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World Mosquito Day 2024 : छत्तीसगढ़ में यहाँ मच्छरों और मलेरिया को जड़ से मिटाने मच्छरों पर हो रहा शोध

World Mosquito Day : रायपुर में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मलेरिया रिसर्च (National Institute of Malaria) यानी NIMR की लालपुर इलाके में ICMR से संबद्ध एक अनोखी लैब है. लैब बस्तर और अन्य राज्यों से मच्छरों को पकड़ती है और लाकर टेस्ट करती है.

World Mosquito Day 2024 : छत्तीसगढ़ में यहाँ मच्छरों और मलेरिया को जड़ से मिटाने मच्छरों पर हो रहा शोध
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By Meenu

World Mosquito Day 2024 : आज विश्व मच्छर दिवस है. मच्छर दिवस उनसे होने वाली बीमारियों के बारे में बताने के लिए मनाया जाता है. मच्छर दिवस के इस खास मौके पर हम आपको छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जहाँ मच्छरों पर शोध किया जाता है. यहां मलेरिया को जड़ से मिटाने के लिए वैज्ञानिक, शोधकर्ता, तकनीशियन काम कर रहे हैं.

हम बात कर रहे हैं रायपुर में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मलेरिया रिसर्च (National Institute of Malaria) यानी NIMR की लालपुर इलाके में ICMR से संबद्ध एक अनोखी लैब है. लैब बस्तर और अन्य राज्यों से मच्छरों को पकड़ती है और लाकर टेस्ट करती है. इसके बाद वैज्ञानिक मच्छरों की प्रजातियों के पहलुओं पर व्यापक शोध करते हैं कि कौन सी दवाएं उन्हें प्रभावित कर रही हैं और किन दवाओं से मलेरिया को नियंत्रित किया जा सकता है.

NIMR के एक्सपर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ में पाए जाने वाले मच्छरों की दो मुख्य प्रजातियों एनाफिलिस कलीसिफासिस और एनाफिलिस स्टीफेंस की कालोनियों को रैक में देखा गया. एक कॉलोनी हजारों मच्छरों का घर है, जिस पर वैज्ञानिक लगातार शोध कर रहे हैं. मच्छरों को वयस्क और लार्वा दोनों रूपों में रखा जाता है. जबकि बड़े मच्छरों को नग्न आंखों से देखा जा सकता है, बहुत छोटे मच्छर अदृश्य होते हैं. मच्छरदानी में दवाओं का लेपन किया जाता है.एक मच्छर सामान्य रूप से 100 से अधिक अंडे दे सकता है. यहां काम कर रहे टेक्नीशियन के मुताबिक मच्छर पनप सके इसलिए उन्हें पानी में रखा जाता है. वहीं मच्छरों को पालने के लिए जानवरों का खून खुराक के तौर पर दिया जाता है. इसके लिए जानवर किराए पर लिए जाते हैं, उनमें से थोड़ी मात्रा में खून निकाला जाता है. फिर प्रयोग किया जाता है.



क्यों बढ़ते हैं मच्छर


मच्छर आठ से 10 डिग्री तापमान में जीवित नहीं रह सकते. लेकिन इन पर डीडीटी पाउडर भी बेअसर है. यही वजह है कि निकायों ने छिड़काव की मात्रा बढ़ाई जानी चाहिए. हम आज मच्छर मारने के जितने भी आधुनिक तरीकों जैसे मच्छर मारने वाली क्वाइल, लिक्विड, अगरबत्ती का इस्तेमाल कर रहे हैं, वे एक समय के बाद प्रभावी नहीं रह जाते. यही वजह है कि कंपनियां अपने उत्पाद के एडवांस वर्जन लांच करती हैं.


क्या कहते हैं विशेषज्ञ


मच्छर को लगता है कि तापमान उनके अनुकूल नहीं हैं तो वे ऐसे क्षेत्रों का चयन करते हैं, जहां छिप सकें. हम ठंड की वजह से कमरों को बंद रखते हैं तो वे कमरे में छिपे होते हैं. और मौका मिलने पर काटते हैं. मच्छर कई तरह की बीमारियों के वाहक होते हैं. मच्छरों से बचाव के लिए लोग कई तरह के उपाय अपनाते हैं, क्योंकि वह जानते हैं कि, एक छोटा सा मच्छर इंसान का जीवन भी खत्म कर सकता है, लेकिन एक समय था जब यही मच्छर एक तरह का रहस्य बने हुए थे. लोगों को ये पता नहीं था कि, एक छोटा सा मच्छर उनके लिए कितना खतरनाक हो सकता (mosquito borne diseases) है.


हर मच्छर का अलग रवैया


मादा मच्छरों की बात करें तो उनका भोजन रक्त होता है, जिसे वह इंसानों और जानवरों को काट कर पूरा करती है. वहीं नर मच्छर इंसानों या जानवरों को काटते नहीं है बल्कि वह फूलों के पराग या अन्य शर्करा स्रोत को खाकर अपने आहार की पूर्ति करते हैं. मादा एनोफिलिस मच्छर के काटने से ही मलेरिया जैसी गंभीर बीमारी होती है, और इनके काटने का भी एक निश्चित समय होता है.

किस समय कौन सा मच्छर होता है सक्रिय


मादा एनोफिलिस सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच ही सक्रिय होते हैं. वहीं एडीज मच्छर सूर्यास्त से पहले या शाम को ही काटते हैं. इसके अलावा क्यूलेक्स मच्छर दोनों से अलग हैं. यह मच्छर रात भर सक्रिय रहते हैं, रात के समय घर के अंदर और बाहर कहीं भी काट सकते हैं. एक रिसर्च के मुताबिक साल 2050 तक जलवायु परिवर्तन के कारण दुनिया की लगभग आधी आबादी मच्छरों से होने वाली बीमारियों से प्रभावित होगी.

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