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इतिहास हुआ शिक्षाकर्मी पदनाम व व्यवस्था, छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन ने सम्पूर्ण संविलियन के लिए मुख्यमंत्री का जताया आभार

इतिहास हुआ शिक्षाकर्मी पदनाम व व्यवस्था, छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन ने सम्पूर्ण संविलियन के लिए मुख्यमंत्री का जताया आभार
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By NPG News

रायपुर 3 मार्च 2020। छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष संजय शर्मा ने बताया कि 1995 में शिक्षा कर्मी पदनाम के साथ व्यवस्था में आया था, तब मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह जी ने वित्तीय नियंत्रण व स्थानीय को रोजगार देने के उद्देश्य के साथ यह व्यवस्था लागू की थी। हालांकि उनकी घोषणा थी कि 3 वर्ष बाद शिक्षा कर्मियो को नियमित कर दिया जाएगा। किन्तु दुर्भाग्यजनक बात है कि यह स्थायी व्यवस्था के रूप में अपना लिया गया। परत दर परत शिक्षा कर्मी भर्ती की जाती रही, जिनके वेतन व सेवा शर्त को किनारे किया गया। गुरुजी व संविदा शिक्षकों को भी 2005 में शिक्षा कर्मी बनाया गया।

शिक्षा कर्मी नियुक्ति के बाद ही शिक्षक व्यवस्था, वेतन व सेवाशर्त के लिए संघर्षरत थे,,तब वेतन बढ़ोतरी, अंतरिम राहत राशि की देकर आंदोलन को समाप्त कराया जाता रहा।

2003 में चुनाव पूर्व भाजपा ने शिक्षा कर्मियो के संविलियन का दांव खेला, जिससे उन्हें सत्ता मिल गई। 2007 में तत्कालीन मुख्यमंत्री ने एक बार फिर 20-20% हर वर्ष संविलियन की घोषणा सम्मेलन में कई थी, हर चुनाव पूर्व घोषणा पत्र में भाजपा ने संविलियन की बातें की, पर 1 घंटे में संविलियन करने की बात 15 वर्ष में भी पूरी नही की गई, 2013 के वृहत हड़ताल में भी संविलियन नही किया गया, बल्कि विसंगतिपूर्ण पुनरीक्षित वेतनमान जारी किया गया।

2017 के हड़ताल में भी संविलियन की बात को डॉ रमन सिंह ने सिरे से खारिज कर दिया था, पर 2018 का चुनाव सिर पर था, हड़ताल के दबाव में रणनीतिक रूप से 8 साल पूर्ण करने वाले शिक्षकों के संविलियन की घोषणा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह जी के उपस्थिति में डॉ रमन सिंह जी ने अम्बिकापुर में की थी, जिसे 1 जुलाई 2018 को लागू किया गया, तब प्रथम दौर में 1 लाख 10 हजार शिक्षा कर्मियो का संविलियन हुआ था।

शिक्षा कर्मियो में गलत वेतन निर्धारण और सम्पूर्ण संविलियन नही करने पर नाराजगी थी, जिसे कांग्रेस ने भुनाया व 2018 के चुनाव में जनघोषणा पत्र में मुद्दा बनाया, क्रमोन्नति, पुरानी पेंशन बहाली, वेतन विसंगति, पदोन्नति, अनुकम्पा नियुक्ति को स्थान दिया गया, शिक्षको का रुझान उनकी ओर बढ़ा।

गत वर्ष भी शिक्षको ने सौगात देने की मांग की थी, किन्तु तब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा था कि इस वर्ष का बजट किसानो के लिए होगा, आगे वाला बजट शिक्षको को मिलेगा,,और आज के बजट में उन्होंने 2 वर्ष पूर्ण करने वाले शिक्षको की संविलियन की घोषणा कर दी है। प्रदेश भर के शिक्षक खुश है कि मुख्यमंत्री ने अपना पहला वादा पूर्ण किया है।

मुख्यमंत्री के सम्पूर्ण संविलियन की घोषणा से अब शिक्षा कर्मी पदनाम व व्यवस्था इतिहास बन गया है, हालांकि शिक्षा कर्मी पदनाम तो 2011 से बदल गया है, किन्तु शिक्षा व पंचायत विभाग ने ऐसी व्यवस्था ही बना दी थी कि शिक्षको के बीच सम्मान व सेवाशर्त के बीच भेदभाव जारी था।

शिक्षा कर्मी वेतन, अवकाश, स्थानान्तरण, सम्मान के लिए निरंतर संघर्षरत थे, अब यह व्यवस्था समाप्त हो जाने से समानता के व्यवहार की उम्मीद शिक्षा विभाग से की जा सकती है।

प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा, प्रदेश संयोजक सुधीर प्रधान, वाजिद खान, प्रदेश उपाध्यक्ष हरेंद्र सिंह, देवनाथ साहू, बसंत चतुर्वेदी, प्रवीण श्रीवास्तव, विनोद गुप्ता, प्रांतीय सचिव मनोज सनाढ्य, प्रांतीय कोषाध्यक्ष शैलेन्द्र पारीक, ने विधान सभा मे मुख्यमंत्री जी द्वारा सम्पूर्ण संविलियन की घोषणा करने का स्वागत करते हुए कहा है, कि 2017 के आंदोलन में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी ने शिक्षा कर्मियो का साथ दिया था, जिसे 2018 के चनाव में जनघोषणा पत्र में शामिल किया गया था, मुख्यमंत्री ने अब पूरा किया है, यह संघर्ष मोर्चा के आन्दोलन का परिणाम है, प्रदेश में शिक्षा कर्मी पदनाम व व्यवस्था अब इतिहास हो गया है,,इसके लिए मुख्यमंत्री का आभारी है।

जनघोषणा पत्र में शिक्षको के लिए किये गए घोषणा जिसमे क्रमोन्नति, वेतन विसंगति, अनुकम्पा नियुक्ति, पदोन्नत्ति, पुरानी पेंशन बहाली का विषय भी आने वाले समय मे पूर्ण होगा,,ये विस्वास है।

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