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World Hypertension Day (17th May) : हाई बीपी और हाइपरटेंशन यानी मौत का जोखिम, रोज़ाना आ रहे ऐसे केस, बचने के लिए पढ़ें यह ज़रूरत की खबर

World Hypertension Day (17th May) : हाई बीपी और हाइपरटेंशन यानी मौत का जोखिम, रोज़ाना आ रहे ऐसे केस, बचने के लिए पढ़ें यह ज़रूरत की खबर
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By Divya Singh

World Hypertension Day (17th May) : दुनिया भर में हर साल 17 मई को 'वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे' मनाया जाता है। हाई ब्लड प्रेशर हाइपरटेंशन के लिए ज़िम्मेदार होता है और इसी को नियंत्रित करने के लिए लोगों को जागरुक करने का प्रयास इस दिन खास तौर पर किया जाता है। आमतौर पर बीपी के संकेत आसानी से समझ नहीं आते लेकिन अनदेखी करने पर समय के साथ, हाई बीपी दिल, किडनी, मस्तिष्क और आंखों सहित कई महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए सतर्क रहने में ही समझदारी है। थोड़ी-सी केयर आपके जान जाने के जोखिम तक को कम करने में मददगार हो सकती है। जानते हैं, कैसे लाइफस्टाइल चेंज करनी है। उससे पहले हाई बीपी को समझ लेते हैं।

० क्या है हाई ब्लड प्रेशर?

जब हृदय की धमनियां (arteries) प्लाक बनने के कारण संकरी हो जाती हैं, तो हृदय के लिए समान मात्रा में रक्त पंप करना मुश्किल हो जाता है, जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ने लगता है। इससे हाई ब्लड प्रेशर की समस्या उत्पन्न हो जाती है। हाई ब्लड प्रेशर को हाइपरटेंशन भी कहा जाता है।ब्लड प्रेशर इस बात पर निर्धारित होता है कि आपकी रक्त वाहिकाओं से कितना रक्त फ्लो हो रहा है और हृदय को पंप करते समय ब्लड को कितना प्रतिरोध झेलना पड़ रहा है।इस दबाव को मापने के लिए 'बीपी मॉनिटर' का इस्तेमाल किया जाता है।

बीपी मॉनिटर में ब्लड प्रेशर की जो दो संख्याएं दिखाई देती है, उसमें ऊपरी रीडिंग को 'सिस्टोलिक' (systolic) और निचली रीडिंग को ‘डायस्टोलिक' (diastolic) ब्लड प्रेशर कहा जाता है।' सामान्य रक्तचाप' 120/80 माना जाता है।' हाइपरटेंशन' 130/80 या उससे अधिक को माना जाता है।

० हाई बीपी के लक्षण

छाती में दर्द,धड़कनें बढ़ना, चेहरा लाल होना, सांस लेने में मुश्किल ,थकान, टेंशन, सिरदर्द, सिर घूमना या चक्कर आना,बेसुध होना,नाक से खून आना, धुंधला दिखने लगना आदि हाई बीपी के लक्षण हैं। एक या अधिक लक्षण दिखते ही तुरंत सचेत हो जाएं।

० हाई बीपी से बचने लाइफस्टाइल में करें ये बदलाव

वजन घटाएं

आमतौर पर मोटापा और बढ़ा हुआ वजन बीपी बढ़ाने के लिए काफी हद तक जिम्मेदार पाया गया है। निष्क्रीय जीवनशैली से बीएमआई (बाॅडी मास इंडेक्स) बढ़ जाता है। बीएमआई का नियंत्रण में रहना जरूरी है। इसके 25 से अधिक होने पर ब्लड प्रेशर बढ़ने की संभावना होती है। वहीं वजन घटाने पर सामान्यतया बीपी भी कम होता है।

शुगर कम करें

जिन लोगों की शुगर बढ़ी हुई होती है, उन्हें हाई बीपी होने की संभावना ज़्यादा होती है। डाॅक्टरों के अनुसार शुगर की मात्रा बढ़ने पर पेनक्रियाज़ इसे पचा नहीं पाता है। बढ़ा हुआ ब्लड शुगर आपके ब्लड वेसेल्स में रह जाता है। इससे नाइट्रिक एसिड का उत्पादन कम होता है जो ब्लड वेसेल्स को स्वस्थ रखने की जिम्मेदारी निभाता है। जब ब्लड वेसेल्स सिकुड़ने लगती हैं तो बीपी बढ़ने लगता है।

नियमित रूप से व्यायाम करें

सामान्य रूप में हर दिन कम से कम 30 मिनट की एक्सरसाइज बेहद जरूरी है। इसे आप एक घंटे तक बढ़ा सकें तो और बेहतर। नियमित व्यायाम करने की आदत बीपी को कंट्रोल में रखती है और मोटापे व वजन को भी नहीं बढ़ने देती।

स्मोकिंग बंद करें

अगर आप का बीपी बढ़ने लगा है तो तत्काल स्मोकिंग से तौबा कर लें। इससे बीपी कम करने में मदद मिलेगी। और हार्ट डिसीज़ का खतरा कम होगा।

पेनकिलर्स लेने से बचें

छोटे-मोटे दर्द के लिए पेनकिलर्स न लें। ये दवाएं हालिया राहत भले पहुंचाएं लेकिन लंबे समय में बीपी का जोखिम बढ़ाती हैं।

प्रोसेस्ड फूड को कहें 'न'

पैकेज्ड और प्रोसेस्ड फूड फटाफट आपकी भूख भले ही मिटा देते हैं और आपकी जिव्हा को संतुष्ट करते हैं लेकिन ये स्वास्थ्यवर्धक नहीं बल्कि नुकसानदायक ही होते हैं। चिप्स, कुकीज, कैचप, सॉस जैसी चीज़ों में सोडियम की मात्रा ज्यादा होती है, जो बीपी बढ़ाती है। इसके बजाय साबुत अनाज, फलों, सब्जियों और कम फैट वाले डेयरी प्रोडक्ट को डाइट मे शामिल करें।

० हाई बीपी को इग्नोर करना यानी मौत को दावत

अगर आपका बीपी लगातार हाई बना हुआ है तो आप डेंजर ज़ोन में हैं। आजकल हार्ट अटैक, हार्ट फेल से मौत की खबरें रोज़ाना पढ़ने में आ रही हैं। हाई बीपी दिल की बीमारियों का जोखिम बढ़ाता है। इसके कारण आपके दिल को बहुत अधिक मेहनत करनी पड़ती है। ब्लड प्रेशर बढ़ने से हार्ट का आकार बड़ा हो सकता है जिससे हार्ट फेलियर की भी नौबत आ सकती है।

हाई बीपी सीधे तौर पर मस्तिष्क की धमनियों में परेशानी पैदा करता है जिससे स्ट्रोक की नौबत आ सकती है। वहीं किडनी

की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचने से किडनी काम करना बंद कर सकती है। हाई बीपी के कारण न केवल आँखों की कोशिकाएं कमज़ोर होती हैं, बल्कि आँखों की रौशनी तक जा सकती है। इसके अलावा भी शरीर के विभिन्न अंगों की कार्यक्षमता पर इससे बुरा प्रभाव पड़ता है।

यानी हाई बीपी को साइलेंट किलर कहना उचित ही है। ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने के लिए डॉक्टर दवाएं सुझाते हैं। लेकिन यदि आप हाई बीपी के खतरनाक लेवल तक नहीं पहुंचे हैं तो लाइफस्टाइल बदल कर, एक्टिव रहकर, योग की मदद लेकर और खानपान पर लगाम लगाकर बीपी को सुरक्षित सीमा तक वापस ला सकते हैं।

Divya Singh

दिव्या सिंह। समाजशास्त्र में एमफिल करने के बाद दैनिक भास्कर पत्रकारिता अकादमी, भोपाल से पत्रकारिता की शिक्षा ग्रहण की। दैनिक भास्कर एवं जनसत्ता के साथ विभिन्न प्रकाशन संस्थानों में कार्य का अनुभव। देश के कई समाचार पत्रों में स्वतंत्र लेखन। कहानी और कविताएं लिखने का शौक है। विगत डेढ़ साल से NPG न्यूज में कार्यरत।

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