और आपने कामयाबी हासिल की।

जवाब – निश्चित तौर पर प्रवीण सोमानी किडनैपिंग केस। मैं अपने करियर की इसे सबसे बड़ी कामयाबी मानता हूं, क्योंकि इस केस में मेरा बहुत कुछ दांव पर था। मैंने खुद इस केस को लीड किया था, फिल्ड में आपरेशन मैंने खुद चलाया था। और एक बात आज आपको बता रहा…मैंने ठान रखा था अगर कामयाब हुआ!…खैर कामयाब तो होना ही था, क्योंकि मैं नाकामी के लिए कोई काम करता नहीं…. कामयाब हुआ तो श्रेय पूरी टीम को दूंगा, जो 14 दिन तक जूझती रही, लेकिन अगर कुछ भी नाकामी हुई, तो इसकी पूरी जिम्मेदारी अपने सर पर लूंगा। खैर बेहतर अंजाम हुआ और हम देश के सबसे कड़े किडनैपर गैंग से ना सिर्फ प्रवीण को छुड़ाने में कामयाब रहे बल्कि गैंग के लोगों को भी गिरफ्तार किया। इसके बाद लंबी लिस्ट है…कई केस है रायपुर में जो हमलोगों ने सॉल्व किया। आपको भी मालूम है…हमलोगों ने कितने चुनौती और मुश्किलों से भरे केस को कितनी जल्दी साल्व किया है।

सवाल- आप सोशल पुलिसिंग के लिए देश भर में चर्चित अफसरों में से एक हो… क्या रायपुर में आपका ये मकसद पूरा हुआ

जवाब – कोशिश की, जब, जहां मौका मिला, हमने किया….। घरेलू हिंसा के खिलाफ हमारा चुप्पी तोड़ो अभियान, हर हेड हेल्मेट जैसे अभियान …लोगों ने काफी सराहा। आपने इसका असर भी देखा होगा। ऐसा नहीं है कि यहां हमने रायपुर में समाज को पुलिस से जोड़ने का काम नहीं किया । हां, इसमें बिल्कुल सच्चाई है कि सोशल पुलिसिंग का नजरिया जगह के हिसाब से तय होता है, लेकिन यहां भी हमने उसे बरकरार रखने की कोशिश की।

सवाल- राजधानी में कप्तानी क्या ज्यादा चैलेंजिंग है ?

जवाब- राजधानी में हर एक बातों की मानिटरिंग होती है। आप पर सिस्टम की नजर होती है, मीडिया आपको गौर कर रहा होता है। मेरे हिसाब से राजधानी में हर दिन आपको खुद को प्रूफ करना होता है, हर केस में आपको 100% देना होता है। इस लिहाज से राजधानी में पुलिसिंग ज्यादा चुनौतीपूर्ण है। लेकिन चैलेंज के बीच ही काम करना मेरी फितरत रही है, मुझे खुशी है कि मुझे जो जिम्मेदारी मिली और जिन-जिन चुनौतियों के बीच मिली, उसमें मैंने पूरी शिद्दत के साथ निभाया।

सवाल – कभी पुलिसिंग के दौरान आपको कोई मुश्किलें आयी?….या आपको उसे निपटाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ा ?

जवाब- ऐसे तो याद नहीं, लेकिन हां, जब कोई सांप्रदायिक मामला आता है, तो उस दौरान बहुत सतर्क रहने की जरूरत हो जाती है। क्योंकि मैं मुस्लिम वर्ग से आता हूं, कई लोग ऐसे विवाद के दौरान निष्ठा और नैतिकता पर सवाल उठाने लगते हैं, ऐसे केस को हैंडल करने में कुछ मुश्किलें जरूर आती है, लेकिन खुशकिस्मत हूं कि कभी ऐसे सवालों को खुद पर उठने नहीं दिया। आपको एक जांजगीर का किस्सा मैं बताता हूं, वहां एक प्रसिद्ध माता का मंदिर है, मेरे ज्वाइंनिंग के तीन-चार दिन ही हुए थे कि वहां माता का मुकुट चोरी हो गया। इससे पहले भी उसी मंदिर में ऐसी ही चोरी हुई थी। मेरे मुस्लिम वर्ग के होने को लेकर कुछ लोग इस बात को लेकर दबी जुबान में ही सही, लेकिन ये कहने लगे कि ..अरे अब मुकुट नहीं मिलेगा। मुझ तक ये बातें पहुंची तो मैंने ठान लिया कि मैं मुकुट तो रिकवर करूंगा ही करूंगा…लेकिन उससे पहले मैं खुद माता के लिए एक मुकुट बनवाऊंगा और उनकी चरणों में भेंट करूंगा। मैने मुकुट बनवाया और फिर लोगों के अनुरोध पर खुद मंदिर में पूजा-पाठकर पूरे विधि विधान से उसे माता के सर पर सजाया और वहीं शपथ लिया कि चोरी किया मुकुट भी जरूर वापस लाऊंगा। इक्तेफाक देखिये दो-तीन दिन बाद चोरी के मुकुट को ना सिर्फ रिकवर किया, बल्कि मंदिर चोरी करने वाले एक बड़े गैंग का हमने खुलासा भी किया। तो लोगों का विश्वास जीतना भी पुलिसिंग का एक बड़ा हिस्सा है।

सवाल- बतौर SP आपकी पारी अब खत्म हो रही है…तो क्या आरिफ अब अपने इनोवेशन वाली शैली को भी खत्म कर देंगे।

जवाब- देखिये, ये तो कभी खत्म नहीं होगी। काम करने के लिए हर जगह उपयुक्त है, बशर्त आप काम करना चाहें। जब तक SSP था, उस रोल को निभाया, अब सरकार ने ACB-EOW का जिम्मा दिया है, उसमें कुछ अच्छा करेंगे। उसमें भी क्या कुछ किया जा सकता है… कैसे उसे आमलोगों के लिए सुलभ बना सकें, उसके लिए काम करेंगे।

सवाल – क्या करेंगे, कुछ प्लानिंग है आपके मन में…क्या कुछ वहां नया करेंगे।

जवाब – देखिये, सबसे पहली बात तो ये है कि रिश्वत लेना गलत है…और रिश्वत जैसी बुराई से सब परेशान हैं…लेकिन उसे लेकर जागरूक नहीं है… आज 10 फीसदी भी शिकायत नहीं आती, तो मैं ये कोशिश करूंगा कि लोग ज्यादा से ज्यादा जागरूक हों। उन्हें इस विभाग की जानकारी हो, किस तरह से वो शिकायत कर सकते हैं। तो लोगों को कैसे जागरूक किया जा सके, इस पर जरूर काम करूंगा।

सवाल- एक आखिरी सवाल…क्या कुछ मलाल रह गया, जो करना बाकी रह गया… या सब कुछ कर लिया था।

जवाब – ऐसा नहीं है, सब कर लिया था। काफी कुछ किया हूं, अगर कुछ ना कर पाने की बात अगर आप पूछ रहे हैं तो याद आ रहा कि स्मार्ट थाना मेरे कार्यकाल में ही बनना था, वो नहीं बन पाया तो लग रहा एक कमी सी है। लेकिन बहुत कुछ किया हूं, रायपुर के लोगों के बीच हमलोगों ने कोरोना के संकट के दौरान भी बहुत अच्छा काम किया। तो ठीक है ये जिंदगी है….जिसमें परिवर्तन नियमों की शर्तों से जुड़ा होता है। पर मैं अपने कामों से संतुष्ट हूं और उम्मीद है कि रायपुर भी मुझसे उतना ही संतुष्ट होगा।

रायपुर SSP रहते आरिफ शेख की वो कामयाबी…जो याद रखेगी राजधानी

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