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गुड़ाखू फैक्ट्री में अस्पताल!

गुड़ाखू फैक्ट्री में अस्पताल!
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By NPG News

संजय के दीक्षित
तरकश, 26 सितंबर 2021
कोरोना के दौरान प्रायवेट अस्पताल वालों ने किस तरह अपनी तिजोरी भरी इससे समझा जा सकता है कि बिलासपुर के एक 50 बेड के अस्पताल ने तीन महीने में सात करोड़ कमा लिया। वो तो हिस्से को लेकर डॉक्टरों का विवाद और अपहरण हो गया और बात खुल गई। वरना….। आप समझ सकते हैं कि 50 बेड वाले अस्पताल अगर इस कदर झोली भर सकते है तो बड़े अस्पतालों ने क्या किया होगा। बताते हैं, कोरोना की लहर को अवसर में बदलने में डॉक्टरों ने कोई कोताही नहीं बरती। सराईपाली का गुखाड़ू कारखाना अस्पताल में बदल गया। दरअसल, कुछ डॉक्टरों ने गुड़ाखू वाले व्यापारी को समझाया कि गुड़ाखू बनाने वाले टीने के शेड को अगर अस्पताल के लिए दे दोगे तो उसके सामने गुड़ाखू की कमाई कुछ भी नहीं। बस क्या था, सेठजी को बात जम गई। चार दिन बाद गुड़ाखू फैक्ट्री पर अस्पताल का बोर्ड लग गया।

मालामाल भगवान

धरती के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टरों ने कोरोना में इस तरह नगद जमा कर लिया कि इस साल मई-जून तक ये स्थिति आ गई थी कि उसे रखें कहां। राजधानी के एक बड़े कारोबारी का दावा है कि डॉक्टरों का पूरा पैसा रियल इस्टेट में इंवेस्ट हुआ है। डॉक्टरों के पैसा के चलते ही राजधानी, न्यायधानी में जमीनों का रेट आसमान छू रहा। नया रायपुर के पास एक अस्पताल संचालक ने 45 एकड़ जमीन खरीदी है। धरसींवा के पास रायपुर के एक बड़े अस्पताल वाले ने 74 एकड़ जमीन परचेज की है। ये तो बानगी है। रायपुर, बिलासपुर में एक के बाद एक प्रोजेक्ट लांच होते जा रहे हैं, उन सभी में अस्पताल वालों का पैसा लगा है। वाह रे धरती के भगवान…। छत्तीसगढ़ में कोरोना ने सैकड़ों लोगों को छीन लिया…हजारों घरों को तबाह कर दिया और भगवानों के घर भर गए। बिलासपुर में अस्पताल संचालक का अपहरण करने वाले डॉक्टरों ने बयान दिया ही है बिना मेडिसीन दिए ही मेडिसीन का बिल वसूला गया। इसके बाद अब कुछ कहने के लिए नहीं बचता।

ओएसडी की नियुक्ति

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर जिन चार नए जिलों का ऐलान किया, उनमें जल्द ही एक-एक आईएएस, आईपीएस को प्रशासन और पुलिस का ओएसडी नियुक्त किया जाएगा। इसके लिए मंथन शुरू हो गया है। नए जिलों के ओएसडी ही जिस दिन से जिला अस्तित्व में आता है, ओएसडी कलेक्टर और एसपी बन जाते हैं। अभी तक ऐसा कभी नहीं हुआ कि नए जिलों के ओएसडी कलेक्टर या एसपी न बने हों। नए जिलों में आमतौर पर प्रमोटी आईएएस, आईपीएस को प्राथमिकता दी जाती है। वो इसलिए कि उन्हें नए जिलों में क्या-क्या चीजों की जरूरतें होती हैं, उन्हें पता होता है। हालांकि, पिछली सरकार में कुछ डायरेक्ट आईएएस को भी ओएसडी बनाया गया था। मसलन, बलौदा बाजार में राजेश टोप्पो। राजेश वहां ओएसडी से कलेक्टर ही प्रमोट नहीं हुए बल्कि पौने चार साल रहकर कलेक्टरी का रिकार्ड बनाया। नए जिलों में सक्ती को छोड़कर सारे जिलों का नामकरण और जिला मुख्यालय तय हो गया है। वैसे सक्ती को लेकर कोई विवाद नहीं है, इसलिए उसका नाम यथावत रहने वाला है।

कलेक्टर इन वेटिंग

जिलों की संख्या बढ़ने से लगता है कि कलेक्टरों की वेटिंग अब कम होगी। मगर छत्तीसगढ़ में हो उल्टा रहा है। जिले 18 से बढ़कर 32 हो गए। लेकिन, कलेक्टरों की वेटिंग कम होने का नाम नहीं ले रहा। अब देखिए न…दीगर राज्यों में 2015 बैच वाले कलेक्टर बन गए हैं। लेकिन, छत्तीसगढ़ में अभी 2013 बैच कंप्लीट नहीं हुआ है। डॉ0 जगदीश सोनकर और राजेंद्र कटारा अभी भी क्यूं में हैं। 2014 बैच में भी छह आईएएस हैं। प्रमोटी में भी संजय अग्रवाल, दिव्या मिश्रा जैसे अफसर हैं, जिन्हें कलेक्टरी मिलना ही है। लिहाजा, छत्तीसगढ़ में 2015 बैच को कलेक्टरी 2023 के पहले संभव प्रतीत नहीं होता। छत्तीसगढ़ में वेटिंग क्लियर न होने के पीछे बड़ी वजह यह है कि 2005 से अचानक हर साल अफसरों की संख्या बढ़ गई। पहले एक बैच में इक्का-दुक्का आईएएस मिलते थे। 2002 बैच में मात्र दो अफसर मिले। उधर, प्रमोटी आईएएस की संख्या भी बढती गई।

नो वाइन, नो व्हीस्की

पुलिस और आर्मी के मेस में अगर जाम न छलके तो फिर मेस नाम क्यों? लेकिन, रायपुर के पुलिस मेस में कुछ ऐसा ही हो रहा है। राजधानी के मेस का पदेन इंचार्ज रेंज आईजी होते हैं। रेंज आईजी माने डॉ0 आनंद छाबड़ा। छाबड़ा के साथ दिक्कत यह है कि पंजाबी होने के बाद भी सिर्फ खाने के शौकीन हैं। दूसरा वाला बिल्कुल नहीं। और डीजीपी का नाम भगवान से शुरू होता है…दुर्गेश माधव… महाकाल के भक्त। दोनों ने मिलकर तय कर दिया….नो शराब। बकायदा आदेश भी निकल गया है बिना डीजीपी के एप्रुवल के पुलिस आफिसर मेंस में पार्टियों में शराब सर्व नहीं होगी। अब उन दोनों को कौन समझाए बिना शराब की कोई पार्टी होती है…। आजकल तो बिना शराब की शादियां नहीं होतीं। लेकिन, बताने वालों का कहना है, पुलिस मेस में शराब बैन करने का कारण कुछ आईपीएस हैं। वे थोड़े से में ही झूमने लगते थे। तीन पैग लिए तो अंग्र्रेजी बोलना और चार से उपर हुआ तो फिर नागिन डांस स्टार्ट। याने मजबूरी का नाम नो वाईन, नो व्हीस्की।

पोस्टिंग का रिकार्ड?

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के नए कुलपति के सलेक्शन के लिए सलेक्शन कमिटी की बैठक होने वाली है। पूर्व केंद्रीय मंत्री अरबिंद नेताम कमिटी के चेयरमैन हैं और एसीएस टू सीएम सुब्रत साहू और समाजवादी नेता आनंद मिश्रा मेम्बर। वीसी के लिए डेढ़ दर्जन से अधिक लोगों ने आवेदन किया है। लेकिन वर्तमान कुलपति संजय पाटिल के बारे में कहा जा रहा है कि वे लगातार तीसरी बार कुलपति बनकर कहीं रिकार्ड न बना दें। हालांकि, बाहरी व्यक्ति का हवाला देकर उनका विरोध भी किया जा रहा लेकिन, जो समीकरण दिख रहा, उसमें वे भारी पड़ते दिख रहे हैं। बीजेपी शासनकाल में लगातार दो बार वीसी रहने के बाद भी कांग्रेस सरकार में भी उनका नाम सबसे उपर आ रहा तो फिर इसके बाद कुछ कहने की जरूरत नहीं है।

बड़ी बात

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के कार्यवाहक जज जस्टिस प्रशांत मिश्रा आंध्रप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बनकर जा रहे हैं। वहां के चीफ जस्टिस अरुप कुमार गोस्वामी छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बनकर आ रहे हैं। छत्तीसगढ़ बनने के बाद दूसरा मौका होगा, जब छत्तीसगढ़ के रहने वाले कोई जस्टिस प्रमोट होकर हाईकोर्ट चीफ जस्टिस बनकर जा रहा है। इससे पहिले सुनील सिनहा सिक्किम हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बनकर गए थे। हालांकि, आंध्रप्रदेश हाईकोर्ट काफी बड़ा है। वहां 37 जज हैं।

एसपी की धड़कनें

मुख्यमंत्री 5 अक्टूबर को एसपी, आईजी की कांफ्रेंस लेने जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ बनने के बाद कलेक्टर, एसपी कांफ्रेंस साल में एकाध बार हो ही जाती है लेकिन इस बार एसपी साब लोगों की कांफें्रस की खबर पढ़ने के बाद धड़कनें बढ़ी हुई है। पता चला है, जिन एसपी के पारफारमेंस संतोषजनक नहीं होंगे, उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। याने छुट्टी। भय की वजह यह है कि एसपी की पोस्टिंग में कोई सिफारिश नहीं चली थी। तो फिर उन्हें पारफारमेंस देना चाहिए। लेकिन, वस्तुस्थिति यह है कि कई जिलों मे पोलिसिंग की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। कई बड़े नाम वाले एसपी साब लोगों के जिले में पोलिसिंग बेपटरी है। मुख्यमंत्री ने जबकि चेताया हुआ है कि जुआ, सट्टा जैसे अपराधों पर अंकुश लगाई जाए। लेकिन, कई एसपी साहबानों के संरक्षण में ये सब काम हो रहा है।

अंत में दो सवाल आपसे

1. वर्तमान सियासी हालात में पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम किधर से बैटिंग कर रहे हैं?
2. उदय किरण जैसे फ्री स्टाईल बैटिंग करने वाले एसपी की सूबे के किस जिले में सबसे अधिक जरूरत है?

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