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…..मैं बर्बाद हो गया सर….मेरा बेटा नहीं रहा….कुछ नहीं समझ रहा सर…..सब इंस्पेक्टर दीपक की शहादत का यकीन करने 600 किलोमीटर का सफर किया पिता ने…..4 घंटे भटकने के बाद शव देख हुए बेसुध…

…..मैं बर्बाद हो गया सर….मेरा बेटा नहीं रहा….कुछ नहीं समझ रहा सर…..सब इंस्पेक्टर दीपक की शहादत का यकीन करने 600 किलोमीटर का सफर किया पिता ने…..4 घंटे भटकने के बाद शव देख हुए बेसुध…
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By NPG News

रायपुर 4 अप्रैल 2021। …मैं बर्बाद हो गया सर….मेरा बेटा नहीं रहा….मेरा तो सब कुछ खत्म हो गया….!…सब इंस्पेक्टर बेटे दीपक भारद्वाज की शहादत की खबर से पिता राधेलाल बेसुध हैं। कभी कहते मुझे बेटे पर गर्व हैं, वो अमर हो गया…लेकिन पल भर बाद ही जिगर के टुकड़े के खो देने के गम में बिलख उठते…फूट-फूटकर रोते राधेलाल को अपने बेटे की शहादत का यकीन ही नहीं था। बीजापुर के तर्रेम में नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई लड़ते जिन 22 जवानों ने वीरगति पायी, उनमें जांजगीर के मालखरौदा का बेटा दीपक भारद्वाज भी शामिल है। सब इंस्पेक्टर दीपक ही अपनी उस बटालियन को लीड कर रहा था, जो खूंखार नक्सली हिड़मा को घेरने निकली थी, लेकिन रास्ते में एंबुस ने सब कुछ खत्म कर दिया।

कल शाम से जब जवानों के मुठभेड़ की खबर के बाद लापता जवानों में दीपक का नाम आया तभी से राधेलाल बैचेन थे। जांजगीर के मालखरौदा से सीधे रायपुर इस उम्मीद में पहुंच गये कि शायद उनका बेटा सुरक्षित हो और मामूली चोट भी आयी हो तो उसे रायपुर लेकर आयेंगे, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। देर रात तक जब बेटे की खबर राधेलाल को नहीं मिली तो वो सीधे बीजापुर रवाना हो गये।

बीजापुर में करीब 5 घंटे तक इस अस्पताल से उस अस्पताल…..और इस थाने से उस थाने खाक छानने के बाद करीब 4 बजे राधेलाल भारद्वाज को बताया गया कि उनका बेटा वीरगति को पा गया है…वो शहीद हो गया है। लेकिन अपने बेटे से बेइंतहा प्यार करने वाले राधेलाल को फिर भी यकीन नहीं हुआ वो आनन-फानन में बीजापुर के उस जिला अस्पताल पहुंचे, जहां शहीदों के शवों को लाया जा रहा था। एक-एक कर उतरते शवों दिल थामकर देखते रहे राधेलाल का छठे नंबर पर उतारे गये शव को देख जोर से धड़क गया, वो शहीद दीपक का शव था।

शहीद बेटे का चेहरा देखकर पिता राधेलाल दहाड़ मारकर रोने लगे, काफी मुश्किल से लोगों ने उन्हें संभाला। राधेलाल ने NPG से कहा…

“होली के पहले बात हुई थी बेटे, बोला था बहुत व्यस्तता है अभी, इसलिए बात नहीं कर रहा, मेरा बेटा बहुत अच्छा था सर, मैं तो बर्बाद हो गया सर, मेरा बेटा नहीं रहा, नक्सलियों ने मार दिया उसको, मुझे तो कुछ समझ नहीं रहा सर ..एकदम अंधेरा-अंधेरा लग रहा, नहीं बात कर पाऊंगा सर ज्यादा आपसे”

शिक्षक राधेलाल भारद्वाज ने दीपक बड़े लाजों से पाला था। घरवालों से मिले देशप्रेरणा के संस्कार ने महज 23 साल की उम्र में दीपक को खाकी पहनने का सौभाग्य दे दिया। साल 2013 में सब इंस्पेक्टर की वर्दी पहनने वाले दीपक की 2019 में प्रांतिका भारद्वाज से शादी हुई थी। …..शादी की दूसरी सालगिरह अभी आयी भी नहीं थी…कि शहादत की मनहूस खबर आ गयी। शहीद दीपक को शत-शत नमन।

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